लखनऊ। ‘‘पशुधन के विकास में अहम भूमिका पशुमित्रों की होती है। प्रदेश में पशुधन की संख्या ज्यादा होने के बावजूद भी इनको शिक्षित करने के लिए पूरे प्रदेश में एक ही विश्वविद्यालय बना हुआ।
जबकि और राज्यों में पशुधन की संख्या कम होने के बावजूद भी पशुमित्रों को प्रशिक्षण देने के लिए कई विश्वविद्यालय बने हैं।’’ ऐसा कहना था ब्रुक इंडिया के सीईओ एमएल शर्मा का। लखनऊ के निराला नगर स्थित एक होटल में बुधवार को ब्रुक इंडिया ने एक सेमिनार का आयोजन किया, जिसका विषय था ‘पशुधन विकास में पशुमित्रों की भूमिका’।
सेमिनार में मौजूद ब्रुक इंडिया की एडवोकेसी कोऑडिनेटर सिरजना निज्जर ने बताया, “पशुमित्र के पूरा ज्ञान न होने के कारण वे पशुओं का गलत इलाज करते हैं। अगर वो किसी बीमारी की दवा जानते हैं तो उनको यह नहीं पता होता की कितनी डोज देनी चाहिए। ऐसे में पशुमित्रों के लिए रजिस्ट्रेशन, नियम कई चीजें निर्धारित करनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि किस आधार पर उनका चयन किया गया है। ऐसा 15 राज्य कर रहे हैं।
पशुमित्रों को दो रुपए प्रति डोज मिले
टीकाकरण में पशुमित्रों को भूमिका बताते हुए रोग नियत्रंण और प्रक्षेत्र के निदेशक डॉ. एएन सिंह ने कहा, “साल में दो बार हम एफएमडी टीकाकरण अभियान चलाते हैं, जिसमें पशुमित्रों का सहयोग रहता है।
इसके साथ-साथ कई ऐसे अभियान हैं, जिनमें इनका बड़ा सहयोग है। एक डोज पर पशुमित्रों को एक रुपए मिलता है। इसके लिए इस बार प्रस्ताव भेजा गया है कि उनको दो रुपए प्रति डोज मिले ताकि वह उनकी आय का साधन बने।” पशुपालन विभाग के निदेशक राजेश ने कहा, प्रदेश में कई ऐसे पद हैं जो खाली पड़े हैं। इनको भरने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। इसके साथ पशुमित्रों को भी ध्यान में रखा जा रहा है क्योंकि इनका काफी सहयोग रहता है।