‘गौवंश की रक्षा में मुसलमानों को योगदान देना चाहिए’

Update: 2016-07-28 05:30 GMT
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जयपुर (भाषा)। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज और वंशानुगत सज्जादानशीन अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा कि गाय अतीत काल से हिंदुओं की आस्था का प्रतीक रही है, इसलिये मुसलमानों को गौवंश की रक्षा में अपना सकारात्मक योगदान देकर मिसाल कायम करनी चाहिये।

उन्होंने कहा कि गौमांस की आड़ में देश का माहौल सांप्रदायिक करने वालों को एहतियात बरतना चाहिये जिससे दोनों सम्प्रदायों के बीच विश्वास की भावना कायम हो।

दरगाह दीवान ने गुरुवार जारी बयान में इस बात पर चिंता जाहिर की कि कुछ शरारती तत्व गौमांस के मुद्दे पर देश का माहौल बिगाड़कर देश को ‘गृहयुद्ध’ की तरफ धकेल रहे हैं और ऐसा नहीं होना चाहिये।

उन्होंने कहा कि इस तरह के मुद्दे देश में सदियों से आपसी मेलजोल से रह रहे दो संप्रदायों के बीच खाई के रूप में अपनी जड़ें जमा रहे हैं। अगर हिंदू मुसलमान से खौफ खाएगा और मुसलमान हिंदू से डरेगा तो देश सिर्फ और सिर्फ विनाश की ओर जाएगा।

गौमांस का मुद्दा धर्म का नया हथियार

सैयद जैनुल आबेदीन अली खान कहा कि गाय हिंदुओं की आस्था का प्रतीक रही है, लेकिन आज गौमांस का यह मुद्दा धर्म का एक नया हथियार बन चुका है जिससे विश्व में भारत की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। दरगाह दीवान ने कहा कि पैगम्बर मोहम्मद साहब ने भी अपने उपदेशों में गौमांस के सेवन का सख्ती से मना किया है और गाय के दूध को इंसान के लिये बहु उपयोगी बताया। पैगम्बर के इन्हीं उपदेशों के अनुसरण में चिश्तियों, सूफियों और धर्मगुरओं द्वारा गौ मांस का सेवन किए जाने का इतिहास में कोई प्रमाण नहीं मिलता है।

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