'मनुष्य खुद बिगाड़ रहा वातावरण की सेहत'

Update: 2016-04-22 05:30 GMT
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लखनऊ। बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी लखनऊ में इंवॉर्मेन्टल साइंस विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ शिखा ने 22 अप्रैल को पूरे विश्व में मनाया जाने वाला वर्ल्ड अर्थ डे पर आयोजित संगोष्ठी में बताया कि वातावरण में जो बदलाव हो रहा है, उसका जिम्मेदार खुद इंसान ही है।

उन्होंने बताया कि वाहन, एसी और रेफ्रिजरेटर से ग्रीन हाउस गैसें निकलती हैं। इनका बढ़ता उपयोग वातावरण को प्रभावित कर रहा है और इसका नतीजा ये है कि हर मौसम अस्त-व्यस्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि आजकल गेहूं की कटाई के बाद जो उसकी खूटी बचती है, उसे किसान खेतों में ही जला देते हैं। इसके लावा पॉलीथिन कूड़ा आदि को भी लोग जलाने में ही भलाई समझते हैं, लेकिन इससे निकलने वाला धुआं वातावरण को प्रभावित करता है। नेचुरल साइकिल के कारण होते हैं ये बदलाव
नेचुरल साइकिल के कारण होते हैं ये बदलाव

आंचलिक मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता ने कहा कि वातावरण का बदलना तो नेचर के हाथ में है। साल 2010 में इससे भी ज्यादा गर्मी थी, तो कभी बहुत ज्यादा ठंडी पड़ जाती है। ये तो नेचुरल साइकिल है। इसके कारण ऐसा होता है।

बदलता वातावरण कर रहा है बीमार

बलरामपुर हॉस्पिटल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजीव लोचन ने कहा कि मौसम में हो रहा बदलाव लोगों को बीमार कर रहा है। कभी ज्यादा ठण्ड तो कभी अचानक से गर्मी के बढ़ने के कारण लोगों को सर्दी जुखाम जैसी बीमारियां हो रही हैं। उन्होंने कहा कि पहले अगर किसी दूसरे देश में कोई बीमारी फैलती थी तो वह उसी देश तक सीमित रह जाती थी। आजकल किसी भी बीमारी को दूसरे देशों में फैलते हुए टाइम नहीं लगता।

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