तराई क्षेत्र में कर रहे मुनाफे की खेती

Akash SinghAkash Singh   19 Jun 2017 8:37 AM GMT

तराई क्षेत्र में कर रहे मुनाफे की खेतीतराई क्षेत्र में कई छोटे किसान सब्जियों की खेती कर रहे हैं।

स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

बाराबंकी। जहां प्रदेश के किसान नई-नई तकनीक अपनाकर खेती करते हैं, वहीं छोटे किसान कम संसाधनों में भी उन्नत सब्जियों की खेती कर कम लागत में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं।जिले में गोमती नदी के किनारे तराई क्षेत्र में कई छोटे किसान सब्जियों की खेती कर रहे हैं। इन सब्जियों से कम लागत में अच्छा मुनाफा भी होता है।

तराई क्षेत्र में खेती कर रहे पुरे मल्हान गाँव के किसान नन्हें बताते हैं, "खेत की तुलना में तराई क्षेत्र में सब्जियां उगाने से अधिक मुनाफा होता है। पहले नदी के किनारे लगी झाड़ियों और घास को साफ किया जाता है। फिर साफ करने के बाद क्यारियां बनाई जाती हैं और बाद में उनको कुदाल की सहायता से गोड़ाई की जाती है।" नन्हें आगे कहते हैं, "जब नालियां तैयार हो जाती हैं तो नालियों के बीच में बीज बोए जाते हैं और पम्पिंग सेट की सहायता से नदी से पानी लाकर इनकी सिंचाई की जाती है।"

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एक बीघा में लगभग पांच हजार के करीब लागत आती है और जब सब्जियां तैयार हो जाती हैं तो उनको आस पास को बाजारों में या फिर थोक में बेच दिया जाता है और सारी लागत निकालने के बाद 15-20 हजार तक मुनाफा एक बीघे में होता है। तराई क्षेत्रों में कद्दु, लौकी, ककड़ी, तोरई, करेला, तरबूज की पैदावार काफी अच्छी होती है और इनसे मुनाफा भी अधिक होता है। वहीं पर ग्राम डेढ़ा पट्टी के निवासी जगनू ने भी तराई में कुछ सब्जियां उगा रखी है उन्होंने बताया कि तराई क्षेत्र में फायदा तो बहुत है लेकिन बरसात के दिनों में बाढ़ आने का डर भी सताए रहता है।

तराई क्षेत्र के अधिकतर किसान जमीन किराये पर लेकर ही सब्जियों की खेती करते हैं। कम पैसे वाले किसानों के लिए इस तरह की खेती करना वरदान है। यहां तराई के मजदूर किसानों ने जानवरों से अपनी सब्जियों को बचाने के लिए यही पर झोपड़िया बना रखी है और दिन रात यहीं इन्हीं झोपड़ियों में रहते है।

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