खाते में पैसा न पहुंचने से परेशान मनरेगा मजदूर

Divendra SinghDivendra Singh   24 Jan 2018 5:22 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
खाते में पैसा न पहुंचने से परेशान मनरेगा मजदूरमनरेगा मजदूर

अरविन्द्र सिंह परमार/मोबिन अहमद

बैंक खाते में मजदूरी का पैसा न पहुंचने से कई मनरेगा मजदूर परेशान हैं कई दिनों तक बैंक और ब्लॉक के चक्कर लगाने के बाद उन्हें पता चलता है कि उनका पैसा तो उनके मोबाइल पर भेजा दिया गया है।

ललितपुर जिले के ब्लॉक महरौनी की पडवां ग्राम पंचायत के मनरेगा मजदूर पवन तनय खरगे (32 वर्ष) बताते हैं, “दो माह पहले मैने और मेरे पत्नी ने बंधी पर खंती डालकर बारह दिन काम किया, हमारे साथ काम करने वाले आधे से अधिक मजदूरों का पैसा एक माह बाद उसी खाते में आया, जिसमें पहले आता था, मगर मेरा नहीं आया।“ आगे बताया, “मैंने बैंक ब्लॉक के कई बार चक्कर काटे, मगर कोई बताने को तैयार नहीं था कि मेरा पैसा कहां गया।” ये पवन अकेले मजदूर नही हैं, जो परेशान हुए, इन जैसे सैकड़ों मजदूर मजदूरी ना आने से भटक रहे हैं।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना की वेबसाइट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में कुल 223.18 लाख मनरेगा मजदूर हैं और ललितपुर, सीतापुर और रायबरेली जैसे कई जिलों में ऐसी शिकायतें आ रहीं हैं।

पवन आगे बताते हैं, “फिर मैं रोजगार सेवक को बैंक ले गया, वहां एक मजदूर ने कहा कि मेरा पैसा एयरटेल की सिम पर आया, तब रोजगार सेवक के साथ एयरटेल ऑफिस में मालूम किया। तब पता चला कि मजदूरी का इक्कीस सौ रुपए की मजदूरी सिम पर आई हैं, जब मैंने ये खाता खुलवाया ही नहीं, तो ये खुला कैसे, मुझे नही पता। मगर बाद में मुझे मेरी मजदूरी मिली।”

ये भी पढ़ें- ‘वर्ष 2016-17 में मनरेगा के तहत कुल रोजगार सृजन पिछले छह साल में सबसे अधिक’

एयरटेल सिम में पैसा जाने की दिक्कत इसलिए हुई क्योंकि बैंकों ने लोगों को आधार से जोड़कर ये अधिकार पा लिया, जिससे मजदूरों का पैसा दूसरे खातों में जाने लगा और उन्हें खबर नहीं हुई। ऐसी स्थिति में मजदूर चाहें तो मनरेगा के ब्लॉक ऑफिस में प्रार्थना पत्र देकर वापस बैंक के खातों में मजदूरी का पैसा प्राप्त कर सकते हैं।
योगेश कुमार, अपर आयुक्त, मनरेगा, उत्तर प्रदेश

वहीं रायबरेली जिले में बछरावां ब्लॉक के सहेंगे ग्राम सभा में मनरेगा के तहत मजदूरी कर रहे सुरेश कुमार(38 वर्ष) ने बताते हैं, “दो महीने पहले की गई मजदूरी का पैसा हमारे सभी साथियों के खाते में आ गया, पर हम आठ लोग ऐसे थे जिनका पैसा नहीं आया, तब हमने ग्राम प्रधान से कहा। शिकायत के कुछ दिन के बाद ग्राम प्रधान ने हमें बताया कि तुम्हारा पैसा किसी एयरटेल बैंक में चला गया है। हमारे गाँव में एयरटेल बैंक नहीं है, बहुत पूछने पर मालूम हुआ कि यह बैंक बछरावां में है। अब 500 रुपए निकालने के लिए 100 रुपए खर्च करके बछरावां कौन जाए।“

ये पूरा खेल प्राइवेट मोबाइल कंपनियां आधार लिंक के तहत कर रही हैं। मनरेगा योजना में करीब 70 प्रतिशत पैसा आधार बेस पर खातों में किया जा रहा है। मोबाइल कंपनियां अपने सिम को आधार से कनेक्ट करके उसे अपने ग्राहकों को बेचकर उनके खातों से पैसों की चोरी कर रही हैं, जिसकी जानकारी खाता धारक को भी नहीं हो पाती है।

