उत्तराखंड में अब खेती की ज़मीन पर भी बन सकेंगे रिसॉर्ट
उत्तराखंड में अब खेती की ज़मीन पर भी बन सकेंगे रिसॉर्ट

By Gaon Connection

उत्तराखंड सरकार ने विकास, पर्यटन और नागरिक जीवन सुधार के लिए ऐसे फैसले किए हैं, जो सीधे आम लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाएंगे। किसान, भूमिहीन, युवा प्रतियोगी परीक्षार्थी और शहरवासियों के लिए नई उम्मीदें और अवसर खुल रहे हैं

उत्तराखंड सरकार ने विकास, पर्यटन और नागरिक जीवन सुधार के लिए ऐसे फैसले किए हैं, जो सीधे आम लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाएंगे। किसान, भूमिहीन, युवा प्रतियोगी परीक्षार्थी और शहरवासियों के लिए नई उम्मीदें और अवसर खुल रहे हैं

ग्रामीण भारत की बड़ी चुनौती: आज भी अधूरी चिकित्सा व्यवस्था
ग्रामीण भारत की बड़ी चुनौती: आज भी अधूरी चिकित्सा व्यवस्था

By Dr SB Misra

गाँव में आज भी चिकित्सा व्यवस्था संतोषजनक नहीं है। 70% आबादी गाँवों में रहती है, लेकिन डॉक्टरों का सिर्फ़ 26% हिस्सा वहां उपलब्ध है। अस्पतालों की कमी, दवाइयों का अभाव, झोलाछाप डॉक्टरों का बोलबाला और तेजी से बढ़ती शहरी बीमारियां, ग्रामीण स्वास्थ्य को बड़ी चुनौती के रूप में खड़ी कर रही हैं।

गाँव में आज भी चिकित्सा व्यवस्था संतोषजनक नहीं है। 70% आबादी गाँवों में रहती है, लेकिन डॉक्टरों का सिर्फ़ 26% हिस्सा वहां उपलब्ध है। अस्पतालों की कमी, दवाइयों का अभाव, झोलाछाप डॉक्टरों का बोलबाला और तेजी से बढ़ती शहरी बीमारियां, ग्रामीण स्वास्थ्य को बड़ी चुनौती के रूप में खड़ी कर रही हैं।

सड़कें बनीं, वाहन बढ़े… लेकिन सुरक्षा कहाँ? ग्रामीण भारत में बढ़ती दुर्घटनाओं पर सवाल
सड़कें बनीं, वाहन बढ़े… लेकिन सुरक्षा कहाँ? ग्रामीण भारत में बढ़ती दुर्घटनाओं पर सवाल

By Dr SB Misra

एक समय था जब गाँवों की लाइफ साइकिल और बैलगाड़ी तक सीमित थी। आज वहां मोटरसाइकिल, कार और ट्रैक्टर की भरमार है, लेकिन ड्राइविंग ट्रेनिंग और ट्रैफिक नियमों की समझ पीछे छूट गई। नतीजा: दुर्घटनाएं बढ़ रहीं, और जिम्मेदारी कोई लेने को तैयार नहीं।

एक समय था जब गाँवों की लाइफ साइकिल और बैलगाड़ी तक सीमित थी। आज वहां मोटरसाइकिल, कार और ट्रैक्टर की भरमार है, लेकिन ड्राइविंग ट्रेनिंग और ट्रैफिक नियमों की समझ पीछे छूट गई। नतीजा: दुर्घटनाएं बढ़ रहीं, और जिम्मेदारी कोई लेने को तैयार नहीं।

कहानी बीजों की, मिट्टी की और एक किसान की जिसने भविष्य को बचाने की ठान ली
कहानी बीजों की, मिट्टी की और एक किसान की जिसने भविष्य को बचाने की ठान ली

By Gaon Connection

जब सिक्कों के बजाए “बीजों की गुल्लक” भरने वाला किसान बने देश की असली धरोहर। मध्य प्रदेश के गाँव में बाबूलाल दहिया ने जो दास्तान लिखी है, वो सिर्फ कृषि की नहीं, पहचान, संस्कृति और भविष्य की है। जानिए कैसे एक छोटे से सीड बैंक ने हज़ारों बीजों, बीत चुके वक़्त और आने वाली पीढ़ियों की ज़रूरतों को संजो रखा है।

जब सिक्कों के बजाए “बीजों की गुल्लक” भरने वाला किसान बने देश की असली धरोहर। मध्य प्रदेश के गाँव में बाबूलाल दहिया ने जो दास्तान लिखी है, वो सिर्फ कृषि की नहीं, पहचान, संस्कृति और भविष्य की है। जानिए कैसे एक छोटे से सीड बैंक ने हज़ारों बीजों, बीत चुके वक़्त और आने वाली पीढ़ियों की ज़रूरतों को संजो रखा है।

कुड़ुख भाषा को गीतों में बुनकर बचा रहीं दो आदिवासी बहनें
कुड़ुख भाषा को गीतों में बुनकर बचा रहीं दो आदिवासी बहनें

By Divendra Singh

दो आदिवासी बहनें जब मंच पर गाती हैं, तो उनकी आवाज़ सिर्फ संगीत नहीं, संस्कृति की पुकार बन जाती है। उनके गीत पूरे आदिवासी समाज से पूछते हैं कि क्या हम अपनी जड़ों, अपनी पहचान और अपनी कुड़ुख भाषा से दूर जाते जा रहे हैं?

