लखनऊ। औषधीय गुणों के लिए प्रयोग होने वाली तुलसी की मांग अब व्यवसायिक स्तर पर भी बढ़ रही है। प्रदेश के कई जिलों में किसान तुलसी की खेती कर रहे हैं। किसान इसकी खेती कर अच्छा फायदा उठा सकते हैं। तुलसी के तेल की बाजार में काफी मांग है।
केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध अनुसंधान संस्थान (सीमैप) के वैज्ञानिक संजय कुमार बताते हैं, “संस्थान में सिम सौम्या नाम की तुलसी की किस्म तैयार की गई है, जिसकी पैदावार लगभग 80 से 100 किग्रा प्रति हैक्टेयर होती है। तुलसी की इस उन्नत किस्म की खेती के लिए किसी खास मिट्टी की जरूरत नहीं होती है। इसे गेहूं की फसल या गन्ने की फसल के बाद गुड़ाई करके बोया जा सकता है। तुलसी की यह किस्म 90 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।”
इसकी खेती करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखना होता है कि इसे ज्यादा पानी की जरूरत होती है। पानी की कमी से पैदावार घट जाती है और फसल के पकने में देरी हो सकती है। तुलसी के तेल की बढ़ती औद्योगिक मांग के कारण इसमें मुनाफा ज्यादा होता है। बाजार में यह तेल लगभग 600 रूपये प्रति लीटर के भाव से बिकता है। इस वजह से तुलसी की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा हो सकता है।