कपड़े की बजाए सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग करें किशोरियां
Ishtyak Khan | May 28, 2017, 20:21 IST
इश्त्याक खान
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
औरैया। अंतर्राष्ट्रीय माहवारी स्वच्छता दिवस को गाँव कनेक्शन फाउंडेशन ने जिले की आशा बहू, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, महिलाओं और किशोरियों के साथ मनाया। कार्यक्रम में औरैया की एएनएम ने महिलाओं और किशोरियों को माहवारी के उन दिनों में घरेलू कपड़े का प्रयोग न कर सैनिटरी नैपकिन प्रयोग करने की सलाह दी।
एक-एक कर बोली महिलाएं तो सुलझी उन दिनों को लेकर दिमाग में उलझी गुत्थी एएनएम ब्रहमा कुमारी बताया, "अधिकतर गाँव, देहात की महिलाएं और किशोरियां घरेलू कपड़े का प्रयोग माहवारी के समय करती हैं। जबकि ये कपड़े त्वचा के लिए नुकसान दायक होते हैं। इसके अलावा इन कपडों के प्रयोग से कभी-कभी प्रजनन में भी समस्या उत्पन्न होने लगती है। आज की किशोरी कल की मां बनेंगी। किशोरियां कपड़ों का प्रयोग न कर सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग करें।"
वहीं सहाब्दा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की एएनएम किसना भदौरिया ने किशोरियों को बताया कि माहवारी के दिनों में अधिक ब्लड आने पर अपने गाँव की आशा बहू से परामर्श लें। अधिक ब्लड आने और उसका संकोच कर दवा न कराने पर शरीर कमजोर पड़ जाता है। कभी-कभी तो ब्लड की कमी पूरी न होने पर टीवी रोग की भी संभावना बढ जाती है।
इसी के साथ रंतौधी रोग, सूखा जैसे रोग हो जाते है। इन सबसे बचने के लिए किशोरियों और महिलाओं को चिकित्सकीय परामर्श लेना बहुत जरूरी है। स्वच्छता के बारे में बताते हुए कहा कि किशोरयां और महिलाए नैपकिन खेतों में न डाले उन्हें किसी गहरे गढढे में डाल दें या फिर जमीन में खोद कर गाड़ दें। सैनिटरी नैपकिन को किसी साग-सब्जी के खेत में भी न डालें। इससे निकलने वाले कीटाणु बडे खतरनाक होते हैं।
माहवारी के दिनों की बात पर चुप नहीं रही महिलाएं, पूछे सवाल और हुईं जागरूकआगंनबाडी कार्यकत्री रेशमा (32) निवासी तिलक नगर औरैया बताती हैं, "माहवारी के समय शरीर में चिड़चिड़ापन बना रहता है। इससे किसी भी काम में मन नहीं लगता है। एक अजीब से उलझन शरीर में रहती है, जिसे बर्दाश्त करना बड़ा मुश्किल हो जाता है।
गांव कनेक्शन फाउंडेशन की कम्युनिटी जर्नलिस्ट रहनुमा बेगम (26) बताती हैं कि माहवारी के समय में किसी से बात करने का मन नहीं करता है। अगर कोई बात करता है तो उससे उलझन होती है। इसलिए एकांत और शांत जगह रहने का मन करता है।
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
औरैया। अंतर्राष्ट्रीय माहवारी स्वच्छता दिवस को गाँव कनेक्शन फाउंडेशन ने जिले की आशा बहू, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, महिलाओं और किशोरियों के साथ मनाया। कार्यक्रम में औरैया की एएनएम ने महिलाओं और किशोरियों को माहवारी के उन दिनों में घरेलू कपड़े का प्रयोग न कर सैनिटरी नैपकिन प्रयोग करने की सलाह दी।
जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर शहर के सदर ब्लाक सभागार में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अयाना की एएनएम ब्रहमा कुमारी ने महिलाओं को माहवारी के उन कठिन दिनों से अवगत कराते हुए इससे होने वाली बीमारियों के बारे में बताया।
एक-एक कर बोली महिलाएं तो सुलझी उन दिनों को लेकर दिमाग में उलझी गुत्थी एएनएम ब्रहमा कुमारी बताया, "अधिकतर गाँव, देहात की महिलाएं और किशोरियां घरेलू कपड़े का प्रयोग माहवारी के समय करती हैं। जबकि ये कपड़े त्वचा के लिए नुकसान दायक होते हैं। इसके अलावा इन कपडों के प्रयोग से कभी-कभी प्रजनन में भी समस्या उत्पन्न होने लगती है। आज की किशोरी कल की मां बनेंगी। किशोरियां कपड़ों का प्रयोग न कर सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग करें।"
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इसी के साथ रंतौधी रोग, सूखा जैसे रोग हो जाते है। इन सबसे बचने के लिए किशोरियों और महिलाओं को चिकित्सकीय परामर्श लेना बहुत जरूरी है। स्वच्छता के बारे में बताते हुए कहा कि किशोरयां और महिलाए नैपकिन खेतों में न डाले उन्हें किसी गहरे गढढे में डाल दें या फिर जमीन में खोद कर गाड़ दें। सैनिटरी नैपकिन को किसी साग-सब्जी के खेत में भी न डालें। इससे निकलने वाले कीटाणु बडे खतरनाक होते हैं।
माहवारी के दिनों की बात पर चुप नहीं रही महिलाएं, पूछे सवाल और हुईं जागरूक