By Preeti Nahar
अगर महिला किसानों को पुरुषों के बराबर संसाधन मिलें, तो खेती की पैदावार 20-30% तक बढ़ सकती है। इससे दुनिया भर में भुखमरी 15% तक कम हो सकती है। महिला किसान सिर्फ़ परिवारों का पेट ही नहीं भरतीं, बल्कि ग्रामीण समुदायों को मज़बूत बनाती हैं और देश की अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान देती हैं।
अगर महिला किसानों को पुरुषों के बराबर संसाधन मिलें, तो खेती की पैदावार 20-30% तक बढ़ सकती है। इससे दुनिया भर में भुखमरी 15% तक कम हो सकती है। महिला किसान सिर्फ़ परिवारों का पेट ही नहीं भरतीं, बल्कि ग्रामीण समुदायों को मज़बूत बनाती हैं और देश की अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान देती हैं।
By Gaon Connection
रुद्रप्रयाग के एक छोटे से गाँव में, एक BSF जवान ने एक महिला की दर्दनाक मौत को सिर्फ याद नहीं रखा, उसने उसे बदलाव की जड़ बना दिया। सेवानिवृत्ति के बाद जहाँ लोग आराम की तलाश करते हैं, वहीं जगत सिंह चौधरी, जिन्हें लोग प्यार से ‘जंगली दादा’ कहते हैं, ने अपनी बंजर ज़मीन पर जंगल उगा दिया।
रुद्रप्रयाग के एक छोटे से गाँव में, एक BSF जवान ने एक महिला की दर्दनाक मौत को सिर्फ याद नहीं रखा, उसने उसे बदलाव की जड़ बना दिया। सेवानिवृत्ति के बाद जहाँ लोग आराम की तलाश करते हैं, वहीं जगत सिंह चौधरी, जिन्हें लोग प्यार से ‘जंगली दादा’ कहते हैं, ने अपनी बंजर ज़मीन पर जंगल उगा दिया।
By Divendra Singh
दो आदिवासी बहनें जब मंच पर गाती हैं, तो उनकी आवाज़ सिर्फ संगीत नहीं, संस्कृति की पुकार बन जाती है। उनके गीत पूरे आदिवासी समाज से पूछते हैं कि क्या हम अपनी जड़ों, अपनी पहचान और अपनी कुड़ुख भाषा से दूर जाते जा रहे हैं?
दो आदिवासी बहनें जब मंच पर गाती हैं, तो उनकी आवाज़ सिर्फ संगीत नहीं, संस्कृति की पुकार बन जाती है। उनके गीत पूरे आदिवासी समाज से पूछते हैं कि क्या हम अपनी जड़ों, अपनी पहचान और अपनी कुड़ुख भाषा से दूर जाते जा रहे हैं?
By Gaon Connection Support
लखनऊ में 10 दिवसीय खादी महोत्सव-2025 की शुरुआत, 160 से अधिक उद्यमियों एवं इकाइयों द्वारा उत्पादों का प्रदर्शन, युवाओं को बांटे गए टूल किट, किया गया पुरस्कृत
लखनऊ में 10 दिवसीय खादी महोत्सव-2025 की शुरुआत, 160 से अधिक उद्यमियों एवं इकाइयों द्वारा उत्पादों का प्रदर्शन, युवाओं को बांटे गए टूल किट, किया गया पुरस्कृत
By Gaon Connection
By Divendra Singh
कुछ महीने पहले तक गाँव की इन महिलाओं को अंदाज़ा नहीं था कि वो अपना कारोबार शुरू कर लेंगी। आज इन्हे न काम से निकाले जाने की चिंता है और न ही छोटी-छोटी जरूरतों के लिए किसी के आगे हाथ फैलाने की; क्यों मजदूरी करने वाली महिलाएँ बन गईं हैं बिजनेस वूमेन
कुछ महीने पहले तक गाँव की इन महिलाओं को अंदाज़ा नहीं था कि वो अपना कारोबार शुरू कर लेंगी। आज इन्हे न काम से निकाले जाने की चिंता है और न ही छोटी-छोटी जरूरतों के लिए किसी के आगे हाथ फैलाने की; क्यों मजदूरी करने वाली महिलाएँ बन गईं हैं बिजनेस वूमेन
By Ranvijay Singh
Thousands of women are earning their own livelihood after joining self-help groups that are helping them to be self-sufficient and financially independent
Thousands of women are earning their own livelihood after joining self-help groups that are helping them to be self-sufficient and financially independent
By Diti Bajpai
By Ramji Mishra
छुट्टा पशुओं की समस्या और ग्रामीण स्तर पर कंटीले तारों और जाली की मांग को देखते हुए स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने इसे अपनी आजीविका का जरिया बना लिया है। वो आसपास के किसानों को शहर से सस्ते उत्पाद बेचकर अपना कारोबार बढ़ा रही हैं।
छुट्टा पशुओं की समस्या और ग्रामीण स्तर पर कंटीले तारों और जाली की मांग को देखते हुए स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने इसे अपनी आजीविका का जरिया बना लिया है। वो आसपास के किसानों को शहर से सस्ते उत्पाद बेचकर अपना कारोबार बढ़ा रही हैं।
By Neetu Singh
कभी दूसरों के खेत में मेहनत मजदूरी करने वाली झारखंड की ये महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर आज कृषि उत्पादक कम्पनियों की मालिक बन गई हैं। ये महिलाएं 'एग्री पार्ट' जैसे केन्द्रों को खोलकर किसानों को बाजार से कम दामों में कृषि से जुड़े सामान बेचती हैं और कृषि से जुड़ी समस्याओं का नि:शुल्क समाधान करती हैं।
कभी दूसरों के खेत में मेहनत मजदूरी करने वाली झारखंड की ये महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर आज कृषि उत्पादक कम्पनियों की मालिक बन गई हैं। ये महिलाएं 'एग्री पार्ट' जैसे केन्द्रों को खोलकर किसानों को बाजार से कम दामों में कृषि से जुड़े सामान बेचती हैं और कृषि से जुड़ी समस्याओं का नि:शुल्क समाधान करती हैं।