'अध्यक्ष मैम, हम बच्चों के पार्क को सुंदर करा दीजिए'

Update: 2016-02-04 05:30 GMT
गाँव कनेक्शन, gaon connection

बांसी (सिद्धार्थनगर)। ''नगर पालिका की अध्यक्ष मैम, हम बच्चों के एकमात्र पार्क की हालत खराब है, जिससे हम वहां खेल नहीं पा रहे हैं। वहां लगे खेल सामग्रियों का उपयोग भी नहीं कर पा रहे हैं। प्लीज हम नन्हें मुन्नों की भी इच्छाओं का ध्यान दीजिए और हमारे बाल पार्क को सुन्दर करा दीजिए।" यह विनम्र निवेदन बांसी आदर्श नगर पालिका क्षेत्र के निवासी 11 वर्षीय कु. मानवी, नौ वर्षीय कु. सिद्धी, नौ वर्षीय विशेष कुमार तथा पांच वर्षीय देवांश जैसे उन तमाम बच्चों का है जो अपने एक मात्र बाल पार्क में भी न तो खेल पा रहें हैं और न ही वहां लगाये गये खेल उपकरणों का ही आनन्द उठा पा रहे हैं। जिसका मुख्य कारण यह है कि यह इकलौता बाल पार्क पूरी तरह से उपेक्षा का शिकार होकर रह गया है। नगर पालिका प्रशासन का जरा सा भी ध्यान इस पर नहीं है। 

बांसी राप्ती नदी के तट पर विघायक बांसी जय प्रताप सिंह ने अपने विधायक निधि से वर्ष 1995 में जब रानी मोहभक्त राज लक्ष्मी के नाम पर स्नान घाट का निर्माण कराया था,तो उसी समय से ही घाट के ठीक सामने बच्चों के पार्क के लिए एक जमीन भी छोड़ी थी। इस स्नान घाट का निर्माण कार्यदायी संस्था के रूप में जिला पंचायत ने कराया था। देखभाल के अभाव में जब स्नान घाट की दशा दिन प्रतिदिन खराब होती गयी तो देखभाल के लिए विंधायक ने इस स्नान घाट को नगर पालिका को हस्तांतरित करा दिया। बाद में पार्क के लिए छोड़ी गयी जमीन पर आदर्श नगर पालिका प्रशासन द्वारा बच्चों के लिए एक पार्क की स्थापना की गयी। जिससे नगर क्षेत्र के बच्चों व अन्य लोगों में भी खुशी की लहर दौड़ गयी। पार्क स्थापना के समय नगर पालिका ने वहां दो बड़े झूले, चार लोहे के बड़े-बडे बेंच, छह सीमेंट के बेंच, बच्चों के सरकने के लिए लोहे के दो स्लोपर तथा दो सोलर लाइट की व्यवस्था करायी थी। उसके बाद नगर पालिका प्रशासन ने इस तरफ  झांकना भी उचित नहीं समझा और पार्क की हालत पूरी तरह से दयनीय हो गयी। लोहे के बेंच जंग लगकर टूट चुके हैं, झूला झूलने लायक नहीं रह गया है, पार्क में कूड़ों कचरों की सफाई कभी भी नहीं होती, दोनों सोलर लाइट वर्षों से बुझे पड़े हैं। पूरा बाल पार्क बदरंग हो चुका है, वर्षों से उसकी रंगाई और पेंटिग कराने की आवश्यकता ही नहीं समझी गयी है। पार्क की इस बदहाली से बच्चों के अन्दर अजीब सी छटपटाहट महसूस की जा सकती है। लेकिन आदर्श नगर पालिका बांसी को कभी भी बच्चों का यह दुख नहीं दिखाई दिया।

रिपोर्टिंग - सत्येन्द्र उपाध्याय               

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