सीएम योगी की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे प्राइमरी स्कूल ?

Swati ShuklaSwati Shukla   2 July 2017 10:46 PM GMT

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सीएम योगी की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे प्राइमरी स्कूल ?बच्चों के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व अन्य।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। प्रदेश में गाँव-गाँव और शहरी क्षेत्रों में बच्चों में शिक्षा की ललक जगाने और उन्हें स्कूल तक लाने के लिए ‘स्कूल चलो अभियान’ शुरु हो चुका है। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि सरकारी स्कूलों के बच्चों को एक महीने में ड्रेस, जूते बैग सब मिल जाने चाहिए और हर बच्चा स्कूल भी पहुंचे। लेकिन शनिवार को इऩ स्कूलों में जो रवैया दिखा उससे सवाल उठता है कि क्या प्राइमरी स्कूल मुख्यमंत्री योगी की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे।

उत्तर प्रदेश में 1 लाख 65 हजार प्राथमिक विद्यालय है, जिनमें शिक्षकों की संख्या पांच लाख है जबकि विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या डेढ़ करोड़ के आसपास है। दूसरी ओर, पहले ही दिन प्रदेश के विभिन्न प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों और बच्चों की उपस्थिति कम ही दिखाई दी। चिनहट के मखदूमपुर गाँव के प्राथमिक विद्यालय में सिर्फ 9 बच्चे ही पहले दिन उपस्थित रहे, जबकि 178 पंजीकृत हैं।

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वहीं, मेरठ के हस्तिनापुर ब्लॉक के प्राइमरी पाठशाला में पहले दिन कोई बच्चा नहीं पहुंचा। महज शिक्षामित्र ही स्कूल पहुंचे। शिक्षामित्र भी लगभग 11 बजे स्कूल का ताला बंद कर निकल लिए। वहीं, बेसिक शिक्षा अधिकारी मो. इकबाल कहते हैं,“ सोमवार से एबीएसए स्कूलों के निरीक्षण पर निकलेंगे, इसके बाद स्कूल समय से नहीं खुले तो कार्यवाही की जाएगी।”

राजधानी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 200 बच्चों को स्कूल यूनिफॉर्म और बैग बांटकर अभियान का शुभारंभ किया। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा, “ग्रामीण और शहरों के प्राथमिक विद्यालयों में स्कूल चलो अभियान को प्रमुखता से चलाया जाए। हर गाँव, कस्बे और शहर में अभियान चलना चाहिए। गाँव में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करना है।”उन्होंने कहा, ” जुलाई माह में प्रदेश का कोई भी बच्चा स्कूली शिक्षा से वंचित न रहे। एक माह के अन्दर बच्चों को स्कूल यूनिफार्म, किताबें, जूते, बैग मिल जाने चाहिए।“

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सिर्फ सफाई के लिए खुला स्कूल

सुंदर चंदेल, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

मेरठ। परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों ने पहले दिन स्कूल जाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। शनिवार को जब स्कूल खुले तो कहीं इक्का-दुक्का बच्चे पहुंचे, तो कहीं सिर्फ टीचर ही पहुंचे। वे भी टाइम पास कर वापस लौट गए।

हस्तिनापुर ब्लाक के प्राइमरी पाठशाला पाली में पहले दिन कोई बच्चा नहीं पहुंचा। महज शिक्षामित्र ही स्कूल पहुंचे। जब उनसे पूछा गया कि क्या आज स्कूल नहीं खुला है, तो उन्होंने कहा कि पहला दिन है, यहां के बच्चे 5 जुलाई से पहले नहीं आते। शिक्षामित्र भी लगभग 11 बजे स्कूल का ताला बंद करके निकल लिए। यही हाल मेरठ ब्लाक के गांव कुंडा के प्राथमिक विद्यालय का रहा। दो बच्चे स्कूल पहुंचे, जिन्हें झाड़ू लगवाकर घर भेज दिया गया। गांव गोकलपुर के प्राथमिक विद्यालय सिर्फ साफ-सफाई के लिए सुबह सात बजे एक घंटे को खोला गया था। इसके बाद 9 बजे उसका ताला बंद कर दिया गया।

