घर में नौकर रखने से पहले कर लें ये काम, नहीं तो आपके बच्चे को हो सकती है टीबी

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में करीब आधा दर्जन ऐसे मामले आए, जिसमें घरेलू नौकरों से बच्चों को टीबी का संक्रमण हुआ

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   1 April 2019 12:43 PM GMT

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घर में नौकर रखने से पहले कर लें ये काम, नहीं तो आपके बच्चे को हो सकती है टीबीप्रतीकात्मक तस्वीर साभार: इंटरनेट

लखनऊ। अगर आप अपने बच्चे की देखभाल के लिए किसी घरेलू नौकर की तलाश कर रहे हैं तो उसको रखने से सबसे पहले उसका मेडिकल जांच करा लें। कहीं ऐसा न हो कि वो नौकर आपके बच्चे को बीमार बना दे। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में करीब आधा दर्जन ऐसे मामले आए, जिसमें घरेलू नौकरों से बच्चों को टीबी का संक्रमण हुआ।

कामकाजी पति-पत्नी के लिए छोटे बच्चों और ऑफिस में ताल-मेल बैठाना बहुत मुश्किल होता है। ज्यादतर पैरेंट्स बच्चों की देखभाल के लिए घरेलू नौकर रख लेते हैं, लेकिन इन नौकरों की सेहत की जांच नहीं कराते हैं। ऐसे में इन बीमार नौकरों के संपर्क में आकर छोटे बच्चे टीबी का शिकार हो रहे हैं।

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केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर वेद प्रकाश का कहना है, " हम लोगों के पास पिछले साल करीब आधा दर्जन ऐसे मामले आए थे, जिसमें नौकर की वजह से बच्चों में टीबी का संक्रमण हुआ था। ऐसे में जब भी कोई घरेलू नौकर रखें उसका स्वास्थ्य परीक्षण जरूर करा लें।"

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पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली के पूर्व निदेशक प्रो. राजेंद्र प्रसाद का कहना है, " आजकल माता-पिता दोनों काम करते हैं। ऐसे में बच्चा ज्यादा समय घर के नौकरों के साथ बिताता है। इस दौरान अगर उसे इस तरह की बीमारी है तो जाहिर सी बात है बच्चा भी उसके संक्रमण में आ सकता है। देश के कुल टीबी मरीजों के में से तीन फीसद के करीब बच्चों में टीबी का संक्रमण है। बच्चे सबसे पहले प्राइमरी लंग की टीबी के चपेट में आते हैं। "


टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु की वजह से होता है। टीबी ज्यादातर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं। यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है। जब क्षय रोग से ग्रसित व्यक्ति खांसता, छींकता या बोलता है तो उसके साथ संक्रामक ड्रॉपलेट न्यूक्लिआई उत्पन्न होता है जो कि हवा के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है।

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टीबी के लक्षण

- सांस फूलना

- तीन सप्ताह तक खांसी आना

- बलगम के साथ खून आना

- तेजी से वज का कम होना

- थका-थका महसूस करना

- शाम के वक्त बुखार आना



स्टेट टीबी अफसर डॉ. संतोष गुप्ता का कहना है, " क्षय रोग (टीबी) को समाप्त करने को भले ही सरकार ने कमर कसी है, लेकिन इससे निजात मिलनी दूर की कौड़ी प्रतीत हो रही है क्योंकि सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही 13,941 बच्चे टीबी की चपेट में हैं। उत्तर प्रदेश में 4 लाख 20 हजार टीबी के मरीज इसकी गवाही दे रहे हैं। हालात यह है कि इनमें 15 हजार गंभीर रूप से बीमार हैं। इन्हें मल्टी ड्रग रेजिडेंट (एमडीआर) ने अपनी चपेट में ले रखा है। 22 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में लगभग 2,60,572 टीबी रोगी सरकारी अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं. 37,174 मरीज गैर सरकारी संस्थानों में चिकित्सीय सलाह ले रहे हैं।"

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