एयरटेल ऑफिस के अंदर बोर्ड लगा है, जिस पर अंकित हैं, “एयरटेल पेमेंट बैंक-तीन मिनट में बैंक एकाउंट खोले” एयरटेल उपभोक्ता मनरेगा मजदूर ने आधार लगाकर सिम खरीदा या आधार लिंक कराया, ऐसे में मजदूरों की बिना सहमति लिए एकाउंट खोल दिया, इस बारे में मजदूरों को जानकारी नही हैं। ना ही कोई लिखित दस्तावेज दिया गया, ना ही कुछ बताया गया। अब इन मजदूरों का पैसा एयरटेल के खातों में जा रहा, जिससे मजदूर परेशान हैं जब इस बारे में जब एयरटेल कम्पनी के क्षेत्रीय डीलर से जाना चाहा तो उन्होंने किसी भी प्रकार की जानकारी देने से मना कर दिया।

ये भी पढ़ें- मुख्यमंत्री समग्र ग्राम विकास योजना से बदलेगी पिछड़े गाँवों की तस्वीर

ग्राम पंचायत पडवां के रोजगार सेवक अवधेश दुबे बताते हैं, “मनरेगा भुगतान में ईएफएमएस प्रक्रिया से मजदूरों को राहत थी, पैसा समय से मिलता था। वो हंसी खुशी बैंक पहुंच कर पैसा निकाल लेते थे। जब से आधार से भुगतान प्रक्रिया शुरू हुई, मजदूरों को। अब मालूम भी नही पड़ता, पैसा सिम या खाते में कहां जा रहा हैं।”

मनरेगा मजदूरों के अलग से खाते हैं, मजदूरी उन्हीं में आती थी, अब नहीं? इस बारे में छपरट ग्राम पंचायत के मजदूर बाबू ढीमर (45 वर्ष) बताते हैं, “मनरेगा का अलग से खाता हैं, हर बार उसी में आती थी। इस बार एयरटेल की सिम पर आये, सिम का खाता मैंने नही खुलवाया, एयरटेल वालों ने अपने आगे खोल दिया, कोई पासबुक नहीं दी और मैं परेशान होता रहा।”

“मजदूरों को काम देने का प्रयास तो कर रहे हैं, लेकिन मजदूर काम पर नहीं आते, वो कहते हैं पैसा समय से नही मिलता। मिलता भी हैं तो पता नहीं चलता की कहां मिलेगा” ,यह कहना हैं ग्राम पंचायत किसरदा के ग्राम प्रधान हाकिम सिंह का। वो बताते हैं, “एयरटेल की सिम पर मजदूरों का पैसा आया, इन मजदूरों ने आधार पर सिम खरीदी, कम्पनी वालों ने बिना सहमति का इसी सिम पर खाता खोल दिया, मजदूर को बताया भी नहीं, किसी के पास कोई पास बुक भी नही हैं। पैसा इन्ही खाते में आ रहा है। मजदूर मजदूरी के पैसों को भागदौड़ करते हैं, इसकी जानकारी कही से मिल नही पाती। ऐसे में मजदूर मनरेगा के काम करने से बच रहे हैं।“

ये भी पढ़ें- जियो टैगिंग 2 से मनरेगा पर होगी सख्त निगरानी 

इस बारे में ललितपुर मनरेगा उपायुक्त श्रम जयसिंह यादव बताते हैं, “इसकी जानकारी मेरे संज्ञान में नही हैं, आपके द्वारा जानकारी मिली हैं, मजदूरों द्वारा मेरे पास कोई शिकायत आती हैं तो संबंधित प्रकरण की जाँच की जायेगी।”

वहीं, रायबरेली के मनरेगा डीसी अनिल कुमार सिंह बताते हैं, “यह शिकायत हमारे पास जिले के बछरावां और डीह ब्लॉक से आई है। मजदूरों का पैसा एयरटेल बैंक में कैसे गया इसकी हमें जनपद या ब्लॉक स्तर से कोई सूचना नहीं दी गई। यह काम एयरटेल वाले अपनी मनमर्जी से कर रहे हैं जल्द ही उन पर कार्यवाही की जाएगी।”

सहमति बिना खोला एकाउंट

एयरटेल उपभोक्ता मनरेगा मजदूर ने आधार लगाकर सिम खरीदा या आधार लिंक कराया, ऐसे में मजदूरों की बिना सहमति लिए एकाउंट खोल दिया गया, इस बारे में मजदूरों को जानकारी नही हैं। ना ही कोई लिखित दस्तावेज दिया गया, ना ही कुछ बताया गया। अब इन मजदूरों का पैसा एयरटेल के खातों में जा रहा, जिससे मजदूर परेशान हैं।

       

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.