नाबालिग लड़की से जबरन देहव्यापार कराने और उंगलियां कटाने वालों पर पॉक्सो एक्ट का कसेगा शिकंजा

Deepanshu Mishra | Aug 31, 2018, 09:57 IST
दरिंदगी का शिकार हुई पीड़ित बच्ची के बोन टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद, आरोपियों पर कसा शिकंजा, पुलिस ने पॉक्सो एक्ट की धारा बढ़ाई
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लखनऊ। नाबालिग किशोरी से जबरन देहव्यापार कराने और मना करने पर उंगलियां काटने के आरोपियों पर पुलिस का शिकंजा कस गया है। पुलिस ने पीड़ित बच्ची की बोन टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद एफआईआर में पॉक्सो एक्ट भी जोड़ा गया है। आरोपियों को पॉक्सो एक्ट के तहत रिमांड पर लिया जायेगा।

लखनऊ के त्रिवेणीनगर में 15 साल की किशोरी के साथ दरिदंगी के मामले में पुलिस ने विस्तृत मेडकिल और उम्र की जांच के लिए बोन टेस्ट करवाया था, जिसकी रिपोर्ट आ गई है। अलीगंज के क्षेत्राधिकारी दीपक कुमार सिंह ने बताया, "पीड़ित बच्ची की रिपोर्ट आ गई है, जिसमें उसे नाबालिग पाया गया है। अब आरोपियों पर पॉक्सो एक्ट के तहत भी कार्रवाई की जाएगी और उन्हें रिमांड पर लिया जाएगा।'

लखनऊ के त्रिवेणीनगर-2 निवासी सुधीर गुप्ता के घर काम करने वाली 15 साल की नेहा (बदला नाम) ने मकान मालिक और उसके परिजनों पर जबरन देह व्यापार समेत गंभीर आरोप लगाए थे। पीड़िता के मुताबिक उसको दो साल तक घर में बंद रखा गया और शराब पिलाकर देहव्यापार कराया गया। पीड़िता के मुताबिक मना करने पर सुधीर गुप्ता ने उसकी उंगलियां तक काट दी थीं। एक दिन किसी तरह आरोपियों के चंगुल से छूटकर अपनी बड़ी बहन के पास पहुंची, जिसके बाद मामला पुलिस तक पहुंचा। पुलिस ने लड़की के बयान के आधार पर सुधीर गुप्ता सहित तीन लोगों पर कई धाराओं के तहत कार्रवाई कर रही थी। २३ अगस्त को पीड़ित का बोन मेडिकल टेस्ट कराया गया था।

दीपक कुमार सिंह, क्षेत्राधिकारी, अलीगंज

इस मामले में शुरुआत में स्थानीय पुलिस पर हीलाहवाली के आरोप लगे। सीओ अलीगंज के मुताबिक पुलिस ने अपना काम काफी सक्रियता से दिखा तभी तीन आरोपियों को तीन दिन के भीतर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। दीपक कुमार बताते हैं, "11 अगस्त को पीड़ित लड़की पुलिस के पास पहुंची उसने जो बताया उसके मुताबिक धारा 323, 325, 504, 506 और 342 मुकदमा दर्ज किया गया। उस वक्त पीड़ित ने बलात्कार आदि का जिक्र नहीं किया था। लेकिन 13 अगस्त को 164 सीआरपीसी बयान के बाद धारा 326, 376, 377, 344 और 500 में बढ़ोतरी की गयी। और 14 अगस्त को लगातार दबिश के बार आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।'

क्या होता है पॉक्सो एक्ट

'पॉक्सो एक्ट' (प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट) यह विशेष कानून सरकार ने साल 2012 में बनाया था। इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है।

गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है। वर्ष 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है।

पॉक्सो एक्ट की धाराएं व सजा

इस एक्ट की धारा-3 के तहत पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को परिभाषित किया गया है। इसमें अगर कोई शख्स किसी बच्चे के प्राइवेट पार्ट में कुछ डालता है, या ऐसा करने के लिए कहता है तो यह धारा-3 के तहत अपराध होगा। इसमें 7 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है।

एक्ट की धारा-4 में बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले को शामिल किया गया है। इसमें उम्रकैद और अर्थदंड का प्रावधान है।

इस कानून की धारा-6 में वे मामले आते हैं जिनमें बच्चों को दुष्कर्म के बाद गंभीर चोट पहुंचाई गई हो, इसमें 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

धारा-7 व धारा-8 में वे मामले आते हैं, जिनमें बच्चों के प्राइवेट पार्ट्स से छेड़छाड़ की जाती है। इस धारा के दोषियों को 5-7 तक की कैद की सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

धारा-11 में बच्चों के साथ सेक्सुअल हैरेसमेंट को परिभाषित किया गया है, जिसके तहत अगर कोई व्यक्ति बच्चों को गलत नियत से छूता है या सेक्सुअल हरकत करता है, या उसे पोर्नोग्राफी दिखाता है तो उसे इस धारा के तहत 3 साल कैद की सजा हो सकती है।

वहीं इस एक्ट में 2018 में कुछ बदलाव भी किए गए हैं। अब इसमें और ठोस सजा जोड़ी गई है। नए बदलाव के अनुसार अब 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के मामले में मौत की सजा होगी। जबकि 16 साल से कम उम्र की लड़की से रेप करने पर न्यूनतम सजा को 10 साल से बढ़ाकर 20 कर दिया गया है।



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