सावधानी: होली में केमिकल वाले रंग शरीर के इन हिस्सों पर डालते हैं गंभीर असर, ऐसे करें अपना बचाव

होली रंग-गुलाल का त्योहार है और रंग खेलना किसे नहीं पसंद, लेकिन आजकल बाजार में जिस तरह से केमिकल युक्त रंग आएं हैं वो होली को बदरंग कर सकते हैं। ऐसे में अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए तो होली को खुशियों को बढ़ाया सकता है।

Deepak AcharyaDeepak Acharya   27 March 2021 10:52 AM GMT

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सावधानी: होली में केमिकल वाले रंग शरीर के इन हिस्सों पर डालते हैं गंभीर असर, ऐसे करें अपना बचाव

रंगों और खुशियों का त्यौहार होली अक्सर कई परिवारों के लिए बेरंगा और दुखदायी हो जाता है। वजह है खतरनाक रासायनिक रंगों का दुष्प्रभाव। लोगों में इस त्यौहार को लेकर उत्साह है वहीं एक चिंता यह भी है कि कहीं खतरनाक रंग इस त्यौहार की खुशियों के रंग में भंग ना डाल दें।

जहाँ पुराने समय में होली और रंगों का संबंध सीधे प्रकृति से था, सादगी और समन्वय से था, आज इस त्यौहार में अक्सर रंग में भंग होता देखा जा सकता है, वजहें अनेक हैं लेकिन रासायनिक घातक रंगों के दुष्प्रभावों के चलते सेहत की दुर्दशा जायज़ है। बाज़ार से खरीदी किए रंग रसायनों से भरपूर हो सकते हैं इसी विषय को ध्यान में हैं और इस रंगों का दुष्प्रभाव हमारी सेहत पर इतना ज्यादा हो सकता है कि जिसकी कल्पना तक कर पाना मुश्किल हो।

त्वचा पर एलर्जी से लेकर, आंखों की रौशनी छिन जाने और कैंसर जैसे भयावह रोग होने तक के प्रमाण मिल चुके हैं और ऐसे में रंगों के त्यौहार "फगुवा" को मनाना जी का जंजाल तक हो सकता है। आखिर किस तरह के रंगों का इस्तमाल कर इस तयौहार के मजे लिए जाएं, क्या कोई प्राकृतिक उपाय हैं जिनकी मदद से फगुवा को और भी मजेदार तरीकों से मनाया जा सकेग? ऐसे ही पाँच बड़े सवाल और उनके जवाब इस लेख में दिए जा रहे हैं, आप सब को फगुवा की रंगारंग शुभकामनाएं..

Photo: Pixabay

सवाल: रासायनिक रंगों से होली खेला जाना कितना घातक हो सकता है?

जवाब: रासायनिक रंग हमारे शरीर पर त्वचा रोग, एलर्जी पैदा करते हैं वहीं दूसरी तरफ आँखों में खुजली, लालपन, अंधत्व के अलावा कई दर्दनाक परिणाम देते हैं और इन रंगों की धुलाई होने पर ये नालियों से बहते हुए बड़े नालों और नदियों तक प्रवेश कर जाते है और प्रदूषण के कारक बनते हैं। रसायनों से तैयार रंग जैसे काला, किडनी को प्रभावित करता है, हरा रंग आंखों में एलर्जी और कई बार नेत्रहीनता तक ले आता है, वहीं बैंगनी रासायनिक रंग अस्थमा और एलर्जी को जन्म देता है, सिल्वर रंग कैंसरकारक है तो लाल भी त्वचा पर कैंसर जैसे भयावह रोगों को जन्म देता है। कुलमिलाकर कहा जा सकता है कि रासायनिक हानिकारक रंगों का इस्तमाल हम सब की सेहत के लिए बेहद घातक हो सकता है।

सवाल. रंगों का इस्तमाल नहीं किया जाए तो फिर कैसे खेलें रंगों की फगुवा?

जवाब: फगुवा/ होली बेशक मनायी जानी चाहिए लेकिन रंग प्राकृतिक हों और आपकी सेहत पर इनका दुष्प्रभाव ना हो तो रंग में भंग होने के बजाए असली होली का मजा लिया जा सकेगा। हमारे पाठक चाहे तो अपने ही घर में प्राकृतिक रंगों को बना सकते हैं। हमारे किचन में ही उपलब्ध अनेक वनस्पतियों का उपयोग कर कई तरह के प्राकृतिक रंगों को बनाया जा सकता है। हरे सूखे रंग को तैयार करने के लिए हिना या मेहंदी का सूखा चूर्ण लिया जाए और इतनी ही मात्रा में कोई भी आटा मिला लिया जाए।

