गोरखपुर इनसाइड स्टोरी : बच्चों की सेहत की रक्षक नहीं, भक्षक बनी पुष्पा सेल्स
Rishi Mishra | Aug 17, 2017, 21:41 IST
लखनऊ। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज की ऑक्सीजन सप्लाई में गड़बड़ी होने के बाद अब पुष्पा सेल्स को गोरखपुर के जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने भी अपनी रिपोर्ट में दोषी माना है। इससे पहले भी पुष्पा सेल्स की समय-समय पर कई शिकायतें आई हैं, मगर हर बार कंपनी बच कर निकलती रही।
पुष्पा सेल्स और उसकी कई छद्म सहयोगी कंपनियां इस तरह के कई गडबड़झालों में लिप्त रहीं और करोड़ों के टेंडर हथियाने में भी पीछे नहीं रही। उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य महानिदेशक भी मानती हैं कि पुष्पा सेल्स के खिलाफ समय-समय पर कई शिकायतें सामने आई हैं।
स्वास्थ्य विभाग में मॉड्यूलर ओटी, एनआईसीयू, वेंटीलेटर और अन्य के टेंडरों में गड़बड़ी करके हथियाने में पुष्पा सेल्स कुख्यात है। मनरेगा से लेकर एनआरएचएम घोटाले तक में पुष्पा सेल्स का नाम सामने आता रहा है। इसके बावजूद इस कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
राजीव कुमार रौतेला, जिलाधिकारी, गोरखपुर
साल 2013 में रामनगर ऐशबाग की कंपनी पुष्पा सेल्स ने इस क्षेत्र में काम करना शुरू किया। तब से अब तक लगातार इस कंपनी की शिकायतें स्वास्थ्य विभाग में की जाती रहीं, मगर कार्रवाई शून्य ही रही।
सबसे पहले 24 दिसंबर 2013 को बीआरडी मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. सतीश कुमार ने पुष्पा सेल्स के खिलाफ महानिदेशालय को कड़ा पत्र लिखा था। सतीश कुमार बताते हैं, “तब इस कंपनी को 100 बेड के जेई वॉर्ड के लिए ऑक्सीजन सिस्टम लगाने का काम दिया गया था। सारा काम नवंबर माह में खत्म करने के लिए कहा गया था। मगर काम दिसंबर तक भी ये काम पूरा नहीं किया जा सका, जिससे टेंडर की शर्तों का उल्लंघन हो रहा था। तब एक कड़ा पत्र महानिदेशालय को भेजा गया था, मगर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।”
इसी साल प्रदेश के 9 जिलों में पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट स्थापित करने का काम भी पुष्पा सेल्स को दिया गया था। इसके लिए 20 करोड़ रुपए की धनराशि कंपनी को दी गई थी। कुशीनगर, बहराइच, गोरखपुर, देवरिया, महाराजगंज, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर और लखीमपुर के अस्पतालों में ये काम पुष्पा सेल्स को दिया गया, मगर हर जगह से गंभीर शिकायतें शासन और महानिदेशालय में की गईं।
देवरिया के सीएमओ डॉ. श्रीनिवास, सिद्धार्थनगर की सीएमएस डॉ. रुचि स्मृति पांडेय और लखीमपुर के तत्कालीन सीएमओ और सीएमएस ने भी पुष्पा सेल्स की शिकायत की थी। कहीं वेंटीलेटर ठीक काम नहीं कर रहे थे तो कहीं एबीजी मशीन तक स्थापित नहीं की गई थी।
डॉ. पद्माकर, स्वास्थ्य महानिदेशक, उप्र
इससे पहले पिछली सरकार में पुर्वांचल में जापानी बुखार से निपटने के लिए भी बच्चों के आईसीयू वार्ड चलाने का करोड़ों का ठेका दिया गया था। सिर्फ यही नहीं पुष्पा सेल्स को जिलों में चिकित्सा उपकरणों का भी करोड़ों का ठेका दिया गया था। पुष्पा सेल्स ने कमीशनबाजी के खेल में जिलों को घटिया उपकरण आपूर्ति किए। जिलों के अफसरों ने बाकायदा घटिया उपकरणों पर आपत्ति जताई, इसके बावजूद पुष्पा समेत दलालों की फर्मों को करोड़ों का भुगतान नियम विपरीत कर दिया गया।
