ग्रामीण स्वास्थ्य की हक़ीकत देखिए
Basant Kumar 20 Jun 2017 11:05 AM GMT

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
रायबरेली। एक तरफ प्रदेश सरकार गाँवों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने की पूरी कोशिश कर रही है, वहीं ग्रामीण अस्पतालों के डॉक्टरों और कर्मचारियों की लापरवाही से मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
रायबरेली जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर जगतपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक महिला दो घंटों तक ज़मीन पर लेटी रही, लेकिन डॉक्टर या किसी कर्मचारी ने हालचाल लेना जरूरी नहीं समझा।
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पड़ोसियों से झगड़ा होने के बाद जिले के लायक सिंह के पुरवा की रहने वाली गुड़िया अस्पताल आई थी, वह दर्द से परेशान थी, इसलिए कहीं जगह न पाकर बरामदे में ही लेट गई। गुड़िया के बगल में बैठी तारावती (45 वर्ष) ने बताया, “पिछले दो घंटे से मैं इस महिला को जमीन पर दर्द से कराहते देख रही हूं। कोई भी देखने वाला नहीं है।”
गुड़िया के साथ आए उसके बेटे रोहित कुमार प्रजापति ने बताया, “कल पड़ोसियों ने मेरी माँ को बहुत मारा था। मामला दर्ज कराने के लिए हम मेडिकल रिपोर्ट बनवाने आए थे। डॉक्टर ने एक घंटा इंतज़ार करने के लिए कहा। कहीं जगह न होने पर मजबूरी में ज़मीन पर ही लेटना पड़ा।’’
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इस बारे में स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद डॉक्टर मोहम्मद सफैद ने उल्टे महिला पर ही आरोप लगाते हुए कहा, “पंखे को देखकर महिला फर्श पर सो गयी थी। ये अंदर जाकर बेड पर भी सो सकती थी।”
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