अम्बेडकर समग्र गाँवों के सामुदायिक शौचालय बने खंडहर

Update: 2016-01-28 05:30 GMT
गाँव कनेक्शन

फैजाबाद। एक ओर सरकार शौचालयों के निर्माण के लिए हर सम्भव प्रयास कर रही है और इसके लिए हर वर्ष करोड़ों रुपए का बजट जारी किया जाता है। वहीं दूसरी तरफ ज़मीनी हकीकत इससे अलग है। इसका जीता जागता उदाहरण थरेरू गाँव का सामुदायिक शौचालय है।

जिला मुख्यालय से 25 किमी की दूरी पर सोहावल तहसील के थरेरू गाँव में सामुदायिक शौचालय होने के बावजूद लोगों को खुले में शौच जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। गाँव के सुनील कुमार (25 वर्ष) बताते हैं, ''गाँव जब अम्बेडकर सगग्र ग्राम में चयनित हुआ था, तब शौचालय का निर्माण हुआ था, लेकिन धीरे-धीरे यह शौचालय भी खंडहर हो गया है और तो और उसमे बड़े बड़े पेड़ उग गए हैं।’’

अम्बेडकर ग्राम योजना के तहत थरेरू गाँव का चयन समग्र गाम में होने के बावजूद किसी भी अधिकारी ने गाँव का दौरा भी नहीं किया है। 

इस बारे में थरेरू गॉंव के प्रधान राम कुमार यादव बताते हैं, ''अभी हमारे पास कोई बजट नहीं आया है। बजट आते ही इसकी मरम्मत और नवीनीकरण करवाना है। शौचालय की मरम्मत के लिए हमने ग्राम विकास अधिकारी से दो-तीन बार संपर्क करने की कोशिश की पर न तो वो मिले और न ही उनका फोन उठा।’’

कुछ ऐसी ही हालत जिला मुख्यालय से लगभग 15 किमी की दूरी पर मसोधा ब्लॉक के सीतारामपुर गाँव की भी है। गाँव का चयन अम्बेडकर ग्राम योजना के तहत वर्ष 2011 में होने के बाद गाँव में सामुदायिक शौचालय बना था। लेकिन बनने के बाद शौचालय के आसपास ग्रामीण नहीं बल्कि गाँव के आवारा पशु ही दिखाई पड़ते हैं।

सीतारामपुर गाँव के निवासी भवानी प्रसाद रावत (45 वर्ष) बताते हैं, ''अम्बेडकर ग्राम होने के बाद गाँव में शौचालय का निर्माण हुआ था, लेकिन कर्मचारियों ने इसके निर्माण में इतना खराब सामान लगाया गया कि इसकी दीवारे टूट गई हैं और धीरे धीरे सामूहिक शौचालय खण्डहर हो गया है।’’

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