रायबरेली : सरकारी डॉक्टर दे रहे प्राइवेट पैथोलॉजी की सलाह  

Lokesh Mandal shuklaLokesh Mandal shukla   1 July 2017 7:46 PM GMT

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रायबरेली : सरकारी डॉक्टर दे रहे प्राइवेट पैथोलॉजी की सलाह  सरकारी अस्पताल के डॉक्टर का पर्चा देखिए

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

रायबरेली। "डॉक्टर को अपनी समस्या बताई तो बगैर कुछ ज्यादा पूछे डॉक्टर ने पर्दे के पीछे अल्ट्रासाउंड कराने को लिख दिया और कहा कि डॉक्टर अवस्थी के यहां अल्ट्रासाउंड करवा लो वहां अर्जेंट में अल्ट्रासाउंड हो जाएगा और तुमको रिपोर्ट भी जल्दी मिल जायेगी।" यह कहना है 28 वर्षीय गायत्री शुक्ला का।

जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर बछरावां ब्लाक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर मरीजों को बाहर से प्राइवेट पैथोलॉजी में जांच करवाने की सलाह दे रहे हैं। साथ ही साथ उस संस्थान का नाम और वहां की गुणवत्ता भी बताते हैं, जहां जांच के लिए मरीजो को भेजते हैं।

यह मामला है बछरावां ब्लाक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का जहां दिन भर में सैकड़ों मरीज आते जाते हैं, वहीं 28 वर्षीय गायत्री शुक्ला जो कि कानपुर, शुक्लागंज की रहने वाली हैं वह यहां बछरावां अपने मायके आई हुई थी।

बीमारी के बारे में ज्यादा विस्तार से ना बताते हुए अपनी भाभी के साथ स्वास्थ्य केंद्र आयी गायत्री शुक्ला ने बताया वह गर्भवती थी और अचानक उन्हें ब्लीडिंग होने लगी तो उन्होंने सोचा कि चलो अस्पताल जाकर दिखा लेते हैं और जब वह बछरावां सरकारी अस्पताल दिखाने आई तो उन्हें महिला डॉक्टर, डॉक्टर प्रीति गुप्ता ने देखा और देखने के तुरंत बाद पर्चा पलटकर अल्ट्रासाउंड के लिए लिखते हुए बताने लगी कि डॉक्टर अवस्थी के यहां चली जाओ वहां से अल्ट्रासाउंड करवा लो मैं यहां 2:00 बजे तक ही मिलूंगी, वह अल्ट्रासाउंड जल्दी हो जाएगा।

गायत्री आगे बताते हुए कहती हैं, "मैं फिर डॉक्टर अवस्थी के यहां गई और वहां पहले 500 रुपए जमा करवा लिया और एक पर्ची मिली जिस पर मेरा नाम और डॉक्टर का नाम लिखा था और साथ ही यह भी लिखा था कि कौन सी जांच होनी है, पर्ची लेकर मैं आगे बढ़ी तो मेन गेट के पास बैठी एक महिला ने एक रजिस्टर में सबकुछ नोट किया और सरकारी अस्पताल के पर्चे को ले लिया और कुछ देर बाद उस पर्चे की फ़ोटोकॉपी करवाकर अपने पास रख ली।

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रिपोर्ट लेकर गायत्री सरकारी अस्पताल पहुंची तो डॉक्टर नहीं थी। पता किया तो पता चला कि डॉक्टर अंदर वार्ड में है वहां गई तो डॉक्टर अपने दूसरे कक्ष में लेटी हुई थी उन को रिपोर्ट दिखाई तो उन्होंने लेटे लेटे ही रिपोर्ट पढ़ी। उस वक्त दोपहर के करीब दो बजे थे। रिपोर्ट देखने के बाद उन्होंने कहा कि बच्चा अब पेट में नहीं है इसकी सफाई करवा लो और जो इंजेक्शन लगवा रही थी लगवाना बंद कर दो।

यह कोई पहली घटना नहीं है रोजाना ऐसी सैकड़ों गायत्री के साथ ऐसा होता है। मगर लेकिन कोई आवाज नहीं उठा पाती क्योंकि उन्हें डर होता है कि कहीं ऐसा ना हो कि डॉक्टर देखने से मना कर दे तो उसे ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़े।

हरचंदपुर ब्लॉक की इंटर की छात्रा प्रिया चौरसिया जो कि करीब एक महीने पहले अपने गाँव से एक महिला को लेकर बछरावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गईं थीं। बताती हैं, "यहां हमने डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने बाहर से अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए बोल दिया। सोचा था कि बछरावां में अच्छी सुविधाएं हैं तो वहां कम पैसों में काम हो जाएगा लेकिन जिसके लिए मैं बछरावां आई थी यहां तो उल्टा ही हो गया इससे अच्छा मैं जिला अस्पताल चली जाती।"

मामले की सत्यता परखने के लिए जब डॉक्टर प्रीति गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने बताया "हमारे यहां बछरावां अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन नहीं है। तो हम लोग रायबरेली के लिए लिखते है।"

मामले की और जानकारी के लिए जब बछरावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉक्टर जैशल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि "हमने सब को मना कर रखा है कि कोई भी बाहर से किसी प्रकार का कोई चेकअप न लिखे और रही अल्ट्रासाउंड की बात तो महाराजगंज में अल्ट्रासाउंड मशीन है और वहां निशुल्क जांच होती है। डॉक्टर जिला अस्पताल के लिए या महाराजगंज के लिए बोल सकता है और अगर ऐसा है तो उनसे स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।"

मामले के बारे में जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी दिनेश कुमार सिंह से फोन पर बात की गई तो उन्होंने बताया, "अगर ऐसा है तो डॉक्टर को दंडित किया जाएगा सही तरीका ये है कि जैसे कोई सुविधा आप के स्वास्थ्य केंद्र में नहीं है तो आप उसे जिला अस्पताल भेज दीजिए और पर्चे पर लिखे की रिफर्ड टू डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल फ़ॉर ...... और अगर किसी ने ऐसा किया है तो उसे डांटा जाएगा क्योंकि डांटकर ही सुधारा जा सकता है और अगर बार बार यह गलती हो रही है तो उसे दंडित किया जाएगा।"

मुख्य चिकित्सक अधिकारी के अनुसार रायबरेली जिले में 16 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, जिनमें केवल ऊंचाहार ,लालगंज, महाराजगंज इन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ही अल्ट्रासाउंड मशीन हैं।"

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