दो आदिवासी बहनें जब मंच पर गाती हैं, तो उनकी आवाज़ सिर्फ संगीत नहीं, संस्कृति की पुकार बन जाती है। उनके गीत पूरे आदिवासी समाज से पूछते हैं कि क्या हम अपनी जड़ों, अपनी पहचान और अपनी कुड़ुख भाषा से दूर जाते जा रहे हैं?

मानव अस्तित्व और धर्म: जनहित में कैसा हो हमारा आध्यात्मिक स्वरूप?
मानव अस्तित्व और धर्म: जनहित में कैसा हो हमारा आध्यात्मिक स्वरूप?

By Dr SB Misra

मन में एक सवाल आना स्वाभाविक है कि आखिर धर्म मनुष्य के अस्तित्व के लिए कितना जरूरी है? आखिर मनुष्य कोई धर्म लेकर तो पैदा नहीं होता; उसे जिस परिवार में वह पैदा हुआ, उसके बड़े-बूढ़ों से धर्मज्ञान मिलता है।

मन में एक सवाल आना स्वाभाविक है कि आखिर धर्म मनुष्य के अस्तित्व के लिए कितना जरूरी है? आखिर मनुष्य कोई धर्म लेकर तो पैदा नहीं होता; उसे जिस परिवार में वह पैदा हुआ, उसके बड़े-बूढ़ों से धर्मज्ञान मिलता है।

अज्ञान और अंधविश्वास के अंधेरे से निकल कर गांव बढ़ें उजाले की ओर
अज्ञान और अंधविश्वास के अंधेरे से निकल कर गांव बढ़ें उजाले की ओर

By Manisha Kulshreshtha

मनीषा कुलश्रेष्ठ हिंदी की लोकप्रिय कथाकार हैं। गांव कनेक्शन में उनका यह कॉलम अपनी जड़ों से दोबारा जुड़ने की उनकी कोशिश है। अपने इस कॉलम में वह गांवों की बातें, उत्सवधर्मिता, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगी।

मनीषा कुलश्रेष्ठ हिंदी की लोकप्रिय कथाकार हैं। गांव कनेक्शन में उनका यह कॉलम अपनी जड़ों से दोबारा जुड़ने की उनकी कोशिश है। अपने इस कॉलम में वह गांवों की बातें, उत्सवधर्मिता, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगी।

"कहती थीं न अम्मा! हाय हर चीज़ की बुरी"
"कहती थीं न अम्मा! हाय हर चीज़ की बुरी"

By Manisha Kulshreshtha

मनीषा कुलश्रेष्ठ हिंदी की लोकप्रिय कथाकार हैं। गांव कनेक्शन में उनका यह कॉलम अपनी जड़ों से दोबारा जुड़ने की उनकी कोशिश है। अपने इस कॉलम में वह गांवों की बातें, उत्सवधर्मिता, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगी।

मनीषा कुलश्रेष्ठ हिंदी की लोकप्रिय कथाकार हैं। गांव कनेक्शन में उनका यह कॉलम अपनी जड़ों से दोबारा जुड़ने की उनकी कोशिश है। अपने इस कॉलम में वह गांवों की बातें, उत्सवधर्मिता, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगी।

छत्तीसगढ़िया गांव: यहां बारहों महीने है तीज–त्यौहार का मौसम
छत्तीसगढ़िया गांव: यहां बारहों महीने है तीज–त्यौहार का मौसम

By Manisha Kulshreshtha

मनीषा कुलश्रेष्ठ हिंदी की लोकप्रिय कथाकार हैं। गांव कनेक्शन में उनका यह कॉलम अपनी जड़ों से दोबारा जुड़ने की उनकी कोशिश है। अपने इस कॉलम में वह गांवों की बातें, उत्सवधर्मिता, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगी।

मनीषा कुलश्रेष्ठ हिंदी की लोकप्रिय कथाकार हैं। गांव कनेक्शन में उनका यह कॉलम अपनी जड़ों से दोबारा जुड़ने की उनकी कोशिश है। अपने इस कॉलम में वह गांवों की बातें, उत्सवधर्मिता, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगी।

जो पगडंडियां गांव से बाहर जाती हैं वे लौटा भी तो लाती हैं न… तो लौटो गांव की ओर
जो पगडंडियां गांव से बाहर जाती हैं वे लौटा भी तो लाती हैं न… तो लौटो गांव की ओर

By Manisha Kulshreshtha

मनीषा कुलश्रेष्ठ हिंदी की लोकप्रिय कथाकार हैं। गांव कनेक्शन में उनका यह कॉलम अपनी जड़ों से दोबारा जुड़ने की उनकी कोशिश है। अपने इस कॉलम में वह गांवों की बातें, उत्सवधर्मिता, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगी।

मनीषा कुलश्रेष्ठ हिंदी की लोकप्रिय कथाकार हैं। गांव कनेक्शन में उनका यह कॉलम अपनी जड़ों से दोबारा जुड़ने की उनकी कोशिश है। अपने इस कॉलम में वह गांवों की बातें, उत्सवधर्मिता, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगी।

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