औसत अंक वाले बच्चों को दाखिला देने से बच रहे हैं नामी स्कूल

Update: 2016-06-06 05:30 GMT
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लखनऊ। स्कूल को मैक्सिमम रेटिंग प्वाइंट में शामिल करने के लिए शहर के स्कूल अब उन छात्र-छात्राओं को अपने स्कूल में दाखिला देने से बच रहे हैं जिन्होंने औसत अंकों के साथ परीक्षा पास की है।

अपने बेटे के एडमीशन के लिए चौक निवासी रमेश चन्द्रा (42 वर्ष) काफी दिनों से परेशान हैं। वह कहते हैं, “सेंट क्लेअर्स में पढ़ने वाले बेटे कलश चन्द्रा ने इस वर्ष सीबीएसई बोर्ड से 7.2 सीजीपीए के साथ हाईस्कूल की परीक्षा पास की है।

उसकी रुचि फिजिक्स, केमेस्ट्री और मैथ में है लेकिन स्कूल प्रशासन उसको कामर्स देने पर आमादा है। उसकी रुचि के अनुसार उसको विषय मिल सके इसके लिए आरएलबी, सेंट जोसेफ, एलपीएस जैसे कई स्कूलों में एडमीशन का प्रयास किया लेकिन रुचि अनुसार विषय तो दूर की बात है स्कूल प्रशासन कहता है कि यह ग्रेड तो सी के समान है। 

ऐसे में स्कूल में एडमीशन नहीं दे सकते क्योंकि वह 9 या 10 सीजीपीए के साथ पास नहीं हुआ है।” अपने स्कूल में पहले से पढ़ने वाले औसत अंकों के साथ पास हुए छात्र-छात्राओं पर भी स्कूल की ओर से यह दबाव बनाया जा रहा है कि वह उस स्कूल से अपना नाम कटवा लें। 

इसके लिए स्कूल द्वारा वह विषय लेने पर मजबूर किया जा रहा है जिसमें बच्चों की रुचि नहीं है। मन माफिक विषय न मिल पाने के कारण बच्चे अब दूसरे स्कूलों का रास्ता तलाश रहे हैं लेकिन दूसरे स्कूलों में भी उनका दाखिला केवल इसलिए नहीं किया जा रहा है क्योंकि वह औसत अंकों के साथ पास हुआ है।

नगरिया निवासी राजेश निगम (35 वर्ष) कहते हैं, “यूनिटी इण्टर कॉलेज में पढ़ रही मेरी बेटी शिवानी निगम ने इस वर्ष सीबीएसई बोर्ड से हाईस्कूल की परीक्षा 8 सीजीपीए के साथ पास की है।  

किसी कारणवश उसका मन अब इस स्कूल में नहीं लग रहा है इसलिए अन्य स्कूलों में कक्षा 11 में एडमीशन का प्रयास कर रहे हैं। कई स्कूलों के चक्कर लगाये लेकिन कोई भी स्कूल प्रशासन उसका एडमीशन लेने में केवल इसलिए इच्छुक नहीं है क्योंकि वह 9 या 10 सीजीपीए के साथ पास नहीं हुई है।” 

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