सवालों के घेरे में पुलिस का इकबाल, भीड़ के हमले तोड़ रहे मनोबल

Diti Bajpai | Dec 07, 2018, 15:10 IST
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लखनऊ। बुलंदशहर में स्याना कोतवाली के इंस्पेक्टर हंगामा कर रही भीड़ को रोकना चाहते थे, लेकिन वो खुद भीड़ का शिकार हो गए। इंस्पेक्टर सुबोध कुमार राठौर यूपी में भीड़ के हाथों जान गंवाने वाले पहले पुलिस अधिकारी नहीं थे, इससे पहले एक लंबी लिस्ट हैं, जिसमें सिपाही से लेकर एएसपी तक शामिल हैं। इन हमलों से कानून व्वयस्था पर सवाल खड़े हुए तो पुलिस का इकबाल भी सवालों के घेरे में आया।

पुलिस पर भीड़ के द्वारा होने वाले इन हमलों को लेकर मनोबल तोड़ने वाला बताते हुए यूपी के पूर्व डीजीपी महेश द्विवेदी कहते हैं, "'भीड़ को लगता है कि वो कुछ भी कर सकती हैं उस पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। ऐसे में पुलिस का खौफ़ कम हो रहा है। ऐसी घटनाओं में शासन को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, जिससे कानून के रक्षकों का मनोबल बढ़ें। यूपी के आई सिविल डिफेंस अमिताभ ठाकुर (आईपीएस) ऐसा ही मानते हैं। वो कहते हैं, "पिछले 4-5 वर्षों से पुलिस पर भीड़ के हमले बढ़े हैं, क्योंकि आरोपियों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती। इससे अपराधियों का मनोबल बढ़ता है।''



भारत ही नहीं, दुनिया की सबसे बड़ी पुलिस फोर्स यूपी के पास है। इसी पुलिस के पूर्व मुखिया महेश द्विवेदी कहते हैं, ''मथुरा के जवाहर बाग की घटना में न तो कोई सख्त कार्रवाई हुई और न कोई गिरफ्तारी। ऐसे में पुलिस अपने आप को कमजोर महसूस करती है।''मथुरा का जवाहरबाग कांड समाजवादी पार्टी की सरकार में हुआ था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पुलिसकर्मियों को सबसे ज्यादा चोटें भीड़ के हाथों ही मिली हैं। सपा सरकार में कुल 1044 बार पुलिस पर हमले हुए थे, इस दौरान 20 पुलिसकर्मियों की मौत हुई थी, जबकि 527 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। बीएसपी यानि मायावती सरकार में 527 बार पुलिसवालों पर हमले हुए थे। अकेले 2015 में पुलिस पर 3486 हमले हुए थे, इनमें से 43 फीसदी उन्मादी भीड़ ने किए थे।

योगी सरकार में पुलिस के इकबाल को लेकर सवाल इसलिए भी उड़ रहे हैं क्योंकि कानून व्यवस्था को मुद्दा बनाकर शासन में आई बीजेपी सरकार बदमाशों से मुठभेड़ को लेकर भी चर्चा में रही। जुलाई 2018 तक 2000 ज्यादा बदमाशों से मुठभेड़ हुईं। इनमें 59 अपराधी ढेर हुए, 534 से ज्यादा घायल हुए। जबकि 4 पुलिसकर्मी शहीद हुए और 390 घायल हुए। इस दौरान करीब 2253 अपराधियों पर गैंगस्टर लगाया गया। पुलिस के खौफ और एनकाउंटर से बचने के लिए अपराधी खुद जमानत रद्द करवाकर जेल चले गए। लेकिन भीड़ में कानून का डर शायद कम हो गया है।

बुलंदशहर में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार राठौर की हत्या के तीन दिन बाद यानी 6 दिसंबर को आगरा के फतेहाबाद में एक आरोपी को पकड़ने गई पुलिस पर हमला हुआ। हमले में सिपाही राजेश कुमार को चोट आई। इससे पहले 9 सितंबर 2018 को वाराणसी जिले में कुछ दबंगों ने एक पुलिसवाले से ना सिर्फ मारपीट की बल्कि घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल कर दिया। जबकि 3 मई 2018 को मेरठ के टीपीनगर में चेकिंग के दौरान शराब तस्करों ने पुलिस पर पथराव किया और दौड़ाकर पीटा, जिसमे कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।



