पांच साल लड़कर पैरालिसिस को दी मात, अब गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रहा ये युवा
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By Neetu Singh

हिमाचल प्रदेश: सेब के बागों में तेजी से पांव पसार रही फंगल बीमारी
हिमाचल प्रदेश: सेब के बागों में तेजी से पांव पसार रही फंगल बीमारी

By गाँव कनेक्शन

एक तरफ जहां पूरा भारत कोरोना संकट, टिड्डी हमले और कुछ अन्य क्षेत्रों में आई बाढ़ झेल रहा है, वहीं दूसरी तरफ पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के किसान सेब में लग रहे फंगल बीमारी से परेशान हैं।

एक तरफ जहां पूरा भारत कोरोना संकट, टिड्डी हमले और कुछ अन्य क्षेत्रों में आई बाढ़ झेल रहा है, वहीं दूसरी तरफ पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के किसान सेब में लग रहे फंगल बीमारी से परेशान हैं।

बुंदेलखंड लाइव: आज भी जिंदा हैं कर्ज़ के नाम पर किसान का खून चूसने वाले सुक्खी लाला, किसान ने बेटे के इलाज के लिए लिया कर्जा, हड़प ली पूरी जमीन
बुंदेलखंड लाइव: आज भी जिंदा हैं कर्ज़ के नाम पर किसान का खून चूसने वाले सुक्खी लाला, किसान ने बेटे के इलाज के लिए लिया कर्जा, हड़प ली पूरी जमीन

By Arvind Shukla

साहूकार, बेईमान बनिया और सेठों के बीच पिसते किसानों की जिंदगी पर बनी मदर इंडिया फिल्म को आए दशकों हो गए। इन सालों में दुनिया बदल गईं, आदमी चांद पर पहुंच गया, कई सरकारें आईं, चली गईं लेकिन सुक्खी लाला कहीं नहीं गए। वो चेहरा और नाम बदलकर आज भी किसानों का खून चूस रहे हैं, ज़मीनें हड़प रहे हैं। बुंदेलखंड की ये कहानी कुछ वैसी ही है।

साहूकार, बेईमान बनिया और सेठों के बीच पिसते किसानों की जिंदगी पर बनी मदर इंडिया फिल्म को आए दशकों हो गए। इन सालों में दुनिया बदल गईं, आदमी चांद पर पहुंच गया, कई सरकारें आईं, चली गईं लेकिन सुक्खी लाला कहीं नहीं गए। वो चेहरा और नाम बदलकर आज भी किसानों का खून चूस रहे हैं, ज़मीनें हड़प रहे हैं। बुंदेलखंड की ये कहानी कुछ वैसी ही है।

मधुमक्खी पालन से बिहार के बांका में संथाल आदिवासी महिलाओं ने घोली जिंदगी में मिठास
मधुमक्खी पालन से बिहार के बांका में संथाल आदिवासी महिलाओं ने घोली जिंदगी में मिठास

By Nidhi Jamwal

दक्षिण बिहार में आदिवासी महिलाओं की जिंदगी में बदलाव आ गया है, वो अब अपने बच्चों को पढ़ा रही हैं, क्योंकि उनके शहद का व्यवसाय अच्छे से चल रहा है। पिछले साल, महामारी के बीच, उन्होंने बांका मधु किसान उत्पादक संगठन का गठन किया और मुंबई तक सात टन शहद की आपूर्ति की।

दक्षिण बिहार में आदिवासी महिलाओं की जिंदगी में बदलाव आ गया है, वो अब अपने बच्चों को पढ़ा रही हैं, क्योंकि उनके शहद का व्यवसाय अच्छे से चल रहा है। पिछले साल, महामारी के बीच, उन्होंने बांका मधु किसान उत्पादक संगठन का गठन किया और मुंबई तक सात टन शहद की आपूर्ति की।

दुनियाभर में मशहूर बिहार के बांका की हथकरघा कलाः गरीबी से जूझ रहे रेशम बुनकरों की आखिरी पीढ़ी का दर्द
दुनियाभर में मशहूर बिहार के बांका की हथकरघा कलाः गरीबी से जूझ रहे रेशम बुनकरों की आखिरी पीढ़ी का दर्द

By Nidhi Jamwal

हथकरघों की कानों में घुलने वाली वो आवाजें, जो सुंदर तसर सिल्क के बनने का अहसास कराती थीं, अब और नहीं सुनी जा सकेंगी। बांका के पारंपरिक बुनकरों का भविष्य एक पतले से धागे पर लटका हुआ नजर आ रहा है। पहले पावरलूम, और अब महामारी ने इनकी स्थिति भयावह बना दी है। आज यह कला लुप्त होने के कागार पर है।

हथकरघों की कानों में घुलने वाली वो आवाजें, जो सुंदर तसर सिल्क के बनने का अहसास कराती थीं, अब और नहीं सुनी जा सकेंगी। बांका के पारंपरिक बुनकरों का भविष्य एक पतले से धागे पर लटका हुआ नजर आ रहा है। पहले पावरलूम, और अब महामारी ने इनकी स्थिति भयावह बना दी है। आज यह कला लुप्त होने के कागार पर है।

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