नई दिल्ली (भाषा)। केंद्र सरकार ने गिरते भूजल स्तर की समस्या से निपटने के लिए फैसला किया है कि वह 'जल मित्र' चुनकर आमलोगों को पानी बचाने के अभियान से जोड़ेंगे। इसके लिए सरकार 'जल ग्राम' चुनेगी।
ये जलमित्र, जल ग्रामों में कुओं और तालाबों के संरक्षण के महत्व, सिंचाई के स्रोतों के विकास तथा जल स्रोतों के पुनर्जीवन के बारे में सरकार के साथ मिलकर काम करेंगे।
जल संसाधन मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इसके तहत स्थानीय जल पेशेवरों को जल संबंधी मुद्दों के बारे में जन जागरुकता फैलाने तथा जल से जुड़ी समस्याओं के निराकरण के लिए उपयुक्त प्रशिक्षण देकर उन्हें ‘जल मित्र’ बनाया जायेगा। उन्होंने बताया कि इसके तहत संबंधित महिला पंचायत सदस्यों को ‘जल नारी’ बनने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।
प्रत्येक जल ग्राम में सुजलम कार्ड के रूप में ‘एक जल स्वास्थ्य कार्ड’ तैयार किया जाएगा जो गाँव के लिए उपलब्ध पेयजल स्रोतों की गुणवत्ता के बारे में वार्षिक सूचना प्रदान करेगा।
जल ग्राम योजना के तहत जल ग्राम का चयन इसके कार्यान्वयन के लिए गठित जिला स्तरीय समिति द्वारा किया जायेगा। प्रत्येक गाँव को एक इंडेक्स वैल्यू प्रदान किया जाएगा जो जल की मांग और उपलब्धता के बीच अंतर के आधार पर तैयार होगा और सबसे अधिक इंडेक्स वैल्यू वाले गाँव को जल क्रांति अभियान कार्यक्रम में शामिल किया जायेगा।
मंत्रालय ने प्रत्येक जल ग्राम के लिए ब्लाक स्तरीय समितियों द्वारा ग्राम में जल के स्रोत, मात्रा एवं गुणवत्ता के उपलब्ध आंकड़ों एवं अनुमानित आवश्यकताओं के आधार पर एकीकृत विकास योजना बनाई है। अधिकारी ने बताया, “मंत्रालय की उच्च स्तरीय बैठक में इस अभियान को अगले दो वर्ष तक जारी रखने का निर्णय किया गया।”
भू-जल की गुणवत्ता में गिरावट और उत्पादक जलस्रोतों में कमी के दोहरे खतरों से निपटने और विभिन्न पक्षों के बीच व्यापक विचार-विमर्श के माध्यम से बेहतर भू-जल प्रशासन और प्रबंधन हेतू रणनीति तैयार करने के लिए, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा के कायाकल्प मंत्रालय ने “जल क्रांति अभियान” शुरू किया है।