ग्राम प्रधान की शपथ लेने के 25 दिन बाद भी प्रधानों को नहीं मिला बैंक खाता संचालन का अधिकार

उत्तर प्रदेश में नई ग्राम पंचायतों का गठन हो गया है। सभी प्रधान शपथ भी ले चुके हैं लेकिन बहुत सारे प्रधानों के डीएससी (डोंगल) रजिस्टर्ड नहीं हुए हैं। डिजिटल साइन की प्रक्रिया पूरी न होने से प्रधान बैंक खातों में लेन-देन नहीं कर पा रहे हैं।

Ajay MishraAjay Mishra   21 Jun 2021 9:22 AM GMT

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ग्राम प्रधान की शपथ लेने के 25 दिन बाद भी प्रधानों को नहीं मिला बैंक खाता संचालन का अधिकारउत्तर प्रदेश में पहले चरण में 25 मई को ग्राम पंचायत सदस्यों और प्रधानों ने ली थी शपथ। 

कन्नौज (उत्तर प्रदेश)। 'अभी नए प्रधानों के डिजिटल साइन नहीं हुए हैं। ग्राम पंचायत में हैंडपंप मरम्मत और मजदूरी आदि का खर्च जेब से देना पड़ रहा है। खाता संचालन का अधिकार न होने से दिक्कतें हो रही हैं।" नए चुने गए ग्राम प्रधान राजेश राठौर ने कहा।

यूपी के कन्नौज जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर सदर ब्लॉक में बेहरिन गांव प्रधान राठौर ने 25 मई को पहले चरण में ही ग्राम पंचायत सदस्यों के साथ शपथ ली थी।, लेकिन ग्राम पंचायत के बैंक खाते का संचालन करने का अधिकार अब तक नहीं मिला है। वो आगे कहते हैं, "जनहित में विकास कार्य तो नहीं रोके जा सकते हैं। कोरोना संक्रमण काल में सफाई आदि में भी काफी खर्च हुआ है।'

उत्तर प्रदेश में 2 मई को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतगणना हुई थी। कई जिलों में यह काम तीन दिन तक चला था। जीते हुए उन नए प्रधानों को शपथ दिलाई गई थी, जिनके पास ग्राम पंचायत सदस्यों का दो तिहाई बहुमत था। अगर कन्नौज की बात करें तो जिले के 499 प्रधानों में से 291 प्रधानों ने अपने सदस्यों के साथ 25 व 26 मई को शपथ लेने के बाद 27 मई को ग्राम पंचायत की पहली बैठक में छह-छह समितियां गठित कर लीं थीं। रिक्त व कोरोना संक्रमण काल में जान गंवाने वाले गांव के प्रतिनिधियों के पदों पर उपचुनाव 12 जून को हुआ। 14 जून को मतगणना हुई। अब इन 208 ग्राम पंचायतों में 18 व 19 जून को शपथ भी हो चुकी है। 20 जून को यहां भी पहली बैठक और समितियों का गठन हो गया है।

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ग्राम प्रधानों को खातों में लेन-देन शुरु होने का इंतजार।

दूसरे चरण में शपथ लेने वाले प्रधानों की खातों के संचालन में देरी की वजह समझ में आती है लेकिन 25 दिन पहले शपथ लेने में देरी क्यों हो रही है, ये सवाल प्रधानों के मन में है

ग्राम पंचायत का खाता सचिव व प्रधान का संयुक्त रूप से होता है। 25 मई को शपथ लेने वाले कन्नौज ब्लॉक क्षेत्र के पचोर प्रधान आमोद दुबे कहते हैं कि 'खाता खुल गया है, लेकिन ग्राम पंचायत सचिव का कहना है कि डोंगल नहीं मिला है।"

वो आगे बताते हैं, "17 जून को कन्नौज के पीएसएम पीजी कॉलेज सभागार में डीएम राकेश मिश्र और मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) आरएन सिंह ने ब्लॉक क्षेत्र के नए प्रधानों के साथ बैठक की थी। इसमें खाता संचालन की प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए थे। अभी उनकी ग्राम पंचायत में ज्यादा काम भी नहीं हुआ है।"

सिद्धार्थनगर जिले के भनवापुर ब्लॉक में हसुडी औसानपुर ग्राम पंचायत के किसान दिलीप त्रिपाठी के मुताबिक उनके जिले में ज्यादातर प्रधानों के 5-7 पहले ही डोंगल मिल गए थे।

वो कहते हैं, "अब ग्राम पंचायतों का काम भी डिजिटल है। ब्लॉक स्तर पर डिजिटल सिग्नेचर बनाने का काम प्राइवेट कंपनियों को दिया गया है। इसके लिए प्रधान को जाकर वहां एक वीडियो में अपनी डिटेल देनी होती है, जिसके 5-6 दिन बाद डिजिटल साइन बनकर आ जाते हैं और उसके बाद खाता संचालन की अनुमति मिल जाती है।"

यूपी में बहराइच जिले की एक प्रधान स्वपनिल कहती हैं, 2 दिन पहले डिजिटल सिग्नेचर की प्रक्रिया पूरी हुई है। अभी खाते से लेनदेन नहीं शुरु किया गया है।" वहीं हरदोई जिले की एक ग्राम पंचायत के प्रधान संपूर्णानंद बताते हैं, "डोंगल बन गया है लेकिन ग्राम पंचायत के खाते में बजट नहीं है इसलिए काम नहीं सकता है।"

ग्राम पंचायतों में मुख्य रुप से केंद्र सरकार के 15वें वित्त आयोग और राज्य सरकार के पंचम वित्त के तहत विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। जिसके लिए पहले पंचायत की बैठक में काम तय किए जाने चाहिए, तय काम की कार्ययोजना बने, उसका इस्टीमेट बनाया जाता है, जिसके बाद ब्लॉक या जिलास्तर पर उनका अनुमोदन होता है। 2500000 रुपए तक की योजना विकास खंड स्तर पर पास होती है जबकि उसके इसके ऊपर के बजट की योजना जिलास्तर पर पास की जाती है।

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ग्राम पंचायत मौसमपुर मौरारा के युवा प्रधान नितेश कुमार कहते हैं कि डोंगल के लिए उनको सूचना तो दी गई थी, लेकिन वह बाहर थे, इसलिए डोंगल की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। नए प्रधानों की ब्लॉक की बैठक हो चुकी है। अब वह डोंगल की प्रक्रिया पूरी करेंगे। लेकिन भुगतान का अधिकार नहीं मिला है।'

कन्नौज के जिला पंचायती राज के डीपीएम शलभ त्रिपाठी बताते हैं कि 'जनपद के कई नए प्रधानों के डोंगल यानि डीएससी रजिस्टर्ड हो चुके हैं। भुगतान करने की अभी अनुमति नहीं है। बैंक खातों में हस्ताक्षर आदि का काम सम्बंधित ब्लॉकों के जरिए होगा। इसके लिए शासन से आदेश भी आएगा।'

उन्होंने आगे बताया कि 'बजट तकरीबन हर ग्राम पंचायत में है। प्रशासकों (पहले दौर के प्रधानों का कार्यकाल नियुक्त होने के बाद जिम्मेदारी अधिकारी) ने भुगतान 10 फीसदी के करीब ही किया होगा।' नए प्रधानों ने तो दो-तीन दिन पहले ही शपथ ली है, अब उनके भी डोंगल बनाए जाएंगे।'

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