इस वेब पोर्टल से अब ग्राहक किसानों से सीधे खरीदते हैं फल और सब्ज़ियाँ

सिर्फ खेती किसानी ही ऐसा काम है, जहाँ किसान को अपने ही काम के लिए मोल भाव करना पड़ता है; फिर भी उन्हें अपने उत्पाद का सही दाम नहीं मिल पाता। किसानों की इस समस्या का प्रमुख कारण है, उनके पास विकल्प का न होना। इसी समस्या को हल करने के लिए एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने प्लेटफार्म की शुरुआत की है, जिसका नाम है 'फार्मर नियर मी'।

Manvendra SinghManvendra Singh   10 Jan 2024 1:31 PM GMT

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इस वेब पोर्टल से अब ग्राहक किसानों से सीधे खरीदते हैं फल और सब्ज़ियाँ

ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले आशीष राणा को अपने कृषि उत्पाद बेचने के लिए काफी परेशान होना पड़ता था; क्योंकि उनके पास न तो ड्रैगन फ्रूट खरीदने वाले ग्राहक थे और न ही सही दाम मिलता, लेकिन अब ऐसा नहीं है। एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पहल ने उन जैसे किसानों को सही प्लेटफार्म उपलब्ध करा दिया है।

हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले के जवाली में रहने वाले 26 साल के किसान आशीष राणा गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "मैं 2020 से ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहा हूँ; मुझे पहले कस्टमर खोजने के लिए मेहनत करनी पड़ती थी, 170 किमी दूर मंडी जाना पड़ता था उसके बाद भी मुझे वो भाव नहीं मिलते थे।"

"लेकिन फार्मर नियर मी से जुड़ने के बाद मुझे सीधे कस्टमर मिल गए हैं, जैसे शहरों में कुछ कस्टमर होते हैं जो सीधा माल खरीदते हैं तो वो मुझे मिले हैं; मुझे इनके साथ जुड़े हुए लगभग एक साल हो गए हैं। "आशीष राणा ने आगे बताया। अब तो उन्हें शिमला, धर्मशाला कई जगह के ऑर्डर मिलने लगे हैं।

आशीष जिस फार्मर नियर मी का ज़िक्र कर रहे हैं, उसकी शुरुआत की है शिमला के रहने वाले 39 साल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर पुनीत ठाकुर ने।


फार्मर नियर मी के माध्यम से न केवल हिमाचल प्रदेश के बल्कि दूसरे कई राज्यों के किसान भी इस प्लेटफार्म से जुड़ कर अब सीधे अपनी पैदावार लोगों तक पहुँचा पा रहे हैं। इस प्लेटफार्म से जुड़ने के लिए किसान को खुद को इस पर रजिस्टर करवाना होता है और साथ ही अपने फार्म की GPS लोकेशन भी इसी प्लेटफार्म पर शेयर करनी होती है; जिसके बाद कोई भी आदमी प्लेटफार्म पर जाकर सीधे किसान से संपर्क कर सकता है और सामान खरीद सकता हैं। प्लेटफार्म पर पूरी जानकारी मुफ़्त है, किसान और कस्टमर को कोई भी शुल्क नहीं देना होता है।

पुनीत एक आईटी कंपनी में काम करते थे, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान उन्हें घर आना पड़ा। घर पर खेती का माहौल पहले से था और ज़मीन भी थी; तो पुनीत ने खेती किसानी की तरफ रुख़ किया, लेकिन वो बहुत जल्दी समझ गए, ये तो लॉटरी वाला काम करने जैसा है। सही रेट मिले तो ठीक वरना नुकसान।

पुनीत गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "मुझे लगा कि किसानों के लिए कुछ करना चाहिए, इसलिए मैंने इस वेब पोर्टल की शुरुआत की; इसके लिए हमने सरकार से मदद माँगी थी, लेकिन मुझे नहीं लगा सरकार को इसमें कोई प्रॉफिट दिखा, इसलिए मैं इसको खुद के पैसे खर्च करके इंडिपेंडेंट रूप से ही चला रहा हूँ। मैं इसमें 2019 से लगा हुआ हूँ सरकार से हमें अवार्ड मिल जाते हैं, लेकिन अवार्ड का हम सर क्या करेंगे।"

