अब छोटे किसान भी लगा सकेंगे गोबर गैस प्लांट

Diti BajpaiDiti Bajpai   30 Aug 2017 6:55 PM GMT

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अब छोटे किसान भी लगा सकेंगे गोबर गैस प्लांटकम जगह और पैसे की लगात की लागत से लगा सकते है जनता बायोेगैस प्लांट।

दिति बाजपेई, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क/ गाँव कनेक्शन

लखनऊ। हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्ववि्दयालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा आधुनिक गोबर गैस प्लांट बनाया है जो ताजे गोबर से चलता है। इस प्लांट को लगाने के लिए कम जगह और पैसे की लागत दूसरे प्लांट के मुकाबले कम आती है।

“छोटे किसान जो एक दो पशुओं को पाल रहे है वो भी गोबर का उचित उपयोग कर सके इसको देखते हुए ही इस प्लांट को तैयार किया गया है। तीन-चार पशुओं के 2 घनमीटर का प्लांट और एक-दो पशुओं के लिए एक घनमीटर का प्लांट लगा सकता है। इस गैस प्लांट से चूल्हा, बल्ब और कम हार्स पावर का इंजन भी चला सकते है।” हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्ववि्दयालय के सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॅा राजेश गेरा ने बताया, “इसमे ताजा गोबर डाला जाता है। गोबर को पानी में घोलकर डालने जरुरत नहीं होती है, जिससे समय और मेहनत दोनों की ही बचत होती है। अगर कोई पशुपालक मुर्गी पालन कर रहा है तो वो गोबर के मुर्गी की खाद भी मिला कर डाल सकते है, जिससे 10 से 15 फीसदी गैस ज्यादा बनती है और खाद की गुण वत्ता भी बढ़ती है।

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वैज्ञानिकों ने इस प्लांट को जनता बायोगैस प्लांट का नाम दिया है। इस नए डिजाइन के प्लांट में गोबर डालने का पाइप 12 इंच चौड़ा रखा गया है ताकि गोबर बिना पानी से डाला जा सके। गोबर के निकलने की जगह को भी चौड़ा रखा गया है, जिससे गोबर गैस के दबाव से खुद बाहर आ सके। जो गोबर निकलता है वो काफी गाढ़ा होता है।

स्लरी से बनती है अच्छी जैविक खाद

इस प्लांट की खासियत के बारे में डॅा. राजेश बताते हैं, “इससे काफी तेजी से ऊर्जा पैदा होती है। इसे घर के आंगन में ही लगा सकते है। इसके आस-पास की जगह भी साफ रहती है और बदबू नहीं आती है और इससे बनने वाली गैस से चार-पांच लोगों का तीन समय का खाना आसानी से बन जाता है। इससे निकली गोबर खाद में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की मात्रा गोबर के मुकाबले ज्यादा होती है। इसका इस्तेमाल करने से जमीन की गुणवत्ता अच्छी हो जाती है।

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बायोगैस प्लांट लगाने के लिए भारत सरकार देती है अनुदान

गोबर द्वारा चलने वाले जनता मॉडल के बायोगैस प्लांट में बाहर निकलने वाला गोबर (सलरी) गाढ़ा होता है, इसलिए इसे इकट्ठा करने के लिए गड्ढ़े की जरुरत नहीं पड़ती इसे आसानी से इकट्ठा करके खेत में डाला जा सकता है। अगर प्लांट ठीक तरह से बनाया गया है तो वह काफी सालों तक चलता है। गोबर गैस प्लांट बनाने के लिए भारत सरकार समय-समय पर किसानों को अनुदान भी देती है।

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ज्यादा जानकारी के लिए करें संपर्क

इस प्लांट की ज्यादा जानकारी के लिए हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्ववि्दयालय के सूक्ष्मजीव विभाग में संपर्क कर सकते है। 01662-255292

        

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