बालक-बालिका में न करें भेदभाव

Update: 2015-11-03 05:30 GMT

बहराइच। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष/जनपद न्यायाधीश विजय कुमार शर्मा के निर्देशन में तहसील विधिक सेवा समिति नानपारा के तत्वावधान में गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक पर सेमिनार आयोजित किया गया। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए तहसीलदार नानपारा जमाल अहमद सिद्दीकी ने बताया कि कन्या भ्रूण हत्या, बालक-बालिका में असमानता, लिंग असंतुलन आदि सामाजिक बुराइयों को खत्म कर महिला शिक्षा/साक्षरता, महिला आत्मरक्षा एवं उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य आदि को बढ़ावा देने में अपना भरपूर सहयोग प्रदान करें। इसके अलावा बालक-बालिका में कोई भेदभाव न बरतें, पीसीपीएनडीटी एक्ट का कतई उल्लंघन न करें और न ही लिंग चयन एवं परीक्षण करायें। 

राजकीय इण्टर कालेज, गोण्डा के अध्यापक राजवर्धन श्रीवास्तव ने लिंग प्रतिषेध अधिनियम 1994 के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कोई भी आनुवांशिकी सलाह केन्द्र, प्रयोगशाला या क्लिीनिक जब तक कि वह इस अधिनियम के अधीन पंजीकृत न हो, कोई भी लिंग चयन परीक्षण से सम्बन्धित क्रियाकलाप नहीं करेगा। उन्होंने बताया कि अधिनियम के उल्लंघन पर प्रथम अपराध के लिए कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माना से जो पचास हजार रुपए तक होगा। किसी पश्चातवर्ती अपराध के लिए कारावास जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की होगी और जुर्माना से जो एक लाख तक होगा।

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