जलवायु परिवर्तन पर आईपीसीसी की रिपोर्ट लीक: असमय बारिश, बाढ़ और अकाल की खेती पर पड़ेगी मार

Alok Singh Bhadouria | Jun 15, 2018, 12:43 IST
अगर दुनिया का तापमान 1.5 डिग्री बढ़ गया तो इसके भयानक नतीजे होंगे, सबसे ज्यादा नुकसान खेती और खेती पर आधारित अर्थव्यवस्थाओं को होगा।
#जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था आईपीसीसी यानी इंटरगर्वमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज की छठी रिपोर्ट लीक हो गई है। रिपोर्ट में साफतौर पर कहा गया है कि पेरिस समझौते के तहत वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का जो आदर्श लक्ष्य रखा गया था उसे पाना मुश्किल है। साथ ही चेतावनी भी दी गई है कि हो सकता है 2040 तक ही दुनिया का तापमान 1.5 डिग्री बढ़ जाए। अगर ऐसा हुआ तो इसके भयानक नतीजे होंगे, सबसे ज्यादा नुकसान खेती और खेती पर आधारित अर्थव्यवस्थाओं को होगा। रिपोर्ट में आगह किया गया है कि इस त्रासदी से बचना है तो विश्व के सभी देशों को ग्रीन हाउस गैसों और कार्बन उत्सर्जन पर तेजी से रोक लगानी होगी।

RDESController-2238
RDESController-2238


लीक हुई रिपोर्ट के मुताबिक, बढ़ते तापमान का असर मौसम और कृषि पर तो पड़ेगा ही साथ ही बढ़ती गर्मी की वजह से ग्लोशियर पिघलेंगे जिससे समुद्र का जल स्तर बढ़ जाएगा। इससे समुद्र तट पर बसे तमाम शहर और देशों पर डूबने का संकट मंडरा सकता है। जलवायु परिवर्तन का असर हम दुनिया भर में असमय पड़ने वाले सूखे, बाढ़ और अतिवृष्टि के रूप में देख रहे हैं। विकसित देश तो इस संकट का किसी तरह मुकाबला कर लेंगे लेकिन भारत, बांग्लादेश जैसे देशों की समस्याएं बढ़ जाएंगी।

यह भी देखें:खेती और किसानों का गला घोट रहा जलवायु परिवर्तन

रिपोर्ट में साफ शब्दों में कहा गया है कि अगर जल्द और दूरगामी कदम उठाए गए तो हालात पर काबू पाया जा सकता है, वरना जिस गति से ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन हो रहा है उस हिसाब से विश्व तापमान 3 डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर निकल जाएगा। इस रिपोर्ट में कार्बन उत्सर्जन को रोकने के लिये सौर और पवन ऊर्जा जैसे साधनों को अपनाने और कम से कम कोयले के इस्तेमाल पर जोर दिया गया है। इसमें इस बात पर भी अफसोस जताया गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका जलवायु परिवर्तन से निबटने के लिए बनाए गए पेरिस समझौते (2015) से बाहर हो गया है। भारत ने अपने लिए 2022 तक 175 गीगावॉट स्वच्छ ऊर्जा का लक्ष्य रखा है।

आईपीसीसी की ये ताजा रिपोर्ट अक्टूबर में साउथ कोरिया में होने वाले आईपीसीसी के 48वें सत्र में पेश की जानी थी, लेकिन ये पहले ही लीक हो गई है। गौरतलब है कि इसी रिपोर्ट का शुरूआती मसौदा जनवरी में भी लीक हो चुका था। इसमें भी आशंका जताई गई थी कि इस सदी के मध्य तक 1.5 डिग्री सेल्सिसय का लक्ष्य पार हो जाएगा। ताजा ड्राफ्ट में विशेषज्ञों की करीब 25 हजार टिप्पणियां भी शामिल की गई हैं।

क्या है आईपीसीसी

आईपीसीसी या जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल संयुक्त राष्ट्र का आधिकारिक पैनल है जो जलवायु में बदलाव और ग्रीनहाउस गैसों पर नजर रखता है। इसकी रिपोर्ट एक ऐसा वैज्ञानिक दस्तावेज होता है जिसके आधार पर दुनिया के देश यह तय करते हैं कि जलवायु परिवर्तन से निबटने के लिए कौन से कदम उठाए जाएं। इसका गठन 1988 में विश्व मौसम संगठन और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने किया था।

यह भी देखें:विश्व खाद्य दिवस विशेष : गेहूं के उत्पादन को घटा देगा जलवायु परिवर्तन

पेरिस समझौता और अमेरिका की नाराजगी

2015 में पेरिस में कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए एक समझौता हुआ था। इसमें दुनिया भर के तापमान में होने वाली बढ़ोतरी को 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने और 1.5 डिग्री सेल्सियस के आदर्श लक्ष्य को लेकर सभी सदस्य देशों मे सहमति बनी थी। लेकिन इस समझौते में विकासशील देशों को आर्थिक सहायता समेत कुछ छूटें दी गई थीं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत और चीन जैसे विकासशील देशों को दी गई छूट से नाराज हैं। इसके अलावा उनका मानना है कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग मनगढ़ंत बातें हैं। इन बातों को मानने से अमेरिका के आर्थिक हित प्रभावित होते हैं इसलिए ट्रंप ने पेरिस संधि मानने से इनकार कर दिया।

यह भी देखें:पशुओं पर भी दिखेगा जलवायु परिवर्तन का असर, कम होगा दूध उत्पादन !

Tags:
  • जलवायु परिवर्तन
  • असमय बारिश
  • बाढ़
  • अकाल
  • खेती
  • पेरिस समझौता

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.