थोड़ा संभलकर .......यहाँ हर हाथ में माइक है और कभी भी, कुछ भी,बोलने की आजादी

फेक न्यूज़ वायरल करने में कहीं आपका भी तो इस्तेमाल नहीं हो रहा।

Ashwani Kumar DwivediAshwani Kumar Dwivedi   26 July 2018 11:45 AM GMT

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थोड़ा संभलकर .......यहाँ हर हाथ में माइक है  और कभी भी, कुछ भी,बोलने की आजादी

लखनऊ। सोचिये, किसी मीटिंग, सभा, राजनीतिक, धार्मिक सभाए जैसे सार्वजानिक स्थल पर अगर मंच पर वक्ताओं के साथ-साथ कार्यक्रम में मौजूद पब्लिक के सभी लोगों को एक-एक माइक दे दिया जाये और साथ में कभी भी कुछ भी बोलने की आजादी दे दी जाए तो क्या होगा?

कुछ ऐसा ही मंच हमारे देश में सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, व्हाट्सअप, ट्विटर ,इन्स्टा आदि ने दे दिया हैं।व्हाटसप ग्रुप ,फेसबुक पर आप से जुड़ा कोई भी व्यक्ति की-बोर्ड के प्रयोग से आपके लिए कुछ भी लिख सकता है, जो सार्वजनिक मंच होने के नाते ग्रुप या फ्रेंड सर्किल में जुड़े सारे लोगों को नजर आता हैं। इसी सुविधा के चलते सोशल मीडिया पर ,फेक न्यूज़, हेट न्यूज़, फर्जी विज्ञापन की बाढ़ आ गयी हैं। जाने अनजाने सोशल मीडिया पर सक्रीय अराजक तत्व द्वारा फैलाये गए फेक न्यूज़ को वायरल करने में सामान्य सोशल मीडिया यूजर ऐसी खबरों को वायरल करने में साझीदार हो रहें हैं, और इसे रोकना एक बड़ी चुनौती बनती जा रही हैं।

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क्या ज्यादातर लोग सोशल मीडिया का प्रयोग केवल मौजमस्ती के लिए करते हैं

उत्तर प्रदेश राज्य में इन दिनों गाँव कनेक्शन और फेसबुक मोबाइल चौपाल के माध्यम से स्कूल ,कॉलेज और ग्रामीण क्षेत्रो में सोशल मीडिया के बारें में लोगो को जागरूक करने का अभियान चला रहें हैं। लखनऊ के कास्मों पोलीटीन इंटर कॉलेज में जब गाँव कनेक्शन के सोशल मीडिया ट्रेनर दीपांशु मिश्रा ने छात्रों से सोशल मीडिया के उपयोग के बारें में पूछा तो अधिकांश छात्र -छत्राओ का जवाब था कि "व्हाटसअप का प्रयोग अपने मित्र ,परिवार ,रिश्तेदारों को वीडियो ,सन्देश इत्यादि चीजें भेजने के लिए करते हैं।

वही फेसबुक का प्रयोग इसलिए करतें है क्योकि उस पर नए-नए लोग मिलते हैं और आसानी से दोस्ती हो जाती है और लाइक, कमेंट्स करते है किसी को,कुछ भी लिख सकते है। कुल मिलाकर सोशल मीडिया मौजमस्ती और टाइम पास करने का जरिया हैं।

ऐसे भी लोग हैं जो सोशल मीडिया के सही उपयोग के बारे में जानकारी रखते हैं

कास्मो पोलीटीन इंटर कॉलेज में गाँव कनेक्शन फेसबुक मोबाइल चौपाल के दौरान इंटर के छात्र विक्रांत यादव ने दीपांशु के पूछने पर बताया कि सोशल मीडिया का उपयोग हमें सावधानी के साथ करना चाहिए। बिना जांचे परखे कोई खबर वायरल नहीं करनी चाहिए। साथ ही सोशल मीडिया का उपयोग हम पढाई,व्यवसाय और अन्य अपडेट के लिए भी कर सकते हैं।गौर करने वाली बात ये हैं कि विक्रांत यादव अभी सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करते हैं।

