सरकारी अस्पतालों में एंटी रेबीज वैक्सीन खत्म, मरीजों को बाहर से खरीदने पड़ रहे इंजेक्शन

Chandrakant Mishra | Mar 11, 2019, 09:22 IST
सरकारी अस्पताल में दवाइयों की आपूर्ति करने वाली संस्था उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन मुहैया नहीं करा पा रही वैक्सीन, पीड़ित लोगों को प्राइवेट अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन के लिए 300 से 350 रुपए अदा करने पड़ रहे
#Anti-Rabies
लखनऊ। " सुबह से साइकिल चलाते-चलाते हालत खराब हो गई है। बेटे को साइकिल पर बैठाकर पहले गांव से 13 किलोमीटर देवा सीएचसी गया। वहां से लोगों ने दवा न होने की बात कहकर बाराबंकी जिला अस्पताल भेज दिया। फिर 15 किलोमीटर साइकिल चलाकर जिला अस्पताल पहुंचा। अब यहां भी दवा नहीं मिल रही है। " ये बातें देवा ब्लॉक के गांव बबुरी निवासी दिलीप कुमार ने झल्लाते हुए कही।

दरअसल, दिलीप के बेटे को पिछले दिनों कुत्ते ने काट लिया था। अपने बीमार बेटे को रेबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए वह सीएचसी और जिला अस्पताल के चक्कर लगाकर थक चुका है, लेकिन उसके बेटे को रेबीज का इंजेक्शन नहीं लग पा रहा है। ये हाल सिर्फ दिलीप का नहीं है, बल्कि प्रदेश के ज्यादातर जिलों में हैं।

ये भी पढ़ें:'हमारे देश की समस्या ये है कि बिना प्रिस्क्रिप्शन के मिल जाती हैं एंटीबायोटिक्स'

RDESController-1568
RDESController-1568


जिला अस्पतालों के साथ-साथ सीएचसी और पीएचसी पर पिछले कई सप्ताह से रेबीज के इंजेक्शन की कमी चल रही है, लेकिन जिम्मेदारों को यह सब नजर नहीं आ रहा। हर रोज अस्पताल में डॉग बाइट के सैकड़ों मामले पहुंच रहे हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों में पिछले कई दिनों से एंटी रेबीज के टीके खत्म हो चुके हैं। ऐसे में मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में जाना पड़ रहा है। पीड़ित को प्राइवेट अस्पताल में इस टीके के लिए 300 से 350 रुपए अदा करने पड़ रहे हैं।

ये भी पढ़ें: कैंसर को न्यौता दे रहा है प्लास्टिक प्रदूषण, बढ़ रहा है खतरा

बाराबंकी के जिला अस्पाताल के सीएमएस डॉक्टर एसके सिंह ने बताया, " हम लोगों ने इंडेंट बनाकर भेज दिया है, लेकिन ऊपर से ही दवाइयां नहीं आ रही हैं। हमें जितनी जरुरत है उसके हिसाब से बहुत कम दवाइयां मुहैया कराई जा रही हैं। सीएचसी पीएचसी का हाल और बुरा है। हमारे यहां रोजाना करीब 200 मराजी ऐंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाने आ रहे हैं, लेकिन हमारे पास टीके हीं नहीं हैं।"

गोरखपुर के ब्लॉक पिपराइच निवासी अमरेंद्र सिंह (30वर्ष) का छोटा भाई महेंद्र (24 वर्ष) पिछले दिनों खेत पर काम करने गया था। इसी दैरान एक सियार ने महेंद्र को काट लिया। मनीष छोटे भाई को लेकर टीका लगवाने सीएचसी पिपराइच पहुंचे, लेकिन वहां पर तैनात डॉक्टर ने टीका नहीं होने की बात कही।

