लखनऊ। एक लड़के का मुस्कुराता चेहरा और उसके पीछे हाइवे का ढाबा, पृष्ठभूमि में नहर या खेत। ऐसी प्रोफाइल पिक आपको कान्वेंट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की फेसबुक टाइमलाइन पर तो नहीं लेकिन ग्रामीण युवाओं की वॉल पर देखने को ज़रूर मिल जाएंगी।
अगर शहर के युवाओं के लिए फेसबुक खुद की हाइटेक लाइफ स्टाइल को दिखाने का जरिया है तो गाँवों की ठेठ देहाती तहजीब फेसबुक टाइमलाइन पर देखी जा सकती है। शहरों से निकलकर अब गाँवों में भी फेसबुक का क्रेज बढ़ रहा है। मगर गाँव के परिवेश से जुड़े लोगों की फोटो, वीडियो और स्टेटस में ग्रामीण अंचल की झलक जरूर दिखाई देती है। इसके साथ ही देश दुनिया की जानकारी तुरंत हासिल करने के लिए ये एक बहुत बेहतरीन माध्यम उनके लिए हो गया है।
स्वयं प्रोजेक्ट के तहत हमने ऐसे ही युवाओं से बातचीत की जो कहने को तो वे गाँव में रहते हैं मगर फेसबुक का क्रेज उनके सिर पर भी चढ़ कर बोल रहा है। राजधानी से लगे हरदोई के भरावन पड़रिया गाँव के गौरव शुक्ला की उम्र 20 साल है मगर वे फेसबुक से अंजान नहीं हैं। अभी पिछले ही साल उसने अपना प्रोफाइल इस सोशल नेटवर्किंग साइट पर बनाया है जिससे वह अपने गाँव की तस्वीरों को अपने दोस्तों तक भेजता है। इसके साथ ही मित्रों की जानकारी भी इस माध्यम से मिल जाती है।
कानपुर देहात में कुर्सी भितर गाँव के लवित कुमार (18 वर्ष) ने बताया, “आज कारगिल शहीद दिवस है। हमको फेसबुक से ये जानकारी मिली है जिससे मुझे लगा कि इस साइट के जरिये उनको पूरी दुनिया की जानकारी मिल रही है। वह भी बहुत आसानी से अपने ही गाँव में।”
वह कहता है कि मेरे कई दोस्त जो स्कूल में थे, अब वे फेसबुक से जुड़ गये हैं। इससे हमको उनकी बातें पता चल जाती हैं कि वह आखिर कहां रहते हैं और क्या करते हैं।
आजमगढ़ में गड़ोली गाँव के प्रतीक तिवारी (21 वर्ष) का कहना है, “गाँव में बिजली नहीं आती है। ऐसे में टेलीविजन के जरिये देश दुनिया से जुड़ना उतना आसान नहीं है मगर फेसबुक ने ये रास्ता हमारे लिए खोल दिया है। अब अपने मोबाइल के जरिये ही किसी घटना के होने के तत्काल बाद हम उसकी पूरी जानकारी पा जाते हैं।”
कानपुर देहात के मैथा ब्लॉक में रहने वाली ज्योति कुशवाहा (19) वर्ष खुश होते हुए बताती है, “मैं पिछले एक साल से फेसबुक चला रही हूं। मुझे मेहंदी लगाने का बहुत शौक है जब मै किसी के हाथों में अच्छी मेहंदी लगाती हूँ तो फेसबुक पर जरूर शेयर करती हूँ। जब बहुत सारे लाइक मिलते हैं तो मै बहुत खुश हो जाती हूं। कभी अच्छे आम-,जामुन की भी फोटो डालती हूं। जब लाइक्स और कमेंट्स मिलते हैं तो मन खुश हो जाता है पर गुस्सा तब आती है जब इन्टरनेट में नेटवर्क नहीं आते हैं।”
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क