उज्जवला योजना से बची हज़ारों महिलाओं की जान क्योंकि सिगरेट-बीड़ी जितना ही हानिकारक है चूल्हे का धुआं

Deepanshu Mishra | Mar 05, 2018, 14:12 IST
Cancer
पिछले कुछ वर्षों में कैंसर के मरीज तेजी से बढ़े हैं। इसका मुख्य कारण लोगों की जीवन शैली में बदलाव भी है। ऐसे में अगर सही समय पर ध्यान दिया जाए तो इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। ऐसे में उज्ज्वला योजना से लाखों महिलाओं की जान बच रही है, क्योंकि सिगरेट-बीड़ी जितना ही हानिकारक ही चूल्हे का धुआं भी होता है।

कैंसर के बारे में गाँव कनेक्शन की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के श्वसन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत से ख़ास बातचीत।

डॉ. सूर्यकांत ने बताया, “हमारे जन्म के बाद से शरीर धीरे-धीरे वृद्धि करता है, लेकिन कभी ऐसा नहीं होता है कि पांच महीने का बच्चा पांच वर्ष का लगने लगे। शरीर की वृद्धि पर एक कंट्रोल होता है और उसी हिसाब से शरीर आगे बढ़ता जाता है। यह वृद्धि शरीर के कंट्रोल से हट जाए तो इसे कैंसर कहते हैं।”

डॉ. सूर्यकांत बताते हैं, “सरकार के द्वारा चलाई गयी उज्ज्वला योजना का महिलाओं में फेफड़े के कैंसर से बचाने में बहुत बढ़ा हाथ है। गैस पर काम करने से किसी प्रकार की धुएं से महिलाओं को सामना नहीं करना पड़ता है। इस बार बजट में सरकार ने उज्ज्वला योजना का बजट और भी बढ़ाने की बात कही है इससे और भी ज्यादा फेफड़े के कैंसर से जान बचाई जा सकेंगी।”

पूरी दुनिया में प्रति वर्ष कैंसर के लगभग डेढ़ करोड़ नए रोगी पैदा होते हैं और आने वाले 20 वर्षों में इसमें 70 प्रतिशत की वृद्धि हो जाएगी। कैंसर से हर साल 88 लाख लोगों की मौत हो जाती है। दुनिया में छह मौतों में एक मौत कैंसर के कारण होती है। भारत में 30 लाख कैंसर के मरीज हर समय मौजूद रहते हैं। इनमें से हर साल एक तिहाई (लगभग आठ लाख) लोगों की मौत हो जाती है।

सभी कैंसर में से सबसे खतरनाक और सामान्य कैंसर फेफड़े का कैंसर होता है। पिछले 32 वर्षों में दुनिया में सबसे ज़्यादा मामले फेफड़े के कैंसर के सामने आए हैं। प्रतिवर्ष लगभग 13.5 लाख कैंसर के नए मरीज दुनिया में होते हैं। सबसे ज्यादा मृत्यु फेफड़े के कैंसर से होती हैं। फेफड़े के कैंसर का मरीज सबसे कम जीवित रहता है। फेफड़े के कैंसर से एक वर्ष तक जीवित रहने वाला व्यक्ति सबसे अच्छा माना जाता है।

प्रधानमंत्री उज्जवला योजना भारत के गरीब परिवारों की महिलाओं के चेहरों पर खुशी लाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा 1 मई 2016 को शुरू की गई एक योजना है। इस योजना के अंतर्गत गरीब महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन दिए जा रहे हैं।

फेफड़े के कैंसर का सबसे प्रमुख कारण धूम्रपान है। धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को कैंसर का खतरा 10 प्रतिशत बढ़ जाता है। धुम्रपान के समय साथ में रहने वाले को कैंसर का खतरा रहता है। धूम्रपान करने से 30 प्रतिशत धुंआ व्यक्ति के फेफड़े में चला जाता है बाकी का 70 प्रतिशत धुंआ पड़ोसी के पास चला जाता हैं या फिर वातावरण में फ़ैल जाता है। घरों में जो महिलायें चूल्हे पर खाना बनाती हैं उनके चूल्हे का धुंआ उतना ही हानिकारक है जितना धुम्रपान का है। इसके कारण भी फेफड़े का कैंसर हो जाता है।

इस कैंसर के मरीज की उम्र अक्सर 30-40 वर्ष के ऊपर होती है। अक्सर इस कैंसर के मरीज में पाया जाता है कि वह धूम्रपान कर रहा होता है, धूम्रपान कर चुका होता है, आस-पास का कोई व्यक्ति धूम्रपान कर रहा होता है। महिला मरीज वो होती है जिसने कई वर्षों तक चूल्हे पर खाना बनाया होता है। वह व्यक्ति मरीज होता है जो धूल धुंआ और प्रदूषण में काम करता रहा है। इस कैंसर का सम्बन्ध परिवार से भी होता है अगर घर में किसी को है तो आगे होने के चांस बढ़ जाते हैं।

फेफड़े के कैंसर के लक्षण में कुछ लक्षण अचानक से पैदा हो जाते हैं। खांसी आने लगती है, खांसी में खून आने लगता है, वजन कम होने लगता है, व्यक्ति दुबला होने लगता है, थकान लगने लगती है, भूख नहीं लगती है और व्यक्ति में चिढ़चिढ़ापन आने लगता है। आवाज़ बदल जाती है अगर ये सभी लक्षण हैं तो अपने चेस्ट रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए।



Tags:
  • Cancer

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.