बीती 2 जून 2014 को सुल्तानपुर के सर्जन और एमओ स्टोर जिला अस्पताल वीबी सिंह ने अपनी ही सीएमएस को एक पत्र लिखा था। डा. वीबी सिंह ने लिखा कि आपूर्ति किए गए सामान एवं उपकरण की क्वालिटी एवं मूल्य दोनों में भारी अंतर है। बिल पर हस्ताक्षर करने से बाबू को मना कर दिया था, लेकिन सीएमएस ने आश्वस्त किया कि बिल पर हस्ताक्षर कीजिये, पैसे को खाते में सुरक्षित कर लिया जाएगा। भरोसा करके हस्ताक्षर कर दिए, लेकिन मुझे बताये बिना ही आपूर्तिकर्ता फर्मों को ई-पेमेंट कर दिया गया। हालांकि सीएमएस ने इसके बाद 4 जुलाई 2014 को मेसर्स पुष्पा सेल्स, लखनऊ की फर्म राजा सर्जिकल और लाटूश रोड स्थित मेडिसिन महल को उपकरणों की आपूर्ति के संबंध में एक पत्र भेजा था। इस पत्र में लिखा था कि मानक के अनुरूप उपकरणों की आपूर्ति नहीं है, ऐसे में इन उपकरणों को मानक के अनुरूप भेजा जाए।
इतना ही नहीं, अखिलेश सरकार में सुल्तानपुर से विधायक रहे संतोष पांडेय ने भी कंपनी के खिलाफ शिकायत की थी। सरकारी अस्पतालों में उच्चीकरण के करोड़ों का बजट एक ही व्यक्ति द्वारा अलग-अलग फर्में बनाकर विभागीय क्रयनीति के खिलाफ जाकर हड़पा गया है। उपकरणों की आपूर्ति मानकविहीन होने के बावजूद 31 मार्च 2014 तक इनका भुगतान भी कर दिया गया।
कहीं कुछ अन्य कंपनियों जैसे मेडिसिन महल, पुष्पा सेल्स और राजा सर्जिकल के प्रमाण पत्र एवं साक्ष्य तक नियमों के विपरीत थे। यही नहीं महराजगंज, वाराणसी, गोरखपुर, सुल्तानपुर, बहराइच और बाराबंकी के सरकारी अस्पातलों में घटिया उपकरणों की आपूर्ति की गयी थी। मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में ये भी लिखा था कि समस्त जनपदों की जांच निदेशक प्रशासन को सौंपी गई थी, इसलिए जांच पूरी होने तक कोई भी आरसी इन फर्मों से न की जाए। तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा आकाश पांडेय के पत्र पर दिए गए 9 अगस्त 2014 के निर्देशों को भी दबा दिया गया है।
पुष्पा सेल्स और उसकी कई छद्म सहयोगी कंपनियां इस तरह के कई गडबड़झालों में लिप्त रहीं और करोड़ों के टेंडर हथियाने में भी पीछे नहीं रही। उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य महानिदेशक भी मानती हैं कि पुष्पा सेल्स के खिलाफ समय-समय पर कई शिकायतें सामने आई हैं।
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बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन आपूर्ति रोकने की जिम्मेदारी पुष्पा सेल्स पर बनती है। वह अत्यावश्यक सेवा की प्रदाता एजेंसी थी। ऐसे में उसकी जिम्मेदारी थी कि वह ऑक्सीजन की सप्लाई को न रोकती। मगर ऐसा किया गया।
साल 2013 में रामनगर ऐशबाग की कंपनी पुष्पा सेल्स ने इस क्षेत्र में काम करना शुरू किया। तब से अब तक लगातार इस कंपनी की शिकायतें स्वास्थ्य विभाग में की जाती रहीं, मगर कार्रवाई शून्य ही रही।
सबसे पहले 24 दिसंबर 2013 को बीआरडी मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. सतीश कुमार ने पुष्पा सेल्स के खिलाफ महानिदेशालय को कड़ा पत्र लिखा था। सतीश कुमार बताते हैं, “तब इस कंपनी को 100 बेड के जेई वॉर्ड के लिए ऑक्सीजन सिस्टम लगाने का काम दिया गया था। सारा काम नवंबर माह में खत्म करने के लिए कहा गया था। मगर काम दिसंबर तक भी ये काम पूरा नहीं किया जा सका, जिससे टेंडर की शर्तों का उल्लंघन हो रहा था। तब एक कड़ा पत्र महानिदेशालय को भेजा गया था, मगर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।”
