बाल संसद, मंत्रिमंडल और कार्यपुस्तिका जो छात्रों में भर रही है ज्ञान और आत्मविश्वास
Pratyaksh Srivastava | Jul 14, 2023, 04:54 IST
संसाधनों की कमी नए विचारों को जन्म देने से रोक नहीं सकती है। ये साबित किया है उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के एक गाँव के प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका रोशन जहाँ ने। वे न सिर्फ सफलतापूर्वक एक बहु-ग्रेड, बहु-स्तरीय कक्षा का प्रबंधन करती हैं, अपने सभी 55 छात्रों को व्यस्त भी रखती हैं।
तिघरा द्वितीय (गोरखपुर), उत्तर प्रदेश। कक्षा में केवल सरसराहट की आवाज़ होती है जब छात्र अपनी कॉपी के पन्ने पलटते हैं। सिर झुकाए, अंगुलियाँ लिखने में व्यस्त। रोशन जहाँ की कक्षा के सभी 55 छात्र-छात्राएँ व्यस्त हैं।
कक्षा की मॉनिटर सिमरन (9 वर्ष) समय-समय पर कक्षा का सर्वेक्षण करती हैं और अगर वह किसी को कक्षा के काम से जूझते हुए पाती हैं तो वे उनका काम पूरा करने में मदद करती हैं।
रोशन जहाँ का कहना है कि वर्कबुक एक भगवान की देन है। जहाँ ने गाँव कनेक्शन को बताया, "एक बहु-ग्रेड, बहु-स्तरीय कक्षा में ये शिक्षा विभाग द्वारा दी जाती है। अगर हमें किसी काम से बाहर जाना पड़ता है तो वे बच्चों को व्यस्त रखते हैं जिसके कई फायदे हैं।"
रोशन जहाँ 2008 से उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के तिगरा द्वितीय गाँव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय में पढ़ा रही हैं। प्राथमिक विद्यालय में उनके अलावा मात्र एक और टीचर रुचि उपाध्याय हैं। कक्षा एक से पाँच तक के 111 बच्चों का प्रबंधन करने के लिए दो कक्षाएँ हैं। जहाँ हिंदी-अंग्रेजी जैसे विषय पढ़ाती हैं जबकि वहीं रुचि उपाध्याय कक्षा एक से पाँच तक के छात्रों को गणित पढ़ाती हैं।
बहु-ग्रेड, बहु-स्तरीय कक्षा प्रबंधन आसान नहीं है। रोशन जहाँ ने 2008 में एक शिक्षक के रूप में स्कूल में प्रवेश किया और 2014 में स्कूल की प्रधानाध्यापिका के पद पर पदोन्नत किया गया।
"भले ही हम शिक्षक मुट्ठी भर हों, लेकिन हमें अक्सर कक्षा के बाहर का काम करने के लिए कहा जाता है, जैसे कि डिजिटल रिकॉर्ड को अपडेट करना, डीबीटी ट्रांसफर करना, सर्वेक्षण करना। हमें कक्षा को उपेक्षित छोड़ने के लिए मज़बूर किया जाता है। ऐसी स्थिति में कार्यपुस्तिका हमारी मदद करती हैं।” वे मुस्कुराते हुए कहती हैं।
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जहाँ अपने छात्रों को कक्षा छोड़ने से पहले कार्यपुस्तिकाओं में दी गई समस्याओं को हल करने का निर्देश देती है। रोशन जहाँ बताती हैं, "ये किताबें इंटरैक्टिव हैं और बच्चों को शिक्षक की देखरेख के बिना 40 मिनट तक व्यस्त रखा जा सकता है।"
कार्यपुस्तिका बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से दी जाने वाली अध्ययन सामग्री का हिस्सा हैं। बहु-ग्रेड, बहुस्तरीय कक्षाओं में शिक्षकों को छात्रों को उनके सीखने के नतीजों में सहायता करने में बहुत मदद मिल रही है। ये कार्य पुस्तिका शिक्षकों को कक्षा में पर्यवेक्षण के बिना अपने छात्रों के बारे में चिंता किए बिना अपनी अतिरिक्त प्रशासनिक ज़िम्मेदारियों को पूरा करने की इजाज़त देती है।