RDESController-1569
RDESController-1569


ये भी पढ़ें:अब कैंसर का इलाज कराना होगा सस्ता, 390 दवाइयों के दाम घटे

अमरेंद्र ने बताया," सरकारी अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं था, डॉक्टर ने बाहर से खरीदने की बात कही। मजबूरी में मुझे बाहर से 350 रुपए में इंजेक्शन खरीदनी पड़ी। तीन टीके लगवाने पड़े। मेरे 1100 रुपए खर्च हो गए। पता नहीं सरकारी अस्पतालों में दवा की कमी क्यों रहती है। "

गोरखपुर के सीएमओ डॉक्टर शशिकांत तिवारी ने बताया, " एंटी रेबीज वैक्सीन की कमी चल रही थी, इसके लिए लखनऊ अवगत करा दिया गया था। अब हमारे जिले में ऐंटी रेबजी की वैक्सीन आ चुकी है। प्रत्येक सीएचसी-पीएचसी पर इसे भेज दिया गया है।"

ये भी पढ़ें:जानें एंटी डिप्रेशन दवाओं से जुड़ी भ्रांतियां

सरकारी अस्पताल में दवाइयों की आपूर्ति की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन के पास है। जहां से आवश्यकता से काफी कम दवाएं ही उपलब्ध हो पा रही हैं। इस वजह से सरकारी अस्पतालों में जरुरी दवाओं की किल्लत चल रही है। कुत्ता, बंदर और बिल्ली काटने पर लगने वाला एंटी-रेबीज इंजेक्शन भी सप्लाई नहीं हो पा रहा है। मरीजों को बाहरी दुकानों पर निर्भर रहना पड़ता है।



रेबीज क्या है?

रेबीज को हाइड्रोफोबिया भी कहा जाता है। यह कुत्ते, बिल्ली, बंदर के से फैलने वाला वायरल जूनोटिक इन्फेक्शन है। इससे इंकेफोलाइटिस जैसा उप द्रव्य होता है। जो निश्चित रूप से चिकित्सा न किए जाने पर घातक होता है। इसका प्रमुख कारण किसी पागल कुत्ते का काटना होता है।

रेबीज कैसे होता है?

किसी संक्रमित पशु के काटने या खुले घाव को चाटने से यह संक्रमण होता है। यह संक्रमण पशुओं में लड़ने या काटने से फैलता है। जब ऐसे संक्रमित पशु आदमी के संपर्क में आते हैं तो इसे आदमी में भी फैलाते हैं। वायरस आदमी के शरीर में प्रवेश करने यह इंद्रियों पर आक्रमण करता है।

ये भी पढ़ें:जानिए जुकाम और फ्लू में अंतर, जुकाम को साधारण बीमारी समझकर न करें लापरवाही

रेबीज के प्रमुख लक्षण

- बुखार, मचली आना और सिरदर्द होना

- संक्रमण फैलने से अनैच्छिक छटके अनियंत्रित उत्तेजना

- सुस्ती और श्वास का पक्षाघात होना.

- पानी पीने का प्रयत्‍‌न करने पर अचानक ऐंठन, सांस में रुकावट

RDESController-1570
RDESController-1570


ये भी पढ़ें:गुड़ के ये 9 फायदे जान हैरान रह जाएंगे आप, सर्दियों में करता है दवा की तरह काम

क्या रखें सावधानियां

-जितना हो सके घाव को बहते गुनगुने पानी से धोना चाहिए

-घाव को कभी ढके नहीं, इसकी पट्टी न करें और टांके न लगवाएं

-नजदीकी दवाखाने में या सरकारी अस्पताल में जाएं जहां एआरवी उपलब्ध होती हैं

-कुत्ता या पशु का निरीक्षण 10 दिन तक करें

ये भी पढ़ें:कैसे करें एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल: डॉक्टरों के लिए विशेष गाइडलाइन्स

Tags:
  • Anti-Rabies
  • Anti-Rabies Vaccine
  • government hospitals
  • hospital

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.