पुनीत को स्टार्टअप इंडिया और आईआईटी मंडी से भी अवार्ड मिला है। पुनीत ठाकुर तेज़ी से किसानों को इस प्लेटफार्म से जोड़ भी रहे हैं। उनके साथ देश के अलग-अलग हिस्सों से किसान जुड़े हैं और वो लगातार आगे बढ़ रहे हैं।

किसानों को अपने उत्पाद का अगर सीधा ग्राहक मिल जाए तो उनको अपनी फसल के सही रेट मिलना शुरू हो जाएँगे और यही इस प्लेटफार्म का मुख्य उद्देश्य भी है। जहाँ किसान सीधे अपने कस्टमर से जुड़ सकते हैं, उन्हें मंडी जाकर या कहीं भी भटकना न पड़े साथ ही उन्हें अपनी मेहनत का सही दाम भी मिले।


पुनीत गाँव कनेक्शन से आगे बताते हैं, "हमने एक प्लेटफार्म बनाया है, जहाँ किसान अपनी ऑनलाइन मार्केटिंग कर सके, सबसे मुख्य समस्या जो ग्राहक को आती है, वो है किसान को खोजना; अगर आप गूगल पर सर्च करोगे और लिखो फार्मर नियर मी तो कुछ भी नहीं शो करेगा,आपको भी नज़दीकी किसान कौन है इसकी जानकारी नहीं होगी। "

"अगर कंज्यूमर को पता लग जाए कि मेरा किसान कौन है , वो क्या उगाता है तो वहाँ से एक व्यापार शुरू हो सकता हैं; हमारा यही मकसद है , एक माध्यम हो जिसके जरिये किसानों को ऑनलाइन लाया जाए, जिससे नज़दीकी ग्राहकों को उनके बारे में पता लगे। " पुनीत ने आगे बताया।

सीधे ग्राहकों तक अपने उत्पाद पहुँचाने में किसानों को और भी कई फायदे हैं, जिसके बारे में पुनीत गाँव कनेक्शन से कहते हैं, "जैसे मैं एक ड्रैगन फ्रूट फार्मर का उदाहरण देता हूँ तो पहले उसे मंडी में 50-60 रुपए या बहुत मिल गया तो 100 रुपए होलसेल का रेट मिलता था; हम इस किसान को ऑनलाइन लेकर के गए , हमने उसका एक ई-स्टोर बनाया और हमने उनको बोला,आप इसको फेसबुक पर शेयर करिए और लोगों को बताइए, फिर वहाँ से उनको ऑर्डर आना शुरू हो गया। अब उनको 200-250 रूपए तक का दाम मिलता है जो कि उनकी पुरानी आमदनी का तीन गुना है। "

वो आगे कहते हैं, "इससे हुआ क्या कि अब वो सिर्फ ड्रैगन फ्रूट पर फोकस नहीं कर रहे; बल्कि अब उनको लोग खुद बोल रहे हैं की हमें दूध भी चाहिए, हमें पनीर चाहिए, हमें ये सब्ज़ी चाहिए; आगे भविष्य में धीरे -धीरे इसमें किसानों के समूह जुड़ेंगे और एक छोटा एफपीओ हर शहर ,हर ज़िले में बन सकता है, तो हम इस पर काम कर रहे हैं कि लोगों को शहर न आना पड़े वो गाँव में ही अपना व्यापार शुरू कर सकें।

पुनीत ने कई सफल किसानों का उदाहरण देते हुए बताया, "तमिलनाडु में एक किसान हैं जो नारियल का तेल बेचते हैं, वो 330 किलो प्लस शिपिंग बेचते हैं, पहले उनको सौ रूपए लीटर ही होलसेल रेट मिलता था, इस प्लेटफार्म के ज़रिये उनका एक डेटाबेस भी जमा हो रहा है।"

पुनीत का लक्ष्य है वो इस प्लेटफार्म पर कम से कम हज़ार किसानों को जोड़ें और इसी सफल मॉडल को लेकर वो सरकार के सामने रखें; ताकि सरकार भी ऐसे ही मॉडल को अपना कर किसानों का जीवन और उनकी आय बेहतर बना पाए।

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