“हमने कई बार इसका अभ्यास किया है। हम जानते हैं कि जब रोशन मैडम व्यस्त होती हैं तो हमें एक-दूसरे का सहयोग करना पड़ता है। कक्षा में हमारे निर्धारित समूह होते हैं और साथ में हम अपनी कार्यपुस्तिकाओं के साथ आगे बढ़ते हैं," सिमरन ने गाँव कनेक्शन को बताया।
"कई बार छात्र सवालों को लेकर उलझ जाते हैं, तब मैं रोशन मैडम की बताई तरकीब उन्हें बताती हूँ। इससे इनका काम तो आसान होता ही है, मेरी समझ भी बेहतर होती है।" उन्होंने गाँव कनेक्शन को बताया।
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केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की तरफ से जुलाई 2021 में शुरू किए गए एनआईपीयूएन (नेशनल इनिशिएटिव फॉर प्रोफिशिएंसी इन रीडिंग विद अंडरस्टैंडिंग एंड न्यूमेरसी) प्रोग्राम ने छात्रों के लिए ज़िम्मेदारियाँ तय करने की सिफारिश की है। यह उन स्कूलों में विशेष रूप से उपयोगी है जहाँ बहु-ग्रेड, बहु-स्तरीय कक्षाएँ हैं। एक बहु-कक्षा बहु-स्तरीय कक्षा वह होती है जहाँ कई कक्षाओं के छात्र एक ही कक्षा में बैठते हैं और उन्हें एक साथ पढ़ाने के लिए एक शिक्षक होता है।
“हर कक्षा के छात्र अलग-अलग समूहों में बैठते हैं। अगर मैं कक्षा तीन के छात्रों को पढ़ा रही हूँ, तो मैं यह सुनिश्चित करती हूँ कि कक्षा एक और दो के छात्र जो पहले से ही उन्हें पढ़ाया जा चुका है, उसे दोहरा रहे है। ” जहाँ ने समझाया। जहाँ अन्य समूहों को पढ़ाते समय विभिन्न समूहों से मॉक टेस्ट भी लिखवाती है।
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जहाँ ने कहा कि शिक्षण सामग्री के रूप में ऑडियो-विजुअल सामग्री का उपयोग करना भी एक बड़ी मदद है। जबकि छात्रों के एक या दो समूह इसे देखते हैं वह कक्षा में दूसरे समूह को कुछ और सिखाने के लिए आगे बढ़ती हैं।
अध्यापिका ने कहा, "कभी-कभी एक ही समय में इतनी सारी चीजों को संभालना मुश्किल होता है, लेकिन अब वर्षों के अभ्यास के साथ मैं कह सकती हूँ कि मैं कुशल तरीके से कक्षाएँ संचालित कर रही हूँ।"
गणित की शिक्षिका रुचि उपाध्याय भी इसका पालन करती हैं। "जैसे ही मुझे पता चलता है कि मुझे कक्षा से बाहर जाने की ज़रूरत है, मैं बच्चों को बताती हूँ और वे जानते हैं कि क्या करना है। मैंने उनसे सौ बार पूर्वाभ्यास करवाया है। " सहायक अध्यापिका मुस्कुराती हैं। उन्होंने कहा कि बच्चे तुरंत अपनी कार्यपुस्तिका निकालते हैं और उन पर टूट पड़ते हैं।
जहाँ ने कहा कि मल्टी-ग्रेड, मल्टी-लेवल क्लासरूम टीचिंग में बहुत सारे इनोवेशन की ज़रूरत है, लेकिन बहुत सारे सकारात्मक पहलू भी हैं। "छात्रों को ज़िम्मेदारी सौंपने से उनमें आत्मविश्वास पैदा होता है, यहाँ तक कि जो अंतर्मुखी और शर्मीले हैं उनमें भी। " उन्होंने कहा।
उन्होंने कक्षा दो की छात्रा कनक का उदाहरण दिया जो चुप रहती थी और बमुश्किल बोलती थी। शिक्षक या कक्षा से बिल्कुल भी नहीं जुड़ पाती थी।
"लेकिन मैं कह सकती हूँ कि उसने चीजों को जल्दी समझ लिया। इसलिए मैंने उसे एक ग्रुप लीडर बनाया और अब यह उसकी जिम्मेदारी थी कि वह उन चीजों को समझाए जो वह अच्छी तरह से समझती थी। ” जहाँ ने कहा। कनक मुस्कुराने लगती हैं।
