अरहर में बढ़ रहा चेपा रोग का प्रकोप

Update: 2016-03-26 05:30 GMT
गाँवकनेक्शन

प्रतापगढ़। नीलगाय और मौसम की मार से बचने के बाद अब अरहर की फसल में चेंपा कीट का प्रकोप बढ़ गया है, जिससे अरहर के उत्पादन पर प्रभाव पड़ सकता है।

प्रतापगढ़ ज़िले के शिवगढ़ ब्लॉक के गजेहड़ा गाँव के किसान अंसार अहमद (36 वर्ष) ने दो बीघे में अरहर की फसल बोई है। अरहर में फली लग गयी है और अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक फसल तैयार भी हो जाएगी, लेकिन उनकी फसल में चेपा कीट लग गए हैं। 

अंसार अहमद बताते हैं, ‘‘हमारी तरफ नीलगाय की वजह से अरहर की फसल बर्बाद हो जाती है, लेकिन अब कीट लग गए हैं, अगर ऐसा ही रहा तो इस बार कुछ नहीं होगा।’’

चेपा कीट आमतौर पर सरसों की फसल में लगते हैं, ये छोटे-छोटे कीट होते हैं, जो कोमल फलियों का रस चूस लेते हैं, जिससे फली सूख जाती है। 

कानपुर स्थित भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. दिवाकर त्रिपाठी बताते हैं, ‘‘इस बार मौसम में आए बदलाव की वजह से फसलों में कीट और रोग से प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो रही है, जिस वजह से रोगों का प्रकोप बढ़ रहा है।’’

चेपा के साथ ही अरहर में फली छेदक भी कीट भी लग रहे हैं, फली छेदक कीट की इल्लियां फलियों के हरे ऊतकों को खाती हैं और बड़े होने पर फलियों और बीजों को नुकसान पहुंचाते हैं। इल्लियां फलियों में छोटे-छोटे छेद कर देती हैं। इल्लियां, पीली, हरी, काली रंग की होती है तथा इनके शरीर पर हल्की गहरी पट्टियां होती है।

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