आतंकवाद के खिलाफ़ भारत-चीन बनेंगे महाशक्ति: राष्ट्रपति

Update: 2016-05-18 05:30 GMT
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नई दिल्ली(भाषा)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में चीन का भारत के साथ हाथ मिलाना असरकारक होगा। उनका यह बयान मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित किए जाने के भारत के प्रयास को बीजिंग द्वारा हाल ही में बाधित करने की पृष्ठभूमि में आया है।

मुखर्जी ने अगले सप्ताह अपनी चीन यात्रा से पहले एक साक्षात्कार में चीन के सरकारी टेलीविजन सीसीटीवी से कहा, ‘‘भारत और चीन, दोनों बड़े देश हैं और बहु-संस्कृति वाले और बहु-जातीय हैं। अगर इस समस्या से लड़ने में साथ आते हैं, तो मुझे विश्वास है कि इसका अपना असर होगा।''

चीन ने इस वर्ष मार्च में 2001 के संसद हमले और 2016 के पठानकोट आतंकी हमलों के षड्यंत्रकारी जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख अजहर को संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक आतंकवादियों की सूची में रखने के भारत के प्रयास को बाधित किया था। भारत हमेशा मानता है कि हर देश की आतंकवाद के प्रति कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति होनी चाहिए और पूरी ताकत से लड़ाई होनी चाहिए।राष्ट्रपति ने कहा,'' दोनों देशों का एक व्यापक रिश्ता है और भारत चीन के साथ रिश्तों को महत्वपूर्ण समझता है।''

‘‘मैं कहूंगा कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के साथ हमारा बहुत व्यापक संबंध हैं और हम इसे हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण रिश्ता समझते हैं।'' प्रणव मुखर्जी ने कहा।

राष्ट्रपति के इंटरव्यू के अंश प्रसारित किये गए, जिसमें उन्होंने कहा, ‘‘राजकीय यात्रा का अपना महत्व है क्योंकि यह नेताओं को उनके विचारों को साझा करने का, संबंधित देशों के बीच सहयोग के विस्तार की संभावनाएं तलाशने का अवसर प्रदान करती है।'' 

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