Main Toot Kyun Nahi Gaya | Conversations With My Father | Episode 3 | Neelesh Misra
पिता किस मिट्टी के बने होते हैं? वे वे लोग होते हैं जो कभी हार नहीं मानते, जो वहाँ रास्ते बनाते हैं जहाँ कोई रास्ता नहीं होता। ऐसी ही कहानी है देश के प्रिय कथाकार नीलेश मिस्रा के पिता शिवा बालक मिस्रा की। यह संवाद सपनों, संघर्षों और जीवन नाम की अनवरत यात्रा का एक मार्मिक प्रसंग है। नीलेश मिस्रा का काम देशभर में लोगों तक पहुँचता रहा है, जिसमें शहरी प्रेम से लेकर ग्रामीण नायकों और सुशासन जैसे कई विषयों पर उनकी कहानियाँ सुनी जाती हैं। वे ग्रामीण मीडिया के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले रचनाकार, लेखक, गीतकार, गायक, वक्ता और मार्गदर्शक रहे हैं। नीलेश मिस्रा समाज में सकारात्मक बदलाव लाने वाले उन व्यक्तित्वों में से हैं जिन्होंने हमेशा नए और समाजोन्मुख विचारों को आगे बढ़ाया। उन्होंने संचार और रचना की दुनिया में कई नए प्रयोग किए जिनका व्यापक प्रभाव देखने को मिला। उन्होंने सचेत उद्यमशीलता की अवधारणा को आगे बढ़ाते हुए स्लो मूवमेंट की नींव रखी, जो हमें एक धीमी, आधारभूत और अर्थपूर्ण जीवन शैली से जोड़ने का प्रयास करता है। इस सोच का उद्देश्य लोगों को उन छोटे-छोटे सुखों और अनुभवों से दोबारा जोड़ना है जिन्हें तेज़ जीवनशैली में हम पीछे छोड़ आए। स्लो कंटेंट के माध्यम से कहानी, बातचीत और अन्य रचनात्मक अभिव्यक्तियों को सहज, गहरे और आत्मीय रूप में लोगों तक पहुँचाया जाता है। नीलेश मिस्रा ने अनेक लोकप्रिय गीतों के बोल भी लिखे हैं और कई नामचीन संगीतकारों के साथ काम किया है। अंत में दर्शकों से अनुरोध है कि हमारे साथ जुड़े रहें और पसंद आने पर इसे साझा करें।