"हमने कक्षा में तेजी से सीखने वालों की पहचान की है और उन्हें पुस्तकालय, जल, संस्कृति, शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्रालयों के मंत्रियों के रूप में नियुक्त किया। एक प्रधानमंत्री भी होता है जो इन सभी मंत्रियों की देखरेख करता है। " जहाँ ने गाँव कनेक्शन को बताया।
“इससे न केवल इन छात्रों के आत्मविश्वास के स्तर में वृद्धि हुई है बल्कि इसने मेरी कक्षाओं को और अधिक कुशल भी बनाया है। ये मंत्री अपने संबंधित विभागों के मुद्दों के बारे में मुझे रिपोर्ट करते हैं और मैं उसके अनुसार काम करती हूँ। इससे मेरे समय की बचत होती है। वरना दूसरे कामों के बीच कक्षा पर ध्यान ही नहीं दे पाती।" प्रधानाचार्य ने कहा।
कक्षा तीन की छात्रा अंकिता गौर जो स्वास्थ्य मंत्री हैं, ने गाँव कनेक्शन को बताया, "अगर किसी छात्र के नाखून बढ़े हुए हैं तो मैं उनका नाम लिख कर रोशन मैडम को दे देती हूँ।" इस तरह, अंकिता यह सुनिश्चित करती हैं कि स्कूल में छात्र अच्छी तरह से तैयार हों।
साथ ही हर महीने ये मंत्री बाल संसद, एक 'संसदीय' सत्र आयोजित करते हैं, जहाँ वे अपने मंत्रिस्तरीय कार्यों की प्रगति पर चर्चा करते हैं। शिक्षक द्वारा उनके प्रदर्शन की समीक्षा की जाती है।
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“मैं यह सुनिश्चित करती हूँ कि पोर्टफोलियो रोटेट हों। नए छात्रों को विभिन्न मंत्रालयों का नेतृत्व करने का मौका दिया जाता है, ”जहाँ ने कहा।
माता-पिता अपने बच्चों को आत्मविश्वास से लबरेज देखकर गर्व की भावना महसूस करते हैं। कक्षा 3 की छात्रा सिमरन सिंह जब पहली बार स्कूल आई तो रोया करती थी। लेकिन अब वह आत्मविश्वास से भरी हुई है और बहुत अच्छी तरह से बोलती है। "रोशन मैडम ने वो किया जो एक माँ के तौर पर मैं नहीं कर पाई। " छात्रा की माँ गायत्री ने गाँव कनेक्शन को बताया। " मुझे अक्सर सिमरन की चिंता रहती थी। लेकिन अब और नहीं। वह सुरक्षित हाथों में है। ” वे मुस्कुराई।
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कक्षा की मॉनिटर सिमरन (9 वर्ष) समय-समय पर कक्षा का सर्वेक्षण करती हैं और अगर वह किसी को कक्षा के काम से जूझते हुए पाती हैं तो वे उनका काम पूरा करने में मदद करती हैं।
रोशन जहाँ का कहना है कि वर्कबुक एक भगवान की देन है। जहाँ ने गाँव कनेक्शन को बताया, "एक बहु-ग्रेड, बहु-स्तरीय कक्षा में ये शिक्षा विभाग द्वारा दी जाती है। अगर हमें किसी काम से बाहर जाना पड़ता है तो वे बच्चों को व्यस्त रखते हैं जिसके कई फायदे हैं।"
रोशन जहाँ 2008 से उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के तिगरा द्वितीय गाँव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय में पढ़ा रही हैं। प्राथमिक विद्यालय में उनके अलावा मात्र एक और टीचर रुचि उपाध्याय हैं। कक्षा एक से पाँच तक के 111 बच्चों का प्रबंधन करने के लिए दो कक्षाएँ हैं। जहाँ हिंदी-अंग्रेजी जैसे विषय पढ़ाती हैं जबकि वहीं रुचि उपाध्याय कक्षा एक से पाँच तक के छात्रों को गणित पढ़ाती हैं।
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बहु-ग्रेड, बहु-स्तरीय कक्षा प्रबंधन आसान नहीं है। रोशन जहाँ ने 2008 में एक शिक्षक के रूप में स्कूल में प्रवेश किया और 2014 में स्कूल की प्रधानाध्यापिका के पद पर पदोन्नत किया गया।
