चित्रकूट में शहीद हुए दरोगा की पत्नी ने उनकी लंबी उम्र के लिए रखा था तीज का व्रत

Khadim Abbas Rizvi | Aug 25, 2017, 16:41 IST
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खादिम अब्बास/बीसी यादव

जौनपुर/मछलीशहर। एक तरफ चित्रकूट में जौनपुर के निवासी जाबांज दरोगा जय प्रकाश सिंह बदमाशों से मोर्चा लेते वक्त सीने पर गोली लगने से शहीद हो गए तो दूसरी ओर घर पर उनकी पत्नी ने शहीद दरोगा की लंबी उम्र के लिए तीज का व्रत रखा था। जय प्रकाश की पत्नी चंदा सिंह को क्या पता था कि प्रकाश उनकी जिंदगी में अंधेरा करके फर्ज के लिए कुर्बान हो गए हैं। उनकी शहादत की खबर सुनकर परिवार के साथ-साथ उनका हर करीब सदमे में था। पत्नी और उनके बच्चों की तो जैसे दुनिया ही उजड़ गई।

शहीद के परिजनों को 50 लाख रुपए की सहायता देने की घोषणा



शहीद दरोगा का पार्थिव शरीर पहुंचा जौनपुर। गुरुवार को तड़के बदमाशों की गोली खाकर शहीद हुए जौनपुर के नेवढ़ियां थाना क्षेत्र के बनेवरा गांव निवासी जय प्रकाश का शव देेर रात उनके गांव पहुंचा। शव पहुंचते ही हर किसी की आंखों में आंसू थे। शुक्रवार को प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार महेंद्र नाथ पांडेय, डीएम और एसपी समेत तमाम आला अधिकारी बनेवरा पहुंचे। महेंद्रनाथ पांडेय ने परिवार के लोगों से एक-एक कर मुलाकात की। उन्होंने इस दौरान बताया कि शहीद दरोगा के परिवार के लोगों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 25 लाख रुपए दिया जाएगा। इसके अलावा 25 लाख रुपए जिला प्रशासन भी देगा। इसमें 40 लाख रुपए पत्नी को और 10 लाख रुपए माता-पिता को दिए जाएंगें। इसके अलावा एक आश्रित को सरकारी नौकरी भी दी जाएगी। इस दौरान मंत्री ने यह भी कहा कि जय प्रकाश ने जिस बहादुरी से बदमाशों का सामना करते हुए अपनी जान की भी परवाह नहीं की, उन्हें पूरा देश सलाम कर रहा है।

1991 से पुलिस विभाग में थे

शहीद दरोगा जयप्रकाश सिंह दो भाई दो बहनों में में सबसे बड़े थे। उनकी शुरुआती शिक्षा गांव में ही हुई। आादर्श इंटर कॉलेज से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। मड़ियाहूं पीजी कॉलेज से उन्होंने स्नातक किया। 1991 में वह सिपाही के पद पर पुलिस विभाग में तैनात हुए थे। 2012 में विभागीय परीक्षा पास कर दरोगा बने। उन्होंने गोरखपुर, झाँसी, मऊ, वाराणसी सहित कई जगह सिपाही व दरोगा पद पर पूरी ईमानदारी के साथ कार्य किया। जय प्रकाश को उनका अच्छा स्वभाव सभी को उनके बहुत करीब करता था। वह बहुत ही मिलनसार थे। जब भी छुट्टी पर घर आते तो परिवार के सभी सदस्यों अलावा अपने आस पड़ोस के लोगों से जरूर मुलाकात करते थे। शहीद के पिता श्यामबिहारी सिंह किसान हैं। उन्होंने बताया कि उनका बड़ा बेटा जब भी घर आता तो खेती-किसानी में लग जाता था। जय प्रकाश के छोटे भाई शिव प्रकाश गोरखपुर में सिपाही के पद पर तैनात हैं। शहीद के दोनों बेटे कोटा में हरकर सीपीएमटी की तैयारी कर रहे हैं।

परिवार वालों की आंखेें नम

शहीद दरोगा जय प्रकाश की 90 वर्षीय दादी राम दुलारी के लिए यह वक्त कितने मुश्किलों का है। इसको शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। वह रोते-रोते यह कह रहीं थीं कि हमार ललनवा कहां चल गइलन, भगवान हमय काही के नाय मरलन। यह सुनकर हर किसी की आंखों से आसूं छलक रहे थे। इसके अलावा चाचा मंगला सिंह का भी रो रो कर अपना दर्द बयां कर रहे थे। उन्होंने बताया कि चार दिन पहले जय प्रकाश घर आए थे तब वह उन्हें बस पर बैठाने के लिए इटाए बाजार तक गए थे। उन्होंने बताया कि जय प्रकाश ने उनसे वादा किया था कि दशहरे की छुट्टी पर आउंगा तो तीन- चार दिन रहूंगा। वह यह कहते हुए बिलख पड़ते कि क्या पता कि बेटे जैसे जय प्रकाश से उनकी वह आखिरी मुलाकात होगी।

शहीद की 90 वर्षीय दादी पोते का अब तक कर रहीं इंतजार। एडीजी कानून व्यवस्था आनंद कुमार ने बताया कि पुलिस विभाग के लिए दरोगा जय प्रकाश की शहादत कभी न पूरी होने वाली क्षति है। उनकी कुर्बानी बेकार नहीं जाएगी। पुलिस विभाग पूरे गैंग का खत्मा कर देगी। सीएम योगी आदित्यनाथ ने जय प्रकाश के पिता से फोन से बात की और कहा कि इस दुख की घड़ी में उनके परिवार के साथ सरकार खड़ी है। जो संभव हो सकेगा मदद की जाएगी।

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