सूखी मेहंदी चेहरे पर अपना रंग नहीं छोड़ती और इसके क्षणिक हरे रंग को आसानी से धोकर साफ किया जा सकता है। गुलाबी रंग तैयार करने के लिए एक बीट रूट या चुकन्दर लीजिए, बारीक बारीक टुकड़े करके एक लीटर पानी में डालकर पूरी एक रात के लिए रख दीजिए और सुबह गुलाबी रंग तैयार हो जाएगा। गुड़हल के खूब सारे ताजे लाल फूलों को एकत्र कर लें और छांव में सुखा लें और बाद में इन्हें कुचलकर इनका पावडर तैयार कर लें और इस तरह तैयार हो जाएगा सूखा लाल रंग। यह लाल रंग बालों के लिए एक जबरदस्त कंडिशनर होता है साथ ही गुडहल बालों के असमय पकने को रोकता है और बालों का रंग काला भी करता है।

Photo: Pixabay

इसी तरह पीला सूखा रंग तैयार करने के लिए हल्दी एक चम्मच और बेसन (2 चम्मच) को मिलाकर सूखा पीला रंग तैयार किया जाता है, ये पीला रंग ना सिर्फ आपकी होली रंगनुमा करेगा बल्कि चेहरा और संपूर्ण शरीर कांतिमय बनाने में मदद भी करेगा क्योंकि त्वचा की सुरक्षा के लिए हल्दी और बेसन के गुणों से आप सभी चिरपरिचित हैं। बेसन की उपलब्धता ना होने पर गेहूं, चावल या मक्के के आटा का उपयोग किया जा सकता है। पीला तरल रंग तैयार करने के लिए 4 चम्मच हल्दी को एक लीटर पानी में डालकर उबाल लिया जाए और इसमें लगभग 50-75 पीले गेंदे के फूल डालकर रात भर डुबोकर रखा जाए, अगली सुबह हर्बल पीला तरल रंग तैयार रहेगा और फिर खेलिए खूब होली इस पीले रंग से। पौधे से प्राप्त रंग स्वास्थ्य के लिए उत्तम होने के साथ-साथ पर्यावरण मित्र भी होते हैं, इसके उपयोग से त्वचा पर किसी भी तरह की एलर्जी, संक्रमण या रोग नहीं होते हैं और तो और ये सेहत की बेहतरी में मदद करते हैं।

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सवाल. रंग खेलते समय अक्सर रंग आंखों में प्रवेश कर जाते हैं, क्या ये भी घातक हो सकता है? ऐसा होने पर बतौर प्राथमिक उपचार क्या किया जा सकता है?

जवाब: रंग खेलते समय आंखों में रंग जाना आम बात है लेकिन ये उतना ही घातक भी हो सकता है। रंग कृत्रिम या रसायन आधारित होंगे तो लेने के देने भी पड़ सकते हैं। बतौर प्राथमिक उपचार सर्वप्रथम आंखों को साफ पानी से धोया जाए और ये ध्यान रखा जाए कि आंखों को मसला ना जाए। साफ पानी से आंख धोते वक्त छींटे भी जोर जोर से ना पड़े। आंखों की साफ धुलाई होने के बाद आंखों में दो-दो बूंद गुलाबजल की डालकर आंखों को बंद करके लेटा जाए। यदि असर ज्यादा गहरा नहीं है तो कुछ देर में आराम मिल जाएगा। तेज जलन या लगातार आंखों से पानी टपकने की दशा में तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करें।

सवाल: हम तो प्राकृतिक रंग से फगुवा/ होली खेलेंगे लेकिन कोई अन्य व्यक्ति हमें रसायनयुक्त रंग लगा जाएगा, इससे पहले हमें क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

जवाब: सबसे पहले तो रंगोत्सव मनाने से पहले अपने चेहरे और शरीर की त्वचा पर नारियल या सरसों का तेल लगा रखें। ये तेल त्वचा के छिद्रों में समा जाएगा और रसायनिक रंगों को शरीर के भीतर प्रवेश होने से रोकेगा। सबसे पहले मना करिये और यदि वे ना मानें तो कोशिश करिये कि रंग लगाए जाने के तुरंत बाद इसे साफ पानी से धो लें। सुरक्षा ही सबसे बड़ी सावधानी है।

Photo: Mohit Shukla

सवाल: इस वक्त कोरोना का कहर चल रहा है, इस मौसम में फ्लू और वायरल बुखार भी काफी देखने में आता है, होली खेलते समय इस रोग को ध्यान में रखकर कोई विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है?

जवाब: बिल्कुल सावधानी की जरूरत है। कोरोना (Covid-19) से बचने के लिए सबसे जरुरी है भीड़ से बचें। होली जिस तरह का त्योहार हैं वहां आपसी काफी मिलना जुलना होता है तो ऐसे में बचकर रहें। होली के दौरान आप साधारण फ्लू, सर्दी, छींक या हल्के बुखार से पीड़ित हैं तो होली खेलने से तौबा करें। घर पर आराम करें और अपने आसपास किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को भटकने भी ना दें। यदि आप स्वस्थ हैं और होली का आनंद भी लेना चाहते हैं तो कोशिश करें भीड़-भाड़ के इलाकों में ना जाएं। कोई आस-पास छींक रहा है तो कम से कम २ मीटर की दूरी बनाएं या उस जगह से दूर हो जाएं। पानी के रंगों से दूर रहें।

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