बड़े काम का कटहल: सब्जी, फल के साथ आटा, जैम, जेली और पापड़ बनाने में भी हो सकता है प्रयोग

Mukti Sadhan Basu | Sep 21, 2020, 05:51 IST
Benefits Of Jackfruit: देश के पूर्वी से लेकर पश्चिमी घाटों तक पाए जाने वाले कटहल की बहुउपयोगिता की जानकारी बहुत ही कम लोगों को है। देश में हर साल लगभग 2,000 करोड़ रुपये का कटहल बर्बाद हो जाता है जबकि विदेशों में इसका उपयोग पोटेशियम, मैग्नीशियम, आयरन, फाइबर, विटामिन ए, विटामिन सी और विटामिन बी 6 के एक अच्छे स्रोत के रूप में किया जाता है।
Jackfruit
भारत के पश्चिमी घाटों में कटहल को देसी फल माना जाता है, वहीं ओडिशा के पूर्वी घाटों में भी यह प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। कटहल एक ऐसा फल है, जिसका बहुत ही उपयोग है लेकिन इसके बावजूद इसे व्यावसायिक रूप से व्यापक प्रयोग में नहीं लाया जाता। कम से कम वर्तमान परिस्थितियों के संदर्भ में तो ऐसा कहा जा सकता है।

कटहल से आप ऐसे कई तरह के पारंपरिक व्यंजन बना सकते हैं, जिनका स्वाद लाजवाब होता है। चाहे कच्चा हो या पका, कटहल का अपना एक मूल्य और महत्व है। सब्जी के रूप में इसके व्यापक उपयोग के अलावा पश्चिम बंगाल से लेकर केरल और पूर्वी तट तक इसका फल के रूप में भी व्यापक प्रयोग होता है।

इसके अलावा इसके बीज का प्रयोग अन्य पत्तेदार सब्जियों और दाल के साथ करी के तौर पर भी किया जाता है। कटहल के बीज को आप उबाल के, भून के और पीसने के बाद आटे के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। कटहल जिसे अक्सर गरीब आदमी के फल के रूप में जाना जाता है, यह पोटेशियम, मैग्नीशियम, आयरन के अलावा विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन बी 6 का भी एक अच्छा स्रोत है। साथ ही इसमें फाइबर भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।

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आकर्षक सुगंध वाले इस पीले रसदार फल का उपयोग आइसक्रीम, जैम, जेली, पेस्ट और पापड़ बनाने में भी किया जाता है। इसको पैक करके इसे दूसरी जगह भी भेजा जा सकता है और यह बहुत जल्दी खराब नहीं होता है।

सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएफटीआरआई) द्वारा विकसित कटहल आधारित उत्पाद के विविधीकरण, मूल्य संवर्धन, संरक्षण और पैकेजिंग प्रौद्योगिकी से ओडिशा के पूर्वी घाट में रहने वाले आदिवासी युवाओं की सहायता हो सकती है। चूंकि कटहल का पेड़ प्राकृतिक रूप से बहुतायत में होता है इसलिए यह गरीब आदिवासी परिवारों को सशक्त बनाने और पोषण देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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मैनें देखा है कि जर्मनी और वियतनाम में कटहल से बने उत्पादों का अधिक मूल्य है। जिसके बाद मेरा मानना है कि इसका उपयोग ना करके हम इसकी प्रासंगिकता के अवसर को बर्बाद कर रहे हैं। यहां मुझे कटहल बर्गर (जो वेजिटेरियन लोगों के लिए बनाया गया है) और स्पेगेटी बोलोग्नीस (टोमैटो सॉस में कटहल का कीमा) खाने का मौका मिला। कटहल के जिन उत्पादों को मैंने टेस्ट किया उसे जर्मनी में एक बहुराष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण कंपनी ड्रोगेरी मार्केट (डीएम) द्वारा तैयार किया जाता है।

विकिपीडिया के अनुसार डीएम एक अरबों डॉलर की खुदरा कंपनी है, जिसका मुख्यालय जर्मनी के कार्लज़ुए में है। यह सौंदर्य प्रसाधन, स्वास्थ्य संबंधी सामान और घरेलू उपयोग का सामान बेचता है। एक मोटे अनुमान के अनुसार भारत में हर साल लगभग 2,000 करोड़ रुपये का कटहल बर्बाद होता है। इसे संरक्षित करके किसानों और देश की अर्थव्यवस्था में बहुमूल्य योगदान दिया जा सकता है।

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