स्कूल वैन ड्राईवरों की लापरवाही बन रही बच्चों की जान की दुश्मन

Divendra Singh | Apr 26, 2018, 13:43 IST
school van
आपका बच्चा जिस स्कूल वैन से हर सुबह स्कूल जाता है, पता भी होता है कि ड्राईवर कौन है कहां से आता है। कुशीनगर में हुए स्कूल वैन और ट्रेन में हुए हादसे ने अभिभावकों को परेशान कर दिया है।

इलाहाबाद ज़िले के शिवगढ़ के रहने वाले हरीश चंद्र केशरवानी के बच्चा हिमांशू होली चाइल्ड स्कूल में पांचवी में पढ़ता है। हरीश चन्द्र बताते हैं, "हम अपने बच्चों को स्कूल वालों के भरोसे दिन भर के लिए भेजते हैं, लेकिन जिस तरह से हादसों के बारे में खबरें आती हैं, हमें परेशान कर देती हैं, आज बच्चों को लेकर स्कूल वाले नैनी लेकर गए हैं, कई बार फोन कर चुका हूं, कि कब तक आएंगे।"

पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में विशुनपुरा थाना क्षेत्र के बहपुरवा रेलवे क्रॉसिंग पर सामने से आ रही सीवान से गोरखपुर जाने वाली ट्रेन से (ट्रेन नंबर 55075) बच्चों से भरी एक मैजिक वैन टकरा गई। कानों में हेडफोन लगा कर बात कर रहे एक स्कूल वैन ड्राईवर ने आती ट्रेन पर ध्यान नहीं दिया और दस साल से कम उम्र के अट्ठारह स्कूली बच्चों से ठूंसी गयी वैन ट्रेन द्वारा कुचल दी गयी। तेरह बच्चों की तुरंत मौत हो गयी और चार बच्चे गंभीर रूप से घायल हैं।

इससे पहले जुलाई 2016 में भदोही में स्कूल वैन चालक के लापरवाही के कारण एक स्कूल वैन पैसेंजर ट्रेन से टकरा गई थी। इस घटना में वैन में सवार 19 छात्रों में से 7 की मौत हो गयी थी। चालक ईयरफोन लगाकर वैन चला रहा था।

जिस स्कूल से बच्चा स्कूल जाता-आता है, उसके ड्राइवर का नाम व मोबाइल नंबर स्कूल व अभिभाव के पास रहना चाहिए, लेकिन कई बार ड्राईवर आधे रास्ते से बच्चों को दूसरी वैन में ट्रांसफर कर देते हैं।

स्कूल प्रशासन ऐसे बच्चों को घर से लाने व छोड़ने के लिए वाहनों को अटैच कर लेते हैं। स्कूली वाहनों को मानक पूरा करना होता है। ऐसे वाहनों का पंजीकरण कामर्शियल में होना आवश्यक होता है। परमिट बना होना चाहिए। इसके अलावा वाहन का फिटनेस प्रमाण पत्र होना चाहिए। ऐसे चारपहिया वाहनों को ही स्कूली वाहन के लिए पंजीकृत किया जाता है। ऐसे वाहनों में निर्धारित संख्या से अधिक बच्चों को भूसे की तरह भरकर ले जाया जाता है।

इस भयानक हादसे के बाद लखनऊ में आरटीओ के अधिकारीयों ने वैन चालकों को लेकर अभियान चलाया। अधिकारीयों ने स्कूलों के बाहर वैन की जांच किया। चेकिंग के दौरान कई वाहन चालकों के पास लाइसेंस नहीं मिला तो कई गाड़ियों की स्थिति खराब मिली।

स्कूल से वेरिफेकशन करके ही स्कूल वैन व बसों को लाइसेंस दिया जाता, हम लोग समय-समय पर स्कूल वैन के खिलाफ अभियान चलाया जाता है, अगर क्षमता से अधिक बच्चे बैठाए गए हैं तो चालान किया जाता है।
आनंद राव, उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग

उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग के अधिकारी आनंद राव नियमों के बारे में बताते हैं, "स्कूल से वेरिफेकशन करके ही स्कूल वैन व बसों को लाइसेंस दिया जाता, हम लोग समय-समय पर स्कूल वैन के खिलाफ अभियान चलाया जाता है, अगर क्षमता से अधिक बच्चे बैठाए गए हैं तो चालान किया जाता है।"

नियम को ताक पर रखकर बच्चों को ढो रहे वैन चालक

जिस भी वाहन को स्कूल द्वारा बच्चों को लाने-छोड़ने के लिए रखा जाता है, उसके लिए कुछ मानक तय है, लेकिन इन मानकों को ताक पर रख उन गाड़ियों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, जो तय मानक को पूरा नहीं कर रही है। स्कूल वैन के रूप में इस्तेमाल होने वाले वाहनों का कमर्शियल पंजीकरण और परमिट होना ज़रूरी होता है और साथ ही गाड़ियों को वैन के रूप में इस्तेमाल करने से पहले उसका फिटनेस प्रमाण पत्र जमा कराना होता है। स्कूली वैन के रूप में सिर्फ चार पहिया गाड़ियों को ही अनुमति दी जा सकती है, लेकिन स्कूल वैन के रूप में डिब्बा बंद गाड़ी, ऑटो, मैजिक और ई-रक्शा का इस्तेमाल हो रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने जारी कर रखी हैं ये गाइडलाइन

स्कूली बसों के बढ़ते हादसों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किये थे, लेकिन इनका अधिकांशतः पालन नहीं होता है।

  • बसों में स्कूल का नाम व टेलीफोन नंबर लिखा होना चाहिए।
  • बसों का उपयोग स्कूली गतिविधियों व परिवहन के लिए ही किया जाएगा।
  • वाहन पर पीला रंग हो जिसके बीच में नीले रंग की पट्टी पर स्कूल का नाम होना चाहिए।
  • वाहन चालक को न्यूनतम पांच वर्ष का वाहन चलाने का अनुभव होना चाहिए। बसों में जीपीएस डिवाइस लगी होनी चाहिए ताकि ड्राइवर को कोहरे व धुंध में भी रास्ते का पता चल सके।
  • सीट के नीचे बस्ते रखने की व्यवस्था।
  • बस में अग्निशमन यंत्र रखा हो।
  • बस में कंडक्टर का होना भी अनिवार्य।
  • बस के दरवाजे तालेयुक्त होने चाहिए।
  • बस में प्राथमिक उपचार के लिए फस्ट ऐड बॉक्स उपलब्ध हो।
  • बसों की खिड़कियों में आड़ी पट्टियां (ग्रिल) लगी हो।
  • स्कूली बस में ड्राइवर व कंडक्टर के साथ उनका नाम व मोबाइल नंबर लिखा हो।
  • बस के अंदर सीसीटीवी भी इंस्टॉल होना चाहिए ताकि बस के अंदर की दुर्घटना के बारे में पता लगाया जा सके
  • स्कूली वाहन के रूप में चलने वाले पेट्रोल ऑटो में पांच, डीजल ऑटो में आठ, वैन में 10 से 12, मिनी बस में 28 से 32 और बड़ी बस में ड्राइवर सहित 45 विद्यार्थियों को ही सवार कर सकते हैं।
  • किसी भी ड्राइवर को रखने से पहले उसका वेरिफिकेशन कराना जरूरी है।
  • बस चालक के अलावा एक और बस चालक साथ में होना जरूरी।
  • चालक का कोई चालान नहीं होना चाहिए और न ही उसके खिलाफ कोई मामला हो।
  • बसों में बैग रखने के लिए सीट के नीचे व्यवस्था होनी चाहिए।
  • बसों में टीचर हो, जो बच्चों पर नजर रखे।


Tags:
  • school van
  • school van accident
  • ARTO Department
  • RTO

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.