पशुओं का भी होगा एक्सरे और अल्ट्रासाउंड

Ishtyak KhanIshtyak Khan   27 July 2017 3:16 PM GMT

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पशुओं का भी होगा एक्सरे और अल्ट्रासाउंडराजकीय पशु पालन विभाग की तरफ से किया जा रहा है लैब का निर्माण

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

औरैया। जिले को 20 साल बाद एक नई सौगात मिली है। जिले को जो सौगात मिली है उससे पशु पालन को बढ़ावा मिलेगा। असमय मरने वाले पशुओं की संख्या में गिरावट आयेगी। राजकीय पशु पालन विभाग की तरफ से एक लैब का निर्माण कराया जा रहा है। जहां पशुओं के एक्सरा, अल्ट्रासाउंड से लेकर संक्रामक बीमारियों का इलाज किया जाएगा।

जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर शहर में डीएम आवास के पास राजकीय पशु पालन विभाग का अस्पताल बना हुआ है। जहां प्रयोगशाला बनाने की तैयारी चल रही है। सितंबर माह तक प्रयोगशाला बनकर तैयार हो जाएगी। इस प्रयोगशाला के बनने से जिले के पशु पालकों को काफी आराम मिलेगा। जिन पशुओं के ब्लड चेक कर बीमारी पता लगाने के बाद दो माह बीतने पर इलाज होता था। वह इलाज अब लैब में ब्लड चेक होने के बाद 24 घंटे बाद इलाज शुरू हो जाएगा। इससे असमय मरने वाले पशुओं को बचाया जा सकेगा।

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पशु पालकों को हो रहे नुकसान को बचाने के लिए पशु पालन विभाग प्रत्येक प्रकार के हथकंडे अपना रही है। प्रयोगशाला जिले में नोडल एजेंसी की तरह काम करेगी। पशुओं में होने वाले संक्रामक रोगों के सर्विलेंस हेतु सीरम रक्त एवं फीकल, टैकीयल के सेंपल एकत्र कर जांच की जाएगी।

सेंपल इकट्ठा कर भेजे जाएगें बाहर

बर्ड-फ्लू का सैंपल एकत्र कर एचडीएसएल भोपाल, ग्लेंडर से संबंधित हिसार हरियाणा, टयूबर क्लोसिस (टीवी), जोनीज डिसीज (पोंका रोग बकरी में), रिएंडर पेस्टर (बडे जानवरों में पोका रोंग), पेस्टीज-डी-पेटिट रूमीनेंट(मुंह पका, दस्त, बुखार जैसे रोग) के सेंपल इकटठा कर आईवीआरआई प्रयोगशाला इज्जत नगर बरेली भेजे जाऐंगे।

इन बीमारियों का लैब में होगा इलाज

पशुओं में होने वाली सामान्य बीमारियां जैसे की सर्रा, पेट फूलना, टिटनेस, मिल्क टिटनेस, मिल्क फीवर, प्रोटोअल डीसीज का परीक्षण लैब में किया जाएगा। इसके साथ एंटी बायटिक, ड्रग सेंसीटीविटी का परीक्षण तथा माईक्रोस्कोप के साथ विभिन्न प्रकार के उपकरणों से लैब तैयार होगी। परीक्षण के बाद उक्त रोग ग्रस्त पशुओं का इलाज लैब में किया जाएगा।

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मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. एसपी सिंह ने बताया, “ जिले के सदर अस्पताल में लैब का निर्माण कार्य चल रहा है। जहां पशुओं को होने वाले विभिन्न प्रकार के रोगों का आसानी से पता लगाया जा सकेगा। पशु पालकों को हो रहे नुकसान से बचाने का अच्छा प्रयास है। असमय पशुओं की होने वाली मौत से पशु पालकों को निजात मिलेगी।”

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