कुड़ुख भाषा को गीतों में बुनकर बचा रहीं दो आदिवासी बहनें
कुड़ुख भाषा को गीतों में बुनकर बचा रहीं दो आदिवासी बहनें

By Divendra Singh

दो आदिवासी बहनें जब मंच पर गाती हैं, तो उनकी आवाज़ सिर्फ संगीत नहीं, संस्कृति की पुकार बन जाती है। उनके गीत पूरे आदिवासी समाज से पूछते हैं कि क्या हम अपनी जड़ों, अपनी पहचान और अपनी कुड़ुख भाषा से दूर जाते जा रहे हैं?

दो आदिवासी बहनें जब मंच पर गाती हैं, तो उनकी आवाज़ सिर्फ संगीत नहीं, संस्कृति की पुकार बन जाती है। उनके गीत पूरे आदिवासी समाज से पूछते हैं कि क्या हम अपनी जड़ों, अपनी पहचान और अपनी कुड़ुख भाषा से दूर जाते जा रहे हैं?

पश्चिम बंगाल: तंगहाली से जूझ रहे बुनकर, बुनाई की पारंपरिक कला खत्म होने का सता रहा है डर
पश्चिम बंगाल: तंगहाली से जूझ रहे बुनकर, बुनाई की पारंपरिक कला खत्म होने का सता रहा है डर

By Gurvinder Singh

एक समय शांतिपुर में हथकरघे की आवाज सुनाई देती थी, जिस पर प्रसिद्ध तांत की साड़ियां बुनी जाती थीं, लेकिन एक के बाद एक ये हथकरघे बंद हो रहे हैं। वे बुनकर, जिन्होंने पश्चिम बंगाल चुनाव में वोट दिया था, उन्हें डर हैं कि शांतिपुर में बुनाई की कला उनके साथ ही खत्म हो जाएगी।

एक समय शांतिपुर में हथकरघे की आवाज सुनाई देती थी, जिस पर प्रसिद्ध तांत की साड़ियां बुनी जाती थीं, लेकिन एक के बाद एक ये हथकरघे बंद हो रहे हैं। वे बुनकर, जिन्होंने पश्चिम बंगाल चुनाव में वोट दिया था, उन्हें डर हैं कि शांतिपुर में बुनाई की कला उनके साथ ही खत्म हो जाएगी।

बुंदेलखंड लाइव: चंदेरी साड़ियां बुनने वाले 5 हजार हैंडलूम लॉकडाउन, 10 हजार से ज्यादा बुनकर बेरोजगार
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By Arvind Shukla

बुंदेलखंड शैली की चंदेरी साड़ियां हाथ से बनी महीन कारीगरी के लिए दुनियाभर में मशहूर हैं। दुबई से लेकर अमेरिका तक से डिमांड आती है, लेकिन लॉकडाउन में कारोबारी और बुनकर दोनों परेशान हैं।

बुंदेलखंड शैली की चंदेरी साड़ियां हाथ से बनी महीन कारीगरी के लिए दुनियाभर में मशहूर हैं। दुबई से लेकर अमेरिका तक से डिमांड आती है, लेकिन लॉकडाउन में कारोबारी और बुनकर दोनों परेशान हैं।

जीएसटी की मार : सिमट रहा बनारसी सिल्क का कारोबार
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By Devanshu Mani Tiwari

बुनकरों की शिक्षा के लिए एक अप्रैल से नई योजना लाएगी सरकार
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By गाँव कनेक्शन

जीएसटी के खिलाफ आम सभा, जुटे हजारों बुनकर
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By Vinod Sharma

कश्मीरी कालीन बुनकर ने कहा, 'यही हाल रहा तो मैं ख़ुदकुशी कर लूँगा'
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By Jigyasa Mishra

"एक दिन में 150 रुपये मिलते हैं हमको, दस से बारह घंटे काम करने के। पिछले सालों में तो हमारी दिन भर की कमाई भी काम हो गई है। अगर सरकार अपने दरवाज़े हमारे लिए खोलती तो कुछ उम्मीद थी," परवेज़ कहते हैं।

"एक दिन में 150 रुपये मिलते हैं हमको, दस से बारह घंटे काम करने के। पिछले सालों में तो हमारी दिन भर की कमाई भी काम हो गई है। अगर सरकार अपने दरवाज़े हमारे लिए खोलती तो कुछ उम्मीद थी," परवेज़ कहते हैं।

हथकरघा उद्योग को सहारे की जरूरत
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By गाँव कनेक्शन

अपने जीआई टैग तसर सिल्क के लिए मशहूर ओडिशा के गोपालपुर को क्राफ्ट क्लस्टर के रूप में विकसित किया जाएगा
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By गाँव कनेक्शन

ओडिशा के जाजपुर जिले में तसर पायलट प्रोजेक्ट सेंटर लगभग आधी सदी पुराना है और इन पांच दशकों में, इसने बड़ी संख्या में हैंडलूम रेशम बुनकरों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद की है।

ओडिशा के जाजपुर जिले में तसर पायलट प्रोजेक्ट सेंटर लगभग आधी सदी पुराना है और इन पांच दशकों में, इसने बड़ी संख्या में हैंडलूम रेशम बुनकरों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद की है।

पारंपरिक शॉल की बुनाई से अपनी आमदनी बढ़ाने वाली डोंगरिया कोंध आदिवासी महिलाएं
पारंपरिक शॉल की बुनाई से अपनी आमदनी बढ़ाने वाली डोंगरिया कोंध आदिवासी महिलाएं

By Ashis Senapati

ओड़िशा में डोंगरिया कोंध आदिवासी समुदाय में आदिवासी मोटिफ के साथ शॉल की बुनाई और कढ़ाई करना एक पुरानी प्रथा रही है। सालों पुरानी यही कला रायगडा जिले में 18,00 आदिवासी महिलाओं के लिए आय का एक अहम जरिया भी बन गई है। उनके पारंपरिक शॉल दूर-दूर तक बेचे और खरीदे जा रहे हैं। वे अब अपनी इस मेहनत के लिए जीआई टैग के इंतजार में हैं।

ओड़िशा में डोंगरिया कोंध आदिवासी समुदाय में आदिवासी मोटिफ के साथ शॉल की बुनाई और कढ़ाई करना एक पुरानी प्रथा रही है। सालों पुरानी यही कला रायगडा जिले में 18,00 आदिवासी महिलाओं के लिए आय का एक अहम जरिया भी बन गई है। उनके पारंपरिक शॉल दूर-दूर तक बेचे और खरीदे जा रहे हैं। वे अब अपनी इस मेहनत के लिए जीआई टैग के इंतजार में हैं।

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