''पुलिस जिस पर कानून लागू करवाने का दायित्व है और कानून की रक्षक है उसी पर लोग हमला करेंगे कानून तोडेंगे तो पुलिस का मनोबल टूटेगा।''यूपी में राज्यपाल के विधिक सलाहकार एसएस उपाध्याय ने बताया, ''भारत के सविधान 51(क) अनुच्छेद में लिखा हैं कि नागरिकों को कानून का पालन करना चाहिए और कानून पालक एजेंसी के रूप में पुलिस की सहायता करनी चाहिए।''

पुलिस पर हमलों का मुद्दा समय-समय पर विधानसभा से लेकर सुप्रीमकोर्ट तक पहुंचता रहा है। इसी साल 17 जुलाई 2018 को सर्वोच्च न्यायालय ने भीड़ की हिंसा पर काबू पाने के लिए एक व्यापक दिशा निर्देश में बताया हैं कि पुलिस की व्यवस्था कैसे काम करेगी, खुफिया व्यवस्था कैसे काम करेगी और किसकी क्या जवाबदेही होगी लेकिन आंकड़े देंखे तो ज्यादा असर नजर नहीं आया।

भीड़ के हमलों में शारीरिक नुकसान के साथ वायरल वीडियो भी बड़ी समस्या बनते हैं। वर्दी पर हमले के वीडियो महीनों तक सोशल मीडिया में घूमते रहते हैं। जो न सिर्फ पुलिस के मनोबल पर असर डालते हैं बल्कि कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करते हैं। आईपीएस अमिताभ ठाकुर कहते हैं, ''पुलिस पर हमलों जैसे जो दूसरे वीडियो जारी होते हैं, वो लोग अपने मनोरंजन के लिए बनाते हैं, साथ ही आरोपी इस कोशिश में भी रहते हैं कि वीडियो को ऐसे बनाया और प्रजेंट किया जाए जिसमें पुलिस की गलती ज्यादा नजर आए।"

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ट्रक ने इंटर के छात्र को रौंदा, शव उठाने गई पुलिस को उग्र भीड़ ने पीटा साभार- दैनिक भास्कर

ये चर्चित मामले, जिसमें पुलिस को बनाया गया निशाना

यह घटना 3 मई 2018 कि है जब मेरठ के टीपीनगर थाना पुलिस नवीन मंडी के गेट पर चेकिंग कर रही थी और पुलिस को सूचना मिली थी कि कार में तस्करी की शराब लाई जा रही है। पुलिस कार रूकवाने की कोशिश तो शराब माफिया और उनके साथियों ने पुलिस पर पथराव किया और उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर पीटा, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए।

बहराइच के दरगाह क्षेत्र के सलारगंज मुहल्ले में कबाड़ खरीदने व बेचने की आड़ में अवैध तरीके से चल रहे बूचडख़ाने पर पुलिस टीम ने छापामारी की। वहां पर मौजूद आधा दर्जन से अधिक लोगों ने पुलिस टीम पर जानलेवा किया। पुलिसकर्मियों ने घेराबंदी कर सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया था।

यह घटना 28 जुलाई 2018 की है जब दो सिपाही और आधा दर्जन पुलिस भैंस चोरी के मामले को लेकर फतेहपुर जिले के खागा कोतवाली क्षेत्र के नटन डेरा मजरे हरदों में दबिश के लिए गई थी। वहीं गाँव के लोंगों ने लाठी डंडे व धारदार हथियार से हमला कर दिया था जिस पर दो दरोगा और कई सिपाही घायल हो गए थे।

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मथुरा के वृंदावन कोतवाली क्षेत्र के गाँव परखम गूजर में ज़मीन पर कब्जे की शिकायत पर पहुंची पुलिस पर गाँव के कुछ दंबगों ने हमला किया और पुलिस वाले पर मिट्टी का तेल डालकर फूंकने की कोशिश भी की गई। बाद में पुलिस ने बल का प्रयोग करते हुए मौके पर चार लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया था।

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