By गाँव कनेक्शन
कोरोना और लॉकडाउन को लेकर गांव कनेक्शन की नई सीरीज #CoronaFootprint में ग्रामीण भारत की वो कहानियां जो अभी तक आप तक नहीं पहुंची, करोड़ों मजदूर, कामगार जब बेरोजगार होकर गांव लौटे हैं, गांवों में क्या हो रहा है, उन घरों की महिलाओं और किसानों का हाल..पढ़िए और देखिए हमारी इस विशेष सीरीज में..
कोरोना और लॉकडाउन को लेकर गांव कनेक्शन की नई सीरीज #CoronaFootprint में ग्रामीण भारत की वो कहानियां जो अभी तक आप तक नहीं पहुंची, करोड़ों मजदूर, कामगार जब बेरोजगार होकर गांव लौटे हैं, गांवों में क्या हो रहा है, उन घरों की महिलाओं और किसानों का हाल..पढ़िए और देखिए हमारी इस विशेष सीरीज में..
By Mithilesh Dhar
लॉकडाउन का असर बनारसी साड़ियों पर तो पड़ा ही है, उससे जुड़े कारोबार पर भी व्यापक असर पड़ा है। बनारसी साड़ियों में डिजाइनिंग करने वालीं एम्ब्रायडरी मशीनें जो लाखों में रुपए की आती हैं, अब कबाड़ के भाव में बिक रही हैं।
लॉकडाउन का असर बनारसी साड़ियों पर तो पड़ा ही है, उससे जुड़े कारोबार पर भी व्यापक असर पड़ा है। बनारसी साड़ियों में डिजाइनिंग करने वालीं एम्ब्रायडरी मशीनें जो लाखों में रुपए की आती हैं, अब कबाड़ के भाव में बिक रही हैं।
By Arvind Shukla
भारत के हाईवे और सड़कों पर जब शहर से लौटती कामगारों और मजदूरों की जद्दोजहद के बीच गांव कनेक्शन ये भी पता करने की कोशिश कर रहा था आखिर ये लाखों लोग अपना घर छोड़ते ही क्यों हैं। #CoronaFootprint सीरीज में देखिए बुंदेलखंड से ये ग्राउंड रिपोर्ट
भारत के हाईवे और सड़कों पर जब शहर से लौटती कामगारों और मजदूरों की जद्दोजहद के बीच गांव कनेक्शन ये भी पता करने की कोशिश कर रहा था आखिर ये लाखों लोग अपना घर छोड़ते ही क्यों हैं। #CoronaFootprint सीरीज में देखिए बुंदेलखंड से ये ग्राउंड रिपोर्ट
By Mithilesh Dhar
सुंदर बनारसी साड़ियां बुनने वाले हाथ अब ईंटा गारे का काम कर रहे हैं। बुनकरों की स्थिति ऐसी हो गई है कि उन्हें परिवार चलाने के लिए अपने लूम बेचने पड़ रहे हैं, बीवी के गहने बेचने पड़ रहे, कर्ज लेने पड़े।
सुंदर बनारसी साड़ियां बुनने वाले हाथ अब ईंटा गारे का काम कर रहे हैं। बुनकरों की स्थिति ऐसी हो गई है कि उन्हें परिवार चलाने के लिए अपने लूम बेचने पड़ रहे हैं, बीवी के गहने बेचने पड़ रहे, कर्ज लेने पड़े।
By Mithilesh Dhar
नाविक इस बात को लेकर भी ज्यादा परेशान हैं कि लगभग तीन महीने का उनका कमाई वाला सीजन तो खत्म हो ही चुका है, अब बारिश के बाद दो-तीन महीने नाव चलाने और मछली पकड़ने की अनुमति नहीं होगी। ऐसे में उनका खर्च कैसे चलेगा।
नाविक इस बात को लेकर भी ज्यादा परेशान हैं कि लगभग तीन महीने का उनका कमाई वाला सीजन तो खत्म हो ही चुका है, अब बारिश के बाद दो-तीन महीने नाव चलाने और मछली पकड़ने की अनुमति नहीं होगी। ऐसे में उनका खर्च कैसे चलेगा।
By Sachin Tulsa tripathi
कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन का प्रभाव जहां बड़े उद्योगों पर पड़ा तो वहीं छोटे व्यापार भी इससे प्रभावित हुए हैं। मध्य प्रदेश के सतना जिले का खुरचन व्यापार भी चौपट होने के कगार पर पहुंच चुका है। व्यापारी भी परेशान हैं।
कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन का प्रभाव जहां बड़े उद्योगों पर पड़ा तो वहीं छोटे व्यापार भी इससे प्रभावित हुए हैं। मध्य प्रदेश के सतना जिले का खुरचन व्यापार भी चौपट होने के कगार पर पहुंच चुका है। व्यापारी भी परेशान हैं।
By Arvind Shukla
ललितपुर में सहरिया आदिवासियों की संख्या करीब 75 हजार है, जिनमें से ज्यादातर भूमिहीन या फिर बहुत कम जमीन के मालिक हैं। ये जमीन भी ऐसी ही है खेती न के बराबर होती है। ज्यादातर सहरिया पत्थर काटने और जंगल से लकड़ियां लाकर बेचने का काम करते थे।
ललितपुर में सहरिया आदिवासियों की संख्या करीब 75 हजार है, जिनमें से ज्यादातर भूमिहीन या फिर बहुत कम जमीन के मालिक हैं। ये जमीन भी ऐसी ही है खेती न के बराबर होती है। ज्यादातर सहरिया पत्थर काटने और जंगल से लकड़ियां लाकर बेचने का काम करते थे।
By Mithilesh Dhar
पूर्वांचल में होने वाली शादियों में पीतल के बर्तनों का विशेष महत्व है, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण न तो शादियां हो रही हैं और न ही पीतल के बर्तन बिक रहे हैं। पीतल को गरीबों का सोना भी कहा जाता है।
पूर्वांचल में होने वाली शादियों में पीतल के बर्तनों का विशेष महत्व है, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण न तो शादियां हो रही हैं और न ही पीतल के बर्तन बिक रहे हैं। पीतल को गरीबों का सोना भी कहा जाता है।
By Mithilesh Dhar
लॉकडाउन के कारण बनारसी साड़ी को प्रतिदिन के लगभग 24 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। सालाना कारोबार पांच अरब रुपए से ज्यादा का है। इस कुटीर उद्योग से लगभग छह लाख लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं।
लॉकडाउन के कारण बनारसी साड़ी को प्रतिदिन के लगभग 24 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। सालाना कारोबार पांच अरब रुपए से ज्यादा का है। इस कुटीर उद्योग से लगभग छह लाख लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं।
By Amit Baijnath Garg
भारत में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन के कारण अनुमानित रूप से 32 करोड़ छात्रों का पठन-पाठन प्रभावित हुआ है, जिसमें 15.81 करोड़ लड़कियां और 16.25 करोड़ लड़के शामिल हैं।
भारत में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन के कारण अनुमानित रूप से 32 करोड़ छात्रों का पठन-पाठन प्रभावित हुआ है, जिसमें 15.81 करोड़ लड़कियां और 16.25 करोड़ लड़के शामिल हैं।