By Gaon Connection
मेहसाणा के लुनासन गाँव में एक किसान ने खेती को जंगल में बदल दिया और जंगल की तरह खेती को। अमोल खडसरे ने पर्माकल्चर मॉडल अपनाते हुए 1000 से अधिक पेड़-पौधों, औषधियों, सब्जियों और जंगली घासों को एक साथ उगाया, बिना केमिकल, बिना तनाव और बिना अत्यधिक पानी के। आज उनका खेत सिर्फ कृषि उत्पादन नहीं, बल्कि एक जीवित इकोसिस्टम है
मेहसाणा के लुनासन गाँव में एक किसान ने खेती को जंगल में बदल दिया और जंगल की तरह खेती को। अमोल खडसरे ने पर्माकल्चर मॉडल अपनाते हुए 1000 से अधिक पेड़-पौधों, औषधियों, सब्जियों और जंगली घासों को एक साथ उगाया, बिना केमिकल, बिना तनाव और बिना अत्यधिक पानी के। आज उनका खेत सिर्फ कृषि उत्पादन नहीं, बल्कि एक जीवित इकोसिस्टम है
By Gaon Connection
भारत के गाँवों में जलकुंभी वर्षों से एक ऐसी समस्या रही है जिसने तालाबों, मछलियों, जलजीवों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का दम घोंट दिया है। तालाब जो कभी जीवन का स्रोत थे, आज हरी चादरों के नीचे सिसकते दिखते हैं। पर इसी अंधेरे के बीच एक नई रोशनी उभरी ICRISAT का सौर ऊर्जा से चलने वाला वाटर हाइऐसिंथ हार्वेस्टर। एक ऐसी मशीन जो न केवल जलकुंभी हटाती है, बल्कि उसे ग्रामीण आजीविका, पर्यावरण संरक्षण और महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के अवसर में बदल देती है।
भारत के गाँवों में जलकुंभी वर्षों से एक ऐसी समस्या रही है जिसने तालाबों, मछलियों, जलजीवों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का दम घोंट दिया है। तालाब जो कभी जीवन का स्रोत थे, आज हरी चादरों के नीचे सिसकते दिखते हैं। पर इसी अंधेरे के बीच एक नई रोशनी उभरी ICRISAT का सौर ऊर्जा से चलने वाला वाटर हाइऐसिंथ हार्वेस्टर। एक ऐसी मशीन जो न केवल जलकुंभी हटाती है, बल्कि उसे ग्रामीण आजीविका, पर्यावरण संरक्षण और महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के अवसर में बदल देती है।
By Gaon Connection
गोवा की पहाड़ियों में एक किसान पिछले 38 सालों से नंगे पाँव प्राकृतिक खेती कर रहा है- बिना जुताई, बिना केमिकल, बिना पेड़ काटे। संजय पाटिल ने 10 एकड़ जंगल को खेती में बदल दिया और साबित किया कि प्रकृति को न छेड़ें, तो वह दोगुना लौटाती है।
गोवा की पहाड़ियों में एक किसान पिछले 38 सालों से नंगे पाँव प्राकृतिक खेती कर रहा है- बिना जुताई, बिना केमिकल, बिना पेड़ काटे। संजय पाटिल ने 10 एकड़ जंगल को खेती में बदल दिया और साबित किया कि प्रकृति को न छेड़ें, तो वह दोगुना लौटाती है।
By Manoj Bhawuk
छठ पूजा की सबसे बड़ी सुंदरता इसकी लोकभाषा और लोक-संगीत में है। छठी मइया को गीतों में संवाद पसंद है, संस्कृत के गूढ़ मंत्रों में नहीं। यही कारण है कि घर से घाट तक की यात्रा गीतों से भरी होती है
छठ पूजा की सबसे बड़ी सुंदरता इसकी लोकभाषा और लोक-संगीत में है। छठी मइया को गीतों में संवाद पसंद है, संस्कृत के गूढ़ मंत्रों में नहीं। यही कारण है कि घर से घाट तक की यात्रा गीतों से भरी होती है
By Ishtyak Khan
By Diti Bajpai
अगर मछली पालक वर्षभर अपने तालाब का ध्यान रखें तो वर्ष में दो बार एक ही तालाब मछलियों की बिक्री की जा सकती है, जिससे मछली पालकों को मुनाफा होगा।
अगर मछली पालक वर्षभर अपने तालाब का ध्यान रखें तो वर्ष में दो बार एक ही तालाब मछलियों की बिक्री की जा सकती है, जिससे मछली पालकों को मुनाफा होगा।
By गाँव कनेक्शन
कभी तालाब ग्रामीण जन जीवन का एक जरूरी हिस्सा हुआ करते थे। पीने के पानी की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ, वे उनके सामाजिक ताने-बाने से भी जुड़े थे। धार्मिक और पेयजल दोनों उद्देश्यों के लिए उनका सम्मान किया जाता था और उन्हें बनाए रखने की हरसंभव कोशिश भी। लेकिन जैसे-जैसे गांवों में हैंडपंप और अब पाइप से पानी आने लगा, ये स्थानीय जल निकाय धीरे-धीरे गायब होने लगे। असंख्य तालाबों पर अतिक्रमण कर लिया गया। जहां पहले तालाब थे, वहां अब इमारतें, घर, खेल के मैदान या कूड़े के ढेर हैं। बढ़ते जल संकट के साथ बदलते परिवेश में गांव के तालाबों का संरक्षण और पुनरुद्धार जरूरी हो गया है।
कभी तालाब ग्रामीण जन जीवन का एक जरूरी हिस्सा हुआ करते थे। पीने के पानी की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ, वे उनके सामाजिक ताने-बाने से भी जुड़े थे। धार्मिक और पेयजल दोनों उद्देश्यों के लिए उनका सम्मान किया जाता था और उन्हें बनाए रखने की हरसंभव कोशिश भी। लेकिन जैसे-जैसे गांवों में हैंडपंप और अब पाइप से पानी आने लगा, ये स्थानीय जल निकाय धीरे-धीरे गायब होने लगे। असंख्य तालाबों पर अतिक्रमण कर लिया गया। जहां पहले तालाब थे, वहां अब इमारतें, घर, खेल के मैदान या कूड़े के ढेर हैं। बढ़ते जल संकट के साथ बदलते परिवेश में गांव के तालाबों का संरक्षण और पुनरुद्धार जरूरी हो गया है।
By Mohit Saini
By Gaon Connection
कहीं इन्हें तालाब कहा जाता तो कहीं पर पोखर, अलग-अलग प्रांतों में इनके अलग नाम हैं, लेकिन हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का एक अहम हिस्सा होते हैं वेटलैंड्स, चलिए जानते हैं इन्हें कहाँ पर क्या कहा जाता है।
कहीं इन्हें तालाब कहा जाता तो कहीं पर पोखर, अलग-अलग प्रांतों में इनके अलग नाम हैं, लेकिन हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का एक अहम हिस्सा होते हैं वेटलैंड्स, चलिए जानते हैं इन्हें कहाँ पर क्या कहा जाता है।
By गाँव कनेक्शन