आवारा कुत्तों से नहीं बच सकते, क्योंकि कानून इनके साथ है

Update: 2016-05-10 05:30 GMT
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लखनऊ। यदि आपके मोहल्ले में कुत्तों की संख्या बढ़ गई है या कुत्तो का आतंक बढ़ गया हो तो आप उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते क्योंकि कानून अब उनके साथ है। 

शहर के कटरा बाजार बेग चौपटिया में रहने वाले अनूप श्रीवास्तव के मोहल्ले में पागल और खुजली वाले कुत्तों का जबरदस्त आतंक है। अनूप बताते हैं, “मोहल्ले के एक कुत्ते ने मुझे भी काटा है। इसके बाद मैने नगर निगम में शिकायत भी लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। इन कुत्तों से सबसे ज्यादा डर मोहल्ले के बच्चों को है, इस वजह से वह बाहर खेलते भी नहीं है।” 

अगर आप कुत्तों के आतंक से परेशान होकर नगर निगम में इसकी शिकायत करतें है तो वहां के अधिकारियों के हाथ भारत के कानून ने बांध रखे हैं क्योंकि वह आपके मोहल्ले में कुत्तों की संख्या कम नहीं कर सकता है। नगर निगम के पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अरविन्द कुमार राव का कहना है कि कुत्तों के अधिकार सुरक्षित हैं। हाईकोर्ट ने वर्ष 2013 में अपने फैसले में यह बताया है कि कुत्तों को नहीं मार सकते, वह एनीमल प्रावर्टी की प्रकाष्ठा है। दूसरी बात अगर उनको एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं तो पीसीए एक्ट के तहत 1960 पशु क्रूरता अधिनियम का घोर उल्लंघन है। 

एनिमल बर्थ कंट्रोल अभियान के अतंर्गत पूरे जिले में अब तक 8000 कुत्तों का ऑपरेशन किया जा चुका है। भारत सरकार एनीमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इण्डिया की गाइड लाइन है कि किसी भी सूरत में उनका स्थान न बदला जाए। कुत्तों को पकड़ने में आने वाली समस्याओं के बारे में डॉ. अरविंद बताते हैं, “जब एक कुत्ता दूसरी जगह छोड़ा जाता है तो उस जगह के कुत्ते उस पर हमला कर देते हैं जिसमें कई कुत्तों की मौत हो जाती है तो यह हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या आती है कि हम कुत्तों को पकड़कर कहां छोडे़। 

इसलिए लोगों को इनके आतंक से बचाने के लिए कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी करते हैं और बाद में वहीं जाकर कुत्तों को छोड़ देते हैं, जिससे उसके प्रजनन में कमी आती है।”  लगातार बढ़ रही कुत्तों की संख्या से शहर के कई इलाके प्रभावित है। जानकीपुरम निवासी वैध जी अपने कुत्तों को सुबह के समय टहलाने गए और कुत्तों का शिकार हो गए। वैध जी बताते हैं कि हमारे क्षेत्र में कुत्ते बहुत हैं, मुझे सुबह के समय काट लिया था, अभी तक घाव ठीक नहीं हुआ है। हमारे क्षेत्र से सटे कई मोहल्लों में यही हाल है। 

रिपोर्टर - दरख्शां कदीर सिद्दीकी

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