अधिक फायदे के लिए करें देशी घुइयां की खेती

Update: 2016-07-04 05:30 GMT
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विशुनपुर (बाराबंकी)। परम्परागत खेती में बढ़ते जोखिमों के चलते अब किसानों का रुख अन्य खेती की तरफ बढ़ रहा है। धान, गेहूं, मेंथा की जगह क्षेत्र के काफी किसान सब्ज़ियों की खेती से अच्छा लाभ कमा रहे हैं। इसमें घुइयां की खेती उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है।

बाराबंकी मुख्यालय से लगभग 35 किमी दूर फतेहपुर ब्लॉक के हज़रतपुर बिलौली के अधिकतर किसान इस वक्त घुईयां की खेती करके अच्छा लाभ कमा रहे है। हज़रतपुर के किसान मो रऊफ ने बताया, “हम हर साल घुइयां की खेती करते है इससे हमे अन्य फसलों से अच्छा लाभ मिल जाता है। घुईयां की बुवाई मार्च में लाइन विधि से की जाती है। खेत को भी आलू के खेत की तरह तैयार किया जाता है और प्रत्येक एक हाथ पर घुइयां की बुवाई की जाती है। बुवाई करने के बाद उस पर मिट्टी की नालियां बनाई जाती हैं। और प्रत्येक तीसरे व चौथे दिन सिंचाई करनी पड़ती है। यह फसल तीन महीने में तैयार हो जाती है।” 

मो. रऊफ बताते हैं, “घुईयां की खेती करने पर प्रति बीघे लगभग 7000 रुपए लागत आ जाती है और अगर पैदावार अच्छी हो गई तो लगभग बीस हज़ार रुपए निकल आते हैं। इस प्रकार प्रति बीघे पर दस से बारह हज़ार रुपए की बचत हो जाती है।”  इसी गाँव के निवासी उस्मान ने बताया, “एक बीघे में औसतन आठ कुन्तल घुईयां पैदा हो जाती है। इस वक्त इसका रेट बीस से पच्चीस रुपये प्रति किलो है। जिससे अच्छा लाभ हो रहा है।” 

उस्मान आगे बताते हैं, “अच्छी पैदावार के लिए फसल की काफी देखभाल करनी पड़ती है। पंद्रह दिन में कोराजिन नामक कीटनाशक का छिड़काव करना पड़ता है। 

रिपोर्टर : अरुण मिश्रा

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