करौंदे के पेड़ लगाकर नीलगायों से करें फसल की सुरक्षा

Update: 2016-06-15 05:30 GMT

लखनऊ। कृषि के साथ-साथ उद्यान, मत्स्य पालन, पशुपालन, कुक्कुट पालन, वानिकी आदि भी करना होगा। नीलगाय की समस्या से निपटने के लिये सतावर और करौंदा की बाड़ लगानी चाहिए। पहले हम खाद्यान्न संकट से जूझ रहे थे लेकिन अब हम आवश्यकता से अधिक उत्पादन कर निर्यात भी कर रहे हैं इसका श्रेय कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषकों को जाता है। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा।

कृषि उत्पादन आयुक्त प्रवीर कुमार उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद, लखनऊ में ‘मास कम्यूनिकेशन ऐज़ एन इफेक्टिव टूल फॉर एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट’ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि अब हमारे सामने दूसरी चुनौतियां हैं कि शहरीकरण के कारण कृषि योग्य क्षेत्रफल कम हो रहा है शहरी विकास के साथ-साथ और कम होता जाएगा जबकि जनसंख्या में वृद्धि के साथ-साथ खाद्यान्न की आवश्यकता बढ़ रही है। 

संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में महानिदेशक, उपकार प्रो. राजेन्द्र कुमार ने बताया कि परिषद की स्थापना वर्ष 1989 में कृषि तथा तत्सम्बन्धी विषयों के समन्वयन एवं विकास हेतु हुई। उन्होंने कहा कि परिषद ने अपनी स्थापना के प्रारम्भिक दिनों में प्रदेश कृषि के हित में बहुत कार्य किए किन्तु, धीरे-धीरे इसकी गतिविधियां विविध कारणों से मध्यम हो गईं। 

उनके कार्यभार ग्रहण करने के पश्चात शासन से अपेक्षा से अधिक सहयोग मिलने के कारण परिषद में गतिशीलता आई तथा विगत लगभग साढ़े तीन वर्षों में परिषद द्वारा उल्लेखनीय कार्य किए गए हैं जिनमें एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज की स्थापना, कार्यशालाएं, संगोष्ठियां, कृषि विज्ञान कांग्रेस, प्रशिक्षण सत्रों का आयोजन आदि प्रमुख है।

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