इटावा। भले ही स्वच्छता अभियान में प्रदेश में इटावा को सबसे साफ शहर घोषित कर दिया गया हो लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है।
शहर के पश्चिमी छोर पर महेरा चुंगी के समीप ही बसे आजाद नगर टीला के वाशिंदे आजादी के 68 वर्ष बाद भी बदहाली के बीच नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। टीले में बसी अल्पसंख्यक समुदाय बाहुल्य बस्ती में अभी तक शासन-प्रशासन की एेसी कोई योजना क्रियान्वित नहीं हो सकी।
स्वच्छता अभियान में प्रदेश में पहला स्थान हासिल कर चुके शहर की तस्वीर आजाद नगर टीला मुहल्ले की गलियां दिखातीं हैं। घनी बस्ती के रूप में विकसित होने के बावजूद यहां की सफाई व्यवस्था
भगवान भरोसे है। हाईवे के किनारे निचले स्तर पर बस्ती के बसे होने का ही परिणाम है कि इस क्षेत्र में अभी तक जलनिकासी के कोई ठोस प्रबंध नहीं किए जा सके। घरों में जाने वाला पेयजल भी इसी कारण प्रदूषित बना रहता है।
बस्ती में रहने वाले नवी मंसूरी फोटो स्टेट की दुकान चलाते हैं। वो बताते है, ''बरसात के कुछ दिनों में यदि हम लोगों को जलभराव से जूझना पड़े तो शायद हम लोग सहन भी कर लें, लेकिन अब जब जनपद सूखा की चपेट में है, उसके बावजूद पूरे मुहल्ले की सड़कें प्रदूषित पानी में डूबी हुईं हैं। लोगों को अपने घरों से भी बाहर निकलने में असुविधाएं होतीं हैं।" '
जल भराव के चलते समूचे क्षेत्र में संक्रामक बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। क्षेत्र में जल निकासी के प्रबंध करने एवं नियमित सफाई व्यवस्था के लिए स्थानीय लोगों ने नगर पालिका अफसरों के साथ ही जिला प्रशासन से भी तमाम बार लिखित फरियादें कीं, परंतु अफसरों के कानों पर जूं नहीं रेंग रही।
रिपोर्टर - मसूद तैमूरी