‘जब तक खादी की मांग नहीं बढ़ेगी तब तक इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का उत्थान नहीं होगा’

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‘जब तक  खादी की मांग नहीं बढ़ेगी तब तक इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का उत्थान नहीं होगा’गिरिराज सिंह

लखनऊ। पर्यावरण सुरक्षा के साथ-साथ लोगों को स्वरोजगार के साधन मिले वो भी उनके घर पर, इसपर सरकार प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में मंगलवार को लखनऊ के जानकीपुरम विस्तार में स्थापित भारतीय हरित खादी ग्रामोदय संस्थान के प्रधान कार्यालय का उद्घाटन केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्यमंत्री गिरिराज सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रदेश के खादी एवं ग्रामोद्योग उद्योग, लघु-मध्यम उद्यम एवं निर्यात प्रोत्साहन मंत्री सत्यदेव पचैरी भी मौजूद थे। संस्थान के टोल फ्री नंबर का भी शुभारम्भ किया गया।

इस अवसर पर गिरिराज सिंह ने कहा कि चरखा तभी चलता है, जब धागा बनता है। जब तक राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय बाजार में खादी की मांग नहीं बढ़ेगी तब तक इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का उत्थान नहीं होगा। इसके लिए आवश्यक है कि खादी को माडर्न स्वरूप दिया जाये। उन्होंने कहा कि भारतीय हरित खादी हर उस व्यक्ति के लिए है जो दूर गाँव में सोलर चरखे से अपनी आजीविका चला रहा है। आज जारी किया गया टोल फ्री नम्बर उसे सोलर चरखे या उससे जुड़ी किसी अन्य समस्या को सीधे प्रधान कार्यालय तक पहुंचाने और उनका त्वरित समाधान प्राप्त करने में सहयोग करेगा।

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पचौरी ने कहा कि खादी को एक फैशनेबल रूप में अलग पहचान के साथ सभी वर्ग के लोगों के बीच लोकप्रिय बनाने और लाने की मुहिम है। ग्रीनवियर, भारतीय हरित खादी ग्रामोदय संस्थान खनवां के सुदूर गाँव में छिपी कलात्मकता को विश्वपटल तक पहुंचाने में लगा है। ग्रीनवियर डिजाइन के माध्यम से जिन्दगी बदलने की परिकल्पना है।

ग्रीनवियर जहाँ एक तरफ पर्यारण संरक्षण को बढ़ावा देता है वहीं दूसरी ओर यह विलुप्त होती कलाओं को टेक्सटाइल और डिजाइन से जोड़ता है। भारतीय हरित खादी ग्रामोदय संस्थान के अध्यक्ष विजय पाण्डेय ने बताया कि संस्थान केवीआईसी द्वारा मान्यता प्राप्त और भारतीय माइक्रो क्रेडिट द्वारा प्रवर्तित संस्था है। यह सौर ऊर्जा के समन्वय से खादी के प्रसार और ग्रामीण अंचल में स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए सम्पूर्ण समाधान उपलब्ध कराती है। संस्थान ने बिहार में नवादा जिले के ग्राम खनवां में महिला सशक्तिकरण की दिशा में दो लाख वर्गफीट के प्रांगण में प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र की स्थापना वर्ष 2016 में की।

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इस प्रशिक्षण केंद्र में महिलाओं को सोलर चरखा चलाने की ट्रेनिंग के साथ-साथ उन्हें प्रिंटिंग, डाईंग, लूम, सिलाई इत्यादि का प्रशिक्षण दिया जाता है। ट्रेनिंग के साथ ही उन्हें उनके घर पर चरखा लगाने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार गारण्टी योजना से जोड़ना, बैंक लोन एवं चरखा उनके घर लगवाने के सभी चरणों में पूरा सहयोग किया जाता है। इसी के साथ केन्द्र में कताई से लेकर सिलाई तक और विभिन्न इकाईयों में तैयार सामान का विपणन भी किया जाता है। कार्यक्रम में गुजरात विधानसभा की सदस्य संगीता बेन पाटिल, फैशन डिजाइनर रितु बेरी भी मौजूद रहीं।

50 सर्वोत्कृष्ट रेशम कोया उत्पादकों एवं धागाकरण उद्दमियों का सम्मान

उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक रेशम कोया (ककून) उत्पादित करने वाले कीटपालकों में प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित करने के उद्देश्य से ‘‘पं0 दीन दयाल उपाध्याय रेशम उत्पादकता पुरस्कार वितरण’’ कार्यक्रम का आयोजन यहां लखनऊ के पर्यटन भवन में किया गया। प्रदेश के रेशम मंत्री सत्यदेव पचौरी ने चयनित 50 सर्वोत्कृष्ट रेशम कोया उत्पादकों एवं धागाकरण उद्यमियों को 11 हजार रुपए, अंगवस्त्र एवं प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया।

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इससे पूर्व उन्होंने पर्यटन भवन में लगे 05 दिवसीय शिल्प एक्सपों का भी शुभारम्भ किया। इस मौके पर पचौरी ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले किसानों को हार्दिक बधाई देते हुए उनकी उन्मुक्त कंठ से सराहना की। उन्होंने कहा रेशम उद्योग से जुड़े किसानों का किसी भी दशा में शोषण नहीं होने दिया जायेगा। किसानों के कोया उत्पाद का सही मूल्य मिले इसके लिए प्रदेश में जल्द ही धाना बनाने वाली इकाईयों की स्थापना कराई जायेगी। किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए हर सम्भव कदम उठाए जायेंगे।

  

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