"भले ही हम शिक्षक मुट्ठी भर हों, लेकिन हमें अक्सर कक्षा के बाहर का काम करने के लिए कहा जाता है, जैसे कि डिजिटल रिकॉर्ड को अपडेट करना, डीबीटी ट्रांसफर करना, सर्वेक्षण करना। हमें कक्षा को उपेक्षित छोड़ने के लिए मज़बूर किया जाता है। ऐसी स्थिति में कार्यपुस्तिका हमारी मदद करती हैं।” वे मुस्कुराते हुए कहती हैं।
Also Read: नई तरक़ीब से एक टीचर ने कैसे बना दिया संघर्षरत बच्चों को पढ़ने में अव्वल
जहाँ अपने छात्रों को कक्षा छोड़ने से पहले कार्यपुस्तिकाओं में दी गई समस्याओं को हल करने का निर्देश देती है। रोशन जहाँ बताती हैं, "ये किताबें इंटरैक्टिव हैं और बच्चों को शिक्षक की देखरेख के बिना 40 मिनट तक व्यस्त रखा जा सकता है।"
कार्यपुस्तिका बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से दी जाने वाली अध्ययन सामग्री का हिस्सा हैं। बहु-ग्रेड, बहुस्तरीय कक्षाओं में शिक्षकों को छात्रों को उनके सीखने के नतीजों में सहायता करने में बहुत मदद मिल रही है। ये कार्य पुस्तिका शिक्षकों को कक्षा में पर्यवेक्षण के बिना अपने छात्रों के बारे में चिंता किए बिना अपनी अतिरिक्त प्रशासनिक ज़िम्मेदारियों को पूरा करने की इजाज़त देती है।
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“हमने कई बार इसका अभ्यास किया है। हम जानते हैं कि जब रोशन मैडम व्यस्त होती हैं तो हमें एक-दूसरे का सहयोग करना पड़ता है। कक्षा में हमारे निर्धारित समूह होते हैं और साथ में हम अपनी कार्यपुस्तिकाओं के साथ आगे बढ़ते हैं," सिमरन ने गाँव कनेक्शन को बताया।
"कई बार छात्र सवालों को लेकर उलझ जाते हैं, तब मैं रोशन मैडम की बताई तरकीब उन्हें बताती हूँ। इससे इनका काम तो आसान होता ही है, मेरी समझ भी बेहतर होती है।" उन्होंने गाँव कनेक्शन को बताया।
Also Read: एक्टिविटी और पाठ योजनाओं के जादू से बच्चों को जोड़ती हैं ये टीचर
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की तरफ से जुलाई 2021 में शुरू किए गए एनआईपीयूएन (नेशनल इनिशिएटिव फॉर प्रोफिशिएंसी इन रीडिंग विद अंडरस्टैंडिंग एंड न्यूमेरसी) प्रोग्राम ने छात्रों के लिए ज़िम्मेदारियाँ तय करने की सिफारिश की है। यह उन स्कूलों में विशेष रूप से उपयोगी है जहाँ बहु-ग्रेड, बहु-स्तरीय कक्षाएँ हैं। एक बहु-कक्षा बहु-स्तरीय कक्षा वह होती है जहाँ कई कक्षाओं के छात्र एक ही कक्षा में बैठते हैं और उन्हें एक साथ पढ़ाने के लिए एक शिक्षक होता है।
“हर कक्षा के छात्र अलग-अलग समूहों में बैठते हैं। अगर मैं कक्षा तीन के छात्रों को पढ़ा रही हूँ, तो मैं यह सुनिश्चित करती हूँ कि कक्षा एक और दो के छात्र जो पहले से ही उन्हें पढ़ाया जा चुका है, उसे दोहरा रहे है। ” जहाँ ने समझाया। जहाँ अन्य समूहों को पढ़ाते समय विभिन्न समूहों से मॉक टेस्ट भी लिखवाती है।
Also Read: प्राइमरी टीचर की पहल से सरकारी स्कूल की छात्राएं भी करती हैं पीरियड व मेंस्ट्रुअल हाइजीन के बारे में खुलकर बात
जहाँ ने कहा कि शिक्षण सामग्री के रूप में ऑडियो-विजुअल सामग्री का उपयोग करना भी एक बड़ी मदद है। जबकि छात्रों के एक या दो समूह इसे देखते हैं वह कक्षा में दूसरे समूह को कुछ और सिखाने के लिए आगे बढ़ती हैं।
अध्यापिका ने कहा, "कभी-कभी एक ही समय में इतनी सारी चीजों को संभालना मुश्किल होता है, लेकिन अब वर्षों के अभ्यास के साथ मैं कह सकती हूँ कि मैं कुशल तरीके से कक्षाएँ संचालित कर रही हूँ।"
सकारात्मक सुधार की ज़रूरत
जहाँ ने कहा कि मल्टी-ग्रेड, मल्टी-लेवल क्लासरूम टीचिंग में बहुत सारे इनोवेशन की ज़रूरत है, लेकिन बहुत सारे सकारात्मक पहलू भी हैं। "छात्रों को ज़िम्मेदारी सौंपने से उनमें आत्मविश्वास पैदा होता है, यहाँ तक कि जो अंतर्मुखी और शर्मीले हैं उनमें भी। " उन्होंने कहा।
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उन्होंने कक्षा दो की छात्रा कनक का उदाहरण दिया जो चुप रहती थी और बमुश्किल बोलती थी। शिक्षक या कक्षा से बिल्कुल भी नहीं जुड़ पाती थी।
"लेकिन मैं कह सकती हूँ कि उसने चीजों को जल्दी समझ लिया। इसलिए मैंने उसे एक ग्रुप लीडर बनाया और अब यह उसकी जिम्मेदारी थी कि वह उन चीजों को समझाए जो वह अच्छी तरह से समझती थी। ” जहाँ ने कहा। कनक मुस्कुराने लगती हैं।
मंत्री स्तरीय विभाग बाल संसद
“इससे न केवल इन छात्रों के आत्मविश्वास के स्तर में वृद्धि हुई है बल्कि इसने मेरी कक्षाओं को और अधिक कुशल भी बनाया है। ये मंत्री अपने संबंधित विभागों के मुद्दों के बारे में मुझे रिपोर्ट करते हैं और मैं उसके अनुसार काम करती हूँ। इससे मेरे समय की बचत होती है। वरना दूसरे कामों के बीच कक्षा पर ध्यान ही नहीं दे पाती।" प्रधानाचार्य ने कहा।
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कक्षा तीन की छात्रा अंकिता गौर जो स्वास्थ्य मंत्री हैं, ने गाँव कनेक्शन को बताया, "अगर किसी छात्र के नाखून बढ़े हुए हैं तो मैं उनका नाम लिख कर रोशन मैडम को दे देती हूँ।" इस तरह, अंकिता यह सुनिश्चित करती हैं कि स्कूल में छात्र अच्छी तरह से तैयार हों।
साथ ही हर महीने ये मंत्री बाल संसद, एक 'संसदीय' सत्र आयोजित करते हैं, जहाँ वे अपने मंत्रिस्तरीय कार्यों की प्रगति पर चर्चा करते हैं। शिक्षक द्वारा उनके प्रदर्शन की समीक्षा की जाती है।
Also Read: प्राइमरी टीचर की पहल से सरकारी स्कूल की छात्राएं भी करती हैं पीरियड व मेंस्ट्रुअल हाइजीन के बारे में खुलकर बात
“मैं यह सुनिश्चित करती हूँ कि पोर्टफोलियो रोटेट हों। नए छात्रों को विभिन्न मंत्रालयों का नेतृत्व करने का मौका दिया जाता है, ”जहाँ ने कहा।
माता-पिता अपने बच्चों को आत्मविश्वास से लबरेज देखकर गर्व की भावना महसूस करते हैं। कक्षा 3 की छात्रा सिमरन सिंह जब पहली बार स्कूल आई तो रोया करती थी। लेकिन अब वह आत्मविश्वास से भरी हुई है और बहुत अच्छी तरह से बोलती है। "रोशन मैडम ने वो किया जो एक माँ के तौर पर मैं नहीं कर पाई। " छात्रा की माँ गायत्री ने गाँव कनेक्शन को बताया। " मुझे अक्सर सिमरन की चिंता रहती थी। लेकिन अब और नहीं। वह सुरक्षित हाथों में है। ” वे मुस्कुराई।
Also Read: प्राइमरी टीचर की पहल से सरकारी स्कूल की छात्राएं भी करती हैं पीरियड व मेंस्ट्रुअल हाइजीन के बारे में खुलकर बात
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