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छात्रों को सोशल मीडिया की जानकारी देना बेहद जरुरी

कास्मो पोलीटीन इंटर कॉलेज के प्रबंधक शैलेन्द्र कुमार राय ने का कहना हैं, कि डिजिटल युग में अब छात्रों को सोशल मीडिया से दूर कर पाना संभव नहीं है। अधिकांश छात्र-छात्राएं सोशल मीडिया का प्रयोग कर रहें हैं। अक्सर सोशल मीडिया के चलते लोगों को हुई परेशानी की ख़बरें अखबारों में छपती रहती है ।ऐसे में मोबाइल चौपाल के माध्यम से छात्रों को दी जाने वाली जानकारी सामयिक और उपयोगी हैं।

फ्रेंडलिस्ट में चार हजार से ज्यादा दोस्त जिनमें अधिकांश अपरिचित

लखनऊ के डॉ. मुरारी लाल इंटर कॉलेज में गाँव कनेक्शन फेसबुक मोबाइल चौपाल के दौरान एक छात्र ने बताया कि उसकी फेसबुक फ्रेंड लिस्ट में चार हजार से ज्यादा लोग जुड़े हैं। गाँव कनेक्शन के सोशल मीडिया ट्रेनर दीपांशु के पूछने पर बताया की फ्रेंड लिस्ट में 1 हजार से ज्यादा लड़किया है और बाकी पुरुष हैं,पर इसमें जान पहचान के मुश्किल से 50 से 100 लोग ही हैं।

फेक न्यूज़ और फेक आईडी का पता कैसे लगाये

डॉ मुरारी लाल इंटर कालेज में "मोबाइल चौपाल" के दौरान छत्राओं ने फेक न्यूज़ ,फेक आईडी,और फेसबुक को सावधानी से प्रयोग करने के तरीके पूछे।दीपांशु ने छात्र -छात्राओं को बताया कि सोशल मीडिया पर आई खबर का सोर्स (माध्यम ) चेक करना चाहिए ,कि वो खबर किस संस्था के हवाले से आई है। दूसरे ज्यादातर फर्जी ख़बरों में दिए गये लिंक में स्पेलिंग गलत होती हैं, इससे भी फर्जी खबरों को पहचान की जा सकती हैं।

दीपांशु ने छात्रों को फेक आईडी को पहचानने के तरीके के बारे में बताया कि "जब भी फेसबुक पर किसी अनजान की रिक्वेस्ट आये तो उसका प्रोफाइल ,अबाउट विकल्प पर जाकर जरुर चेक करें और उसके म्यूच्यूअल फ्रेंड्स की लिस्ट देखे उसके बाद अगर आप को लगता है तो रिक्वेस्ट स्वीकार करें। नहीं तो रिजेक्ट कर दें।

ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे है ,शौक में फोन तो लिया पर जानकारी नहीं

डॉ. मुरारी लाल इंटर कॉलेज के प्रबंधक डॉ. राजेश मोहन ने कहा की हमारे यहाँ कॉलेज में ग्रामीण छात्र -छात्राओं की संख्या ज्यादा है। बच्चो ने शौक में जिद करके माँ -बाप से महगें फोन ले लिए और सोशल मीडिया पर अकाउंट बना लिया पर इन्हें जानकारी देने वाला कोई नहीं हैं। गाँव कनेक्शन और फेसबुक ने जो ये मोबाइल चौपाल शुरू की हैं ये बहुत पहले ही शुरू हो जानी चाहिए थी। जानकारी के आभाव में सोशल मीडिया के साइड इफेक्ट किशोर से बड़ों तक सब पर पड़ रहा हैं।


     

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