पुर्तगाल में लगाया गया विश्व का पहला जल सौर ऊर्जा संयंत्र, 100 घरों को पूरे साल देगा बिजली

Anusha Mishra | Jul 11, 2017, 14:38 IST
सौर ऊर्जा
लखनऊ। पुर्तगाल के मॉन्टेलेजर में अधिकारियों ने इस सप्ताह विश्व के पहले हाइड्रो सोलर (पानी और सौर ऊर्जा) पॉवर स्टेशन का उद्घाटन किया है। देश की स्पेन से लगी हुई उत्तरी सीमा के पास बने अल्टो रैबेगाओ बांध में इस साल 840 तैरने वाले सोलर पैनल लगाए गए हैं। इससे प्लांट की कुछ क्षमता 220 किलोवॉट तक बढ़ जाएगी। ये सौर पैनल उतने ही बड़े हैं जितने बड़े किसी गोदाम की छत पर लगे होते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस परियोजना से पहले वर्ष में 332 मेगावाट प्रति घंटा ऊर्जा पैदा होने की उम्मीद है, इससे कम से कम 100 घरों को पूरे साल तक बिजली आपूर्ति की जा सकती है।

देखा जाए तो विकास की दिशा में यह मामूली क़दम ही है लेकिन यह कहना बेमानी नहीं होगा कि ये विकास की बड़ी संभावनाएं भी प्रदान करता है। इस परियोजना को सफल बनाने वाली कपंनी एनर्जियास दे पुर्तगाल ब्राज़ील में काम करती है, जहां 70 प्रतिशत से ज़्यादा ऊर्जा का निर्माण जल संयत्रों से ही किया जाता है। ऐसा माना जा रहा है कि पुर्तगाल में लगाया गया हाइड्रो सोलर प्रोजेक्ट सफल हो गया तो यह ब्राज़ील की ऊर्जा ज़रूरत को पूरा करने में सक्षम होगा, जिसके 2050 तक तीन गुना बढ़ने की संभावना है। इस जलविद्युत परियोजना से अमेरिका की 6.5 प्रतिशत बिजली की ज़रूरत को पूरा किया जा सकता है, जो नवीकरणीय ऊर्जा का देश का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है।



यूएस ऊर्जा सूचना प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार, यह सौर पैनलों से मिलने वाली 0.9 प्रतिशत ऊर्जा से ज्यादा है। अमेरिका में पनबिजली संयंत्र देश के सबसे पुराने पॉवर स्टेशनों में से हैं जो देश के वाशिंगटन, ओरेगन और कैलिफोर्निया जैसे उत्तर पश्चिमी राज्यो में बिजली उत्पादन करते हैं। इन तैरने वाले सौर पैनल की मदद से महंगे बांध के पुनर्निर्माण के बिना संयंत्रों की क्षमता विस्तार किया जा सकता है।

हफिंगटन पोस्ट की ख़बर के मुताबिक, बोस्टन स्थित फर्म जीटीएम रिसर्च के अक्षय ऊर्जा विश्लेषक मनन पारिख के मुताबिक, पुर्तगाल के अल्टो रबागोओ बांध में हाइड्रो सोलर पैनल ऐसी पहली परियोजना है जहां फ्लोटिंग पैनल पनबिजली रोटोर के साथ मिलकर काम करते हैं।इसका मतलब है कि ये सौर पैनल शाम की शुरुआत में बिजली की मांग को पूरा करने में सहायता करते हैं, ये वो वक्त होता है जब लोग काम से घर वापस आ रहे होते हैं।

पारिख बताते हैं कि यह पहला हाइड्रो प्लस पीवी प्रोजेक्ट है जो फोटोवोल्टिक सेल्स का इस्तेमाल करके सूर्य की रोशनी को ऊर्जा में बदलता है। वह कहते हैं कि ऐसी और भी परियोजनाएं हैं लेकिन वे सभी झीलों पर चलती सौर परियोजनाएं हैं वे जल विद्युत परियोजना के साथ काम नहीं कर रही हैं। 6 जुलाई 2017 को शुरू हुए इस प्रोजेक्ट में 2500 वर्गमीटर के पैनल लगाए हैं जो हर घंटे 300 मेगावॉट ऊर्जा पैदा करेंगे।

तैरते हुए सौर ऊर्जा पैनलों को पकड़े रखने के लिए पानी के नीचे खींचने वाले केबल
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