इसी साल प्रदेश के 9 जिलों में पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट स्थापित करने का काम भी पुष्पा सेल्स को दिया गया था। इसके लिए 20 करोड़ रुपए की धनराशि कंपनी को दी गई थी। कुशीनगर, बहराइच, गोरखपुर, देवरिया, महाराजगंज, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर और लखीमपुर के अस्पतालों में ये काम पुष्पा सेल्स को दिया गया, मगर हर जगह से गंभीर शिकायतें शासन और महानिदेशालय में की गईं।
देवरिया के सीएमओ डॉ. श्रीनिवास, सिद्धार्थनगर की सीएमएस डॉ. रुचि स्मृति पांडेय और लखीमपुर के तत्कालीन सीएमओ और सीएमएस ने भी पुष्पा सेल्स की शिकायत की थी। कहीं वेंटीलेटर ठीक काम नहीं कर रहे थे तो कहीं एबीजी मशीन तक स्थापित नहीं की गई थी।
पुष्पा सेल्स के खिलाफ समय-समय पर कई शिकायतें सामने आई हैं। अब जबकि डीएम की जांच में भी उन पर दोष आ रहा है तो ऐसे में महानिदेशालय शासन के निर्देशों का इंतजार करेगा। उसके बाद में कंपनी पर कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले पिछली सरकार में पुर्वांचल में जापानी बुखार से निपटने के लिए भी बच्चों के आईसीयू वार्ड चलाने का करोड़ों का ठेका दिया गया था। सिर्फ यही नहीं पुष्पा सेल्स को जिलों में चिकित्सा उपकरणों का भी करोड़ों का ठेका दिया गया था। पुष्पा सेल्स ने कमीशनबाजी के खेल में जिलों को घटिया उपकरण आपूर्ति किए। जिलों के अफसरों ने बाकायदा घटिया उपकरणों पर आपत्ति जताई, इसके बावजूद पुष्पा समेत दलालों की फर्मों को करोड़ों का भुगतान नियम विपरीत कर दिया गया।
बीती 2 जून 2014 को सुल्तानपुर के सर्जन और एमओ स्टोर जिला अस्पताल वीबी सिंह ने अपनी ही सीएमएस को एक पत्र लिखा था। डा. वीबी सिंह ने लिखा कि आपूर्ति किए गए सामान एवं उपकरण की क्वालिटी एवं मूल्य दोनों में भारी अंतर है। बिल पर हस्ताक्षर करने से बाबू को मना कर दिया था, लेकिन सीएमएस ने आश्वस्त किया कि बिल पर हस्ताक्षर कीजिये, पैसे को खाते में सुरक्षित कर लिया जाएगा। भरोसा करके हस्ताक्षर कर दिए, लेकिन मुझे बताये बिना ही आपूर्तिकर्ता फर्मों को ई-पेमेंट कर दिया गया। हालांकि सीएमएस ने इसके बाद 4 जुलाई 2014 को मेसर्स पुष्पा सेल्स, लखनऊ की फर्म राजा सर्जिकल और लाटूश रोड स्थित मेडिसिन महल को उपकरणों की आपूर्ति के संबंध में एक पत्र भेजा था। इस पत्र में लिखा था कि मानक के अनुरूप उपकरणों की आपूर्ति नहीं है, ऐसे में इन उपकरणों को मानक के अनुरूप भेजा जाए।
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कहीं कुछ अन्य कंपनियों जैसे मेडिसिन महल, पुष्पा सेल्स और राजा सर्जिकल के प्रमाण पत्र एवं साक्ष्य तक नियमों के विपरीत थे। यही नहीं महराजगंज, वाराणसी, गोरखपुर, सुल्तानपुर, बहराइच और बाराबंकी के सरकारी अस्पातलों में घटिया उपकरणों की आपूर्ति की गयी थी। मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में ये भी लिखा था कि समस्त जनपदों की जांच निदेशक प्रशासन को सौंपी गई थी, इसलिए जांच पूरी होने तक कोई भी आरसी इन फर्मों से न की जाए। तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा आकाश पांडेय के पत्र पर दिए गए 9 अगस्त 2014 के निर्देशों को भी दबा दिया गया है।