40 लाख रुपये की एक दिन में सफाई करता है नगर निगम

Update: 2016-03-20 05:30 GMT
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लखनऊ। शहर की साफ-सफाई का जिम्मा उठाने वाला नगर निगम प्रतिदिन 40 लाख रुपये खर्च करता है। इस बजट का सबसे बड़ा हिस्सा सफाई कर्मचारियों के वेतन,वाहनों के डीजल और पेट्रोल पर खर्च किया जाता है। यह अलग बात है कि कुछ कॉलोनियों को छोड़कर बाकी जगह नालियां बजबजाती ही नजर आती हैं।

शहर तो दूर खुद नगर निगम दफ्तर की दीवारें पान और गुटखे की पीक से पुती हुई हैं। गोमती नगर के कुछ इलाके, हजरतगंज समेत कुछ पॉश इलाकों को छोड़ दिया जाए तो अन्य बड़ी कॉलोनियां में सड़कों पर हफ्तों झाड़ू नहीं लगते। सीवर का पानी सड़कों पर फैला रहता है। प्रदेश की राजधानी में लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी हालत बदतर ही हैं।

वर्ष 2016 में शहरी विकास मंत्रालय की स्वच्छता सूची में 73 शहरों की सूची में लखनऊ को 28वां स्थान मिला था। 

जबकि वर्ष 2015 में शहरी विकास मंत्रालय द्वारा कराये गये एक सर्वे की 476 शहरों की रैंकिग में लखनऊ को 220वां स्थान मिला था। मोदी सरकार स्वच्छता अभियान के तहत प्रति वर्ष शहरों का सर्वे कराती है।

नगर निगम की वेबसाइड के अनुसार सफाई के लिये एक अप्रैल 2014 से 31 दिसम्बर 2014 तक 9615.67 रुपये लाख में खर्च कर दिया गया है। जबकि वितीय वर्ष 2015-16 में सफाई के नाम पर 16710 रुपए लाख में खर्च करने का लक्ष्य है। आंकड़ों पर गौर करें तो प्रतिदिन 40 से 45 लाख रुपये सफाई के नाम पर खर्च किए जा रहे हैं। कर्मचारियों के वेतन, कूड़ा उठाने समेत दूसरी गाड़ियों के ईंधन, पानी का छिडक़ाव,नालों की सफाई आदि पर करीब 40 लाख रुपये रोजाना खर्च होते हैं। निगम में लगभग 7000 सफाई कर्मचारी है। 

जिनका वेतन ही करीब 30 लाख रुपये के आसपास होता है। बाकी पैसे ईंधन समेत दूसरे मदों में खर्च होते हैं। जबकि कॉलोनियों में कूड़ा उठाने के लिए लोगों हर महीने 100-200 रुपये देते हैं। इतना पैसा खर्च होने के बाद भी साफ-सफाई को लेकर अक्सर हंगामा मचता रहता है।

 इस बारे में नगर आयुक्त पीके श्रीवास्तव से फोन पर बताया,“यह अनुमानित बजट होता है। 

फिर पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते रहते हैं। हर छह माह पर कर्मचारियों का डीए और सालभर में वेतन में वृद्धि होती है। वैसे भी सफाई कर्मचारियों की संख्या कम है। बाहर से कर्मचारी लेकर कार्य कराये जाते है तो उनको भी भुगतान करना पड़ता है। आवश्यकता के अनुसार इसे घटाया और बढ़ाया जा जाता है।”

लाखों का पेट्रोल प्रतिदिन खर्च

गसफाई के काम में लगी गाडिय़ों के पेट्रोल व डीजल पर विभाग करीब 6 लाख रुपए खर्च करता है। हालांकि वर्ष 2013-14 में इसका लक्ष्य लगभग प्रतिदिन सात लाख रुपये था लेकिन वर्ष 2014-15 में इसे घटाकर लगभग छह लाख रुपये कर दिया गया है। जबकि यही लक्ष्य वर्ष 2015-16 में भी रखा गया है।

सुबह नौ से छह बजे तक ढोया जाता है कूड़ा

प्रतिदिन सुबह नौ बजे से लेकर छह बजे तक सफाई अभियान चलता है। हर पड़ाव घर पर इन गाडिय़ों की समयसीमा भी निर्धारित होती है। बहुत कम जगह ये गाड़ियां वक्त से पहुंचकर कूड़ा उठाती हैं, जबकि कई जगहों की हालत यह होती है कि कई दिन कूड़ा नहीं उठाया जाता, जिससे बदबू की वजह से राहगीरों का चलना मुश्किल हो जाता है। जब स्थानीय लोग लगातार शिकायत करते है तो कूड़ा उठाने वाली गाड़ी पहुंचती है।

रिपोर्टर - गणेश जी वर्मा

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