सब्जी की खेती कर किसान ने बेटे को बनाया प्रोफेसर
Jitendra Tiwari | Jun 12, 2017, 07:49 IST
गोरखपुर। नाम है रामवृक्ष। काम भी है वृक्ष के छाए की तरह। तभी तो परिवार की माली हालत ठीक नहीं होने के बावजूद दिनरात मेहनत कर जिंदगी की गाड़ी को पटरी पर ला दिया। ऐसे पिता के हौसले को सलाम, जिन्होंने खेत में सब्जी उगाकर अपनी बगिया को संवार लिया। उनके दो बेटों के अलावा एक भी बेटी है। तीनों काफी होनहार हैं, ये पिता की मजबूरियों को समझने वाले हैं। बड़ा बेटा जेआरएफ करने के बाद प्रोफेसर बन गया। वहीं छोटा बेटा एमए करने के बाद सिविल सेवा की तैयारी कर रही है। जबकि बेटी एमए की पढ़ाई कर रही है।
हम बात कर रहे हैं चरगांवा ब्लॉक के रजही निवासी रामवृक्ष चौहान (48) की जिन्होंने तीनों बच्चों को पढ़ाने के लिए जी तोड़ मेहनत की। जिसका नतीजा है कि उनके बड़े बेटे सुरेंद्र चौहान ने एमए करने के बाद नेट व जेआरएफ क्वालीफाई कर लिया। इसके बाद लखनऊ यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहे हैं। इसी दौरान सुरेंद्र का चयन उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग के तहत असिसटेंट प्रोफेसर के पद पर चयन हो चुका है। फिलहाल सुरेंद्र गर्मी की छुट्टी बिताने गांव आए हैं।
बेटे की इस कामयाबी को लेकर पूरे परिवार में खुशी का माहौल है, वहीं रामवृक्ष व उनकी पत्नी संगीता देवी को अपने बेटे सुरेंद्र पर काफी गर्व है। जिसने परिवार की मजबूरियों को समझते हुए लगन से पढ़ाई की। बातचीत में सुरेंद्र ने बताया कि मेरी कामयाबी के पीछे पिता व माता दोनों का हाथ है। पिता ने विषम परिस्थितियों में मुझे पढ़ाया। मामूली खेत में सब्जी उगाने के साथ लोन लेकर खुद ही टेंपो भी चलाया।
सुरेंद्र ने बताया कि छोटा भाई संजय व बहन रेनू भी पढऩे में काफी होनहार हैं। उन दोनों का सिविल सेवा की तरफ रुझान है। पिता के मेहनत को समझते हुए हम सब लगन के साथ जुटे हुए हैं। सुरेंद्र ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता व परिवार के अलावा अपने गुरुजनों को दिया।
गोरखपुर यूनिवर्सिटी से वर्ष 2010 में प्राचीन इतिहास विषय से एमए करने के बाद सुरेंद्र सिविल सेवा की तैयारी के लिए दिल्ली गए थे। जहां पर दो साथ तैयारी करने के दौरान उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी थी। लेकिन उसे क्वालीफाई नहीं कर सके। सुरेंद्र आईएएस बनना चाहते थे। अभी वह और तैयारी करना चाहते थे, परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उन्हें वापस घर लौटना पड़ा। कुछ दिन बाद पिता रामवृक्ष ने दोबारा इलाहाबाद भेजा। जहां से पहले नेट व बाद में जेआरएफ क्वालीफाई कर लिया।
जेआरएफ के दौरान सुरेंद्र को मदद स्वरूप कुछ भत्ता मिलने लगा। जो काफी मददगार साबित हुआ। इसके बाद उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी में वर्ष 2016 में पीएचडी में दाखिला ले लिया। इसी दौरान सुरेंद्र का असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर चयन हो गया।
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बेटे की इस कामयाबी को लेकर पूरे परिवार में खुशी का माहौल है, वहीं रामवृक्ष व उनकी पत्नी संगीता देवी को अपने बेटे सुरेंद्र पर काफी गर्व है। जिसने परिवार की मजबूरियों को समझते हुए लगन से पढ़ाई की। बातचीत में सुरेंद्र ने बताया कि मेरी कामयाबी के पीछे पिता व माता दोनों का हाथ है। पिता ने विषम परिस्थितियों में मुझे पढ़ाया। मामूली खेत में सब्जी उगाने के साथ लोन लेकर खुद ही टेंपो भी चलाया।
सुरेंद्र ने बताया कि छोटा भाई संजय व बहन रेनू भी पढऩे में काफी होनहार हैं। उन दोनों का सिविल सेवा की तरफ रुझान है। पिता के मेहनत को समझते हुए हम सब लगन के साथ जुटे हुए हैं। सुरेंद्र ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता व परिवार के अलावा अपने गुरुजनों को दिया।
आर्थिक परेशान के चलते सुरेंद्र को दिल्ली से लौटना पड़ा
जेआरएफ के दौरान सुरेंद्र को मदद स्वरूप कुछ भत्ता मिलने लगा। जो काफी मददगार साबित हुआ। इसके बाद उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी में वर्ष 2016 में पीएचडी में दाखिला ले लिया। इसी दौरान सुरेंद्र का असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर चयन हो गया।
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