इस बाबत जब बेसिक शिक्षा अधिकारी मो. इकबाल से बात की गई, तो उन्होंने कहा, “सोमवार को एबीएसए स्कूलों के निरीक्षण पर निकलेंगे। इसके बाद स्कूल समय से नहीं खुले तो कार्रवाई की जाएगी।”

मेरठ का स्कूल

पहले दिन ही आधा घंटे देरी से पहुंचे मास्टर साहब

शुभम मिश्र, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

गुगरापुर/सकरावा (कन्नौज)। ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद जुलाई के पहले दिन शैक्षिक सत्र का हाल खराब रहा। अधिकतर शिक्षक-शिक्षिकाएं तय वक्त से स्कूल नहीं पहुंचे। कुछ में ताला लगा मिला। कई जगह तो कुछेक ही बच्चे मिले। ‘गांव कनेक्शन’ ने पहले दिन टीम के साथ पड़ताल की तो ऐसा लगा कि अफसरों की लगाम शिक्षकों पर नहीं रह गई है।

बीएसए अखंड प्रताप सिंह ने 1 जुलाई से स्कूलों के खुलने का समय सुबह आठ बजे से और बंद होने का समय दोपहर एक बजे निर्धारित किया था। साथ ही यह भी कहा था कि शिक्षक-शिक्षिकाएं समय से आधा घंटा पहले पहुंचे। पहले पहुंचने की बात तो दूर, समय के बाद भी कई शिक्षक गोला लगाने में कामयाब रहे। सफाईकर्मियों ने नहीं, बच्चों से स्कूलों की सफाई कराई गई।

कन्नौज

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जिला मुख्यालय कन्नौज से 28 किमी दूर बसे गुगरापुर ब्लाक क्षेत्र के भंवरगाढ़ा पूर्व माध्यमिक विद्यालय में सुबह 8.40 बजे पहुंचने पर कोई भी शिक्षक मौजूद नहीं था। प्रधानाध्यापक कक्ष में ताला लगा था। अन्य कक्षों में दरवाजे ही नहीं थे। कोई भी बच्चा नहीं था। जब उनसे स्कूल के बारे में जानकारी मांगी तो कुछ भी बताने से मना कर दिया।

सौरिख ब्लाक क्षेत्र के प्राथमिक स्कूल नगला खेमकरन में सुबह 8.30 बजे पहुंचने पर सभी चारों शिक्षक मौजूद मिले। यहां बच्चे भी 70 थे। स्कूल में साफ-सफाई भी ठीक थी।कन्नौज के बीएसए अखंड प्रताप सिंह ने बताया,‘‘स्कूलों में लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई की जाएगी। शिक्षकों को सुबह 7.30 बजे स्कूल पहुंचने का आदेश है। बच्चों को प्रार्थना, राष्ट्रीय गान और प्रेरक प्रसंग सुनाए जाएं।’’

स्कूल खुला, लेकिन पहुंचे सिर्फ नौ बच्चे

आकाश सिंह, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

बाराबंकी। जुलाई की पहली तारीख को विद्यालय तो खुले और शिक्षक भी उपस्थित रहे, लेकिन विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की संख्या बहुत कम मिली। जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय मानपुर में कुल 121 बच्चे पंजीकृत हैं, जिनमें से मात्र 9 बच्चे ही पहले दिन विद्यालय में उपस्थित थे। पूर्व माध्यमिक विद्यालय मानपुर की प्रिंसिपल संगीता श्रीवास्तव ने बताया, “बच्चों की संख्या काफी कम है और इस वर्ष 31 बच्चों ने विद्यालय में प्रवेश लिया है।”

जैसा कि इस समय खेती किसानी का काम भी जोरों पर है, इस वजह से भी ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे विद्यालय नहीं जा रहे हैं और विद्यालय में बहुत कम छात्र ही उपस्थित हो पा रहे हैं। वहीं प्राथमिक विद्यालय तारागंज ब्लॉक हैदरगढ़ की प्रिंसिपल कल्पना शुक्ला ने बताया, “विद्यालय में कुल सौ छात्र-छात्राए पंजीकृत हैं, जिनमें से से 10 बच्चे ही उपस्थित हैं। इस वर्ष 14 बच्चों ने विद्यालय में एडमिशन लिए हैं।”

गांव के ये बच्चे काम के साथ करते